जब 13 एकड़ में खेती होती थी तो घर का गूजर-बसर मुश्किल में था, लेकिन अब तीन एकड़ में गेंदा फूल की खेती ने एक साल में ही लखपति बना दिया। फूल के बाजार की चुनौतियों के बाद भी अच्छा मुनाफा मिला। यह स्थिति है जिले के सोहागपुर विकासखण्ड के ग्राम कठौतियां के किसान अशोक सिंह जोधावत की। पिछले साल इस किसान ने 25 डिस्मिल जमीन में गेंदा फूल की खेती प्रयोग के तौर पर की और अच्छा परिणाम सामने आया। उसके बाद इस साल त न एकड़ में गेंदा की खेती लहलहा रही है और अब तक एक लाख रुपए की कमाई भी हो गई। 50 हजार की लागत वापस आ गई और अब अतिरिक्त मुनाफा हो रहा है।
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कम पानी और कम लागत की खेती करके अशोक सिंह जोधावत लखपति बन गया। इस खेती के अलावा वह दूसरी खेती भी कर रहा है। फसल चक्र और मिश्रित खेती का फार्मूला अपनाकर खेती करने वाला अशोक जोधावत सूखे की स्थिति में अच्छा मुनाफा कमा लिया। यदि फूल की खेती नहीं करता तो सूखे के कारण उसके सामने भी अन्य किसानों की तरह संकट होता। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों की सलाह से उसने फूल की खेती की जिससे उसका जीवन एक साल में ही फूल की तरह खिलने लगा।
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कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से फूल की खेती मैंने की है। पहले मुझे लग रहा था कि गेंदा फूल की खेती से उसे कोई लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन खेती करने के बाद अब लग रहा है कि सभी किसानों को इस तरह की खेती अपनी चाहिए। कम पानी और कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाली गेंदा फूल की खेती है। शहडोल में अभी फूल का अच्छा बाजार नहीं है, लेकिन तब भी फूल की अच्छी मांग है। यही कारण है कि वह शहडोल व आसपास के बाजार में ही गेंदा फूल बेंचकर अब तक लाख रुपए कमा लिया।
अशोक सिंह जोधावत, ग्राम कठौतिया शहडोल
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आम की खेती के अलावा किसानों को कम पानी व कम लागत वाली खेती अपनाने की जरुरत है। जो किसान ऐसी खेती करेंगे। वह सूखा व अन्य स्थितियों का मुकाबला कर सकते हैं। अशोक सिंह जोधावत ने गेंदा फूल की खेती करके अन्य किसानों के लिए एक नई दिशा दे रहा है। अब समय फसल चक्र और मिश्रित खेती करने का है तभी किसान प्राकृतिक आपदाओं से निपट पाएगा।
मृगेन्द्र सिंह, कृषि वैज्ञानिक शहडोल
18 Dec 2015 नईदुनिया के अनुसार << सूर्य की किरण >>.
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कम पानी और कम लागत की खेती करके अशोक सिंह जोधावत लखपति बन गया। इस खेती के अलावा वह दूसरी खेती भी कर रहा है। फसल चक्र और मिश्रित खेती का फार्मूला अपनाकर खेती करने वाला अशोक जोधावत सूखे की स्थिति में अच्छा मुनाफा कमा लिया। यदि फूल की खेती नहीं करता तो सूखे के कारण उसके सामने भी अन्य किसानों की तरह संकट होता। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों की सलाह से उसने फूल की खेती की जिससे उसका जीवन एक साल में ही फूल की तरह खिलने लगा।
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कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से फूल की खेती मैंने की है। पहले मुझे लग रहा था कि गेंदा फूल की खेती से उसे कोई लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन खेती करने के बाद अब लग रहा है कि सभी किसानों को इस तरह की खेती अपनी चाहिए। कम पानी और कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाली गेंदा फूल की खेती है। शहडोल में अभी फूल का अच्छा बाजार नहीं है, लेकिन तब भी फूल की अच्छी मांग है। यही कारण है कि वह शहडोल व आसपास के बाजार में ही गेंदा फूल बेंचकर अब तक लाख रुपए कमा लिया।
अशोक सिंह जोधावत, ग्राम कठौतिया शहडोल
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आम की खेती के अलावा किसानों को कम पानी व कम लागत वाली खेती अपनाने की जरुरत है। जो किसान ऐसी खेती करेंगे। वह सूखा व अन्य स्थितियों का मुकाबला कर सकते हैं। अशोक सिंह जोधावत ने गेंदा फूल की खेती करके अन्य किसानों के लिए एक नई दिशा दे रहा है। अब समय फसल चक्र और मिश्रित खेती करने का है तभी किसान प्राकृतिक आपदाओं से निपट पाएगा।
मृगेन्द्र सिंह, कृषि वैज्ञानिक शहडोल
18 Dec 2015 नईदुनिया के अनुसार << सूर्य की किरण >>.
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आॅर्गेनिक तरीके से तैयार की मूली : वजन साढ़े चार किलो , लंबाई तीन फिट
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एसजीपीसी के अधीन आते गुरुद्वारा गुरुसर सतलानी साहिब में ऑर्गेनिक तरीके से मूलियां उगाई गई हैं। कमेटी ने श्री गुरु रामदास लंगर के लिए सभी गुरुद्वारों में करवाई जा रही आर्गेनिक खेती के तहत उक्त गुरुद्वारे के सात एकड़ जमीन में सितंबर महीने से खेती की जा रही है और उसकी पैदावार लंगर में आ भी रही है।>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
वीरवार मैनेजर भाई राजिंदर सिंह जब टीम के साथ मूलियां खोद रहे थे तो उसमें चार-पांच ऐसी मूलियां मिलीं जिनका वजन चार और साढ़े चार किलो तथा लंबाई ढाई से तीन फिट रही।
bhaskar news Dec 18, 2015 के अनुसार << सूर्य की किरण >>
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एसजीपीसी के अधीन आते गुरुद्वारा गुरुसर सतलानी साहिब में ऑर्गेनिक तरीके से मूलियां उगाई गई हैं। कमेटी ने श्री गुरु रामदास लंगर के लिए सभी गुरुद्वारों में करवाई जा रही आर्गेनिक खेती के तहत उक्त गुरुद्वारे के सात एकड़ जमीन में सितंबर महीने से खेती की जा रही है और उसकी पैदावार लंगर में आ भी रही है।>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
वीरवार मैनेजर भाई राजिंदर सिंह जब टीम के साथ मूलियां खोद रहे थे तो उसमें चार-पांच ऐसी मूलियां मिलीं जिनका वजन चार और साढ़े चार किलो तथा लंबाई ढाई से तीन फिट रही।
bhaskar news Dec 18, 2015 के अनुसार << सूर्य की किरण >>
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