मोदीजी के अचानक पाकिस्तान पहुँचने पर खान्ग्रेसी मीम अफजल टीवी चैनल पर चिल्ला रहे थे कि ऐसा क्या बदला है जो मोदी पाकिस्तान चले गए?
इस प्रश्न के जवाब में RAW के पूर्व अधिकारी RSN SINGH बोले, फर्क यह है जनाब कि 2004 से 2014 तक जो आपकी इंटरनल सिक्यूरिटी की स्थिति थी, लखनऊ, जयपुर, मुम्बई, दिल्ली, हैदराबाद, बैंगलोर, वाराणसी पूरे भारत में हर जगह आए दिन जो बम विस्फोट होते थे, वे आज बन्द हो गए हैं, और आज पाकिस्तान में बलूचिस्तान, सिंध, करांची में आग लगी हुई है, भारत में ISI का नेटवर्क टूट रहा है।
यही कारण है कि आज पाकिस्तान कश्मीर का मुद्दा छोड़कर, पहले आतंकवाद पर बात करने को तैयार हुआ है।
यही कारण है कि आज पाकिस्तान कश्मीर का मुद्दा छोड़कर, पहले आतंकवाद पर बात करने को तैयार हुआ है।
याद रहे RSN SINGH जी रॉ के पूर्व अधिकारी हैं बीजेपी के प्रवक्ता नहीं।
वैसे RSN SINGH जी के इस वक्तव्य से इतना तो स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान में RAW का कितना जबरदस्त नेटवर्क है।
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56_बल्कि_256_इंच_का_सीना_है_
ग़ज़ब आदमी है ये
मोदी जी ने आज साबित कर दिया।विरोधियों से लेकर भक्तो तक , सोशल मीडिया से लेकर मैन स्ट्रीम मीडिया तक , सबको चौका दिया ....
गजब की हिम्मत व साहस इस व्यक्ति में है। पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है जहाँ उसके प्रधानमंत्री सुरक्षित नहीं हैं, जहाँ आतंकवादी मोदी जी को अपना बहुत बड़ा दुश्मन मानते हैं वहाँ हमारा प्रिय प्रधानमंत्री इन विपरीत परिस्थितियों में पाकिस्तान जाने का साहस दिखाता है।
मोदी जी आपके इस अदम्य साहस की हम भूरि भूरि प्रशंसा करते हैं ।
मोदी जी अफगानिस्तान से लॊटते हुए नवाज शरीफ को उनके जन्मदिन पर बधाई देने हेतु लाहॊर में पहुचे ,ये अपने प्रकार की नयी डिप्लोमेसी है जिसे "Birthday Diplomacy " कहा जा सकता है।
इसको कहते हैं ५६" का सीना ?
गजब की हिम्मत व साहस इस व्यक्ति में है। पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है जहाँ उसके प्रधानमंत्री सुरक्षित नहीं हैं, जहाँ आतंकवादी मोदी जी को अपना बहुत बड़ा दुश्मन मानते हैं वहाँ हमारा प्रिय प्रधानमंत्री इन विपरीत परिस्थितियों में पाकिस्तान जाने का साहस दिखाता है।
मोदी जी आपके इस अदम्य साहस की हम भूरि भूरि प्रशंसा करते हैं ।
मोदी जी अफगानिस्तान से लॊटते हुए नवाज शरीफ को उनके जन्मदिन पर बधाई देने हेतु लाहॊर में पहुचे ,ये अपने प्रकार की नयी डिप्लोमेसी है जिसे "Birthday Diplomacy " कहा जा सकता है।
इसको कहते हैं ५६" का सीना ?
जो न देख पाएं वो अपनी इटालियन अम्मा के पल्लू में घुस लें !
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आजादी के बाद से आज तक बँगला देश से सीमा विवाद नहीं निपटा था। निपटा डाला मोदी ने, संसद भी यही थी और कांग्रेसियों को मना करने वाली ममता मनमर्जी भी यही थी।
अब पाकिस्तान से मुद्दे सुलझाने की पहल यदि ये बन्दा नहीं करेगा तो कौन करेगा?
गोली का जवाब बम से देने को तो मना नहीं किया न मोदी ने बो एक गोली चलाते है तो हम 10 ..।
अब मुद्दे सुलझाने की जिम्मेदारी आखिर PM नहीं निभाएंगे तो निभाएगा कौन?
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बेघरों की मदद के लिए ईरान में दया की दीवारें
बेघरों की मदद करने के लिए जो तरीका ईरान ने अपनाया है। आई चौकइन के अनुसार देश की सड़कों पर दया की दिवार यानी 'wall of kindness' दिखाई दे रही हैं। दीवारों पर बेघर और ज़रूरतमंद लोगों के लिए खूंटियां और हैंगर्स लगाए हैं। इन हैंगर्स और खूंटियों पर लोग अपने वे कपड़े टांग सकते हैं, जिन की ज़रूरत अब उन को नहीं। साथ में दीवारों पर लिखा भी गया है कि 'अगर आपको जरूरत नहीं है तो छोड़ जाओ, और जरूरत है तो ले जाओ'।
इन दिनों ईरान ठंड और आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि ईरान में लगभग 15,000 लोग बेघर हैं। ऐसे में ये कोट, जैकेट्स, ऊनी कपडे और बाकी जरूरत का सामान दीवारों पर टांगकर लोग न सिर्फ लोगों की मदद कर रहे हैं बल्कि ये बताने की कोशिश भी कर रहे हैं कि वे सब साथ हैं।लोगों की मदद करने के लिए शुरू किया गया ये काम ईरान के मशहद से शुरू हुआ। और देखते देखते पूरे ईरान में ऐसी दीवारों की संख्या बढ़ने लगी। दया की दीवार की शुरूआत करने वाला शख्स का नाम मालूम नहीं है। वह सामने नहीं आना चाहता, गुमनाम रहना चाहता है।
उल्लेखनीय है कि ईरान में ज़रूरतमंद लोगों को मदद देने की दूसरी पहलकदमियाँ भी थीं। इससे पहले देश में लोगों को खाना खिलाने के लिए सड़कों पर फ्रिज भी रखे गए थे।
.. स्पूतनिक के अनुसार..
बेघरों की मदद करने के लिए जो तरीका ईरान ने अपनाया है। आई चौकइन के अनुसार देश की सड़कों पर दया की दिवार यानी 'wall of kindness' दिखाई दे रही हैं। दीवारों पर बेघर और ज़रूरतमंद लोगों के लिए खूंटियां और हैंगर्स लगाए हैं। इन हैंगर्स और खूंटियों पर लोग अपने वे कपड़े टांग सकते हैं, जिन की ज़रूरत अब उन को नहीं। साथ में दीवारों पर लिखा भी गया है कि 'अगर आपको जरूरत नहीं है तो छोड़ जाओ, और जरूरत है तो ले जाओ'।
इन दिनों ईरान ठंड और आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि ईरान में लगभग 15,000 लोग बेघर हैं। ऐसे में ये कोट, जैकेट्स, ऊनी कपडे और बाकी जरूरत का सामान दीवारों पर टांगकर लोग न सिर्फ लोगों की मदद कर रहे हैं बल्कि ये बताने की कोशिश भी कर रहे हैं कि वे सब साथ हैं।लोगों की मदद करने के लिए शुरू किया गया ये काम ईरान के मशहद से शुरू हुआ। और देखते देखते पूरे ईरान में ऐसी दीवारों की संख्या बढ़ने लगी। दया की दीवार की शुरूआत करने वाला शख्स का नाम मालूम नहीं है। वह सामने नहीं आना चाहता, गुमनाम रहना चाहता है।
उल्लेखनीय है कि ईरान में ज़रूरतमंद लोगों को मदद देने की दूसरी पहलकदमियाँ भी थीं। इससे पहले देश में लोगों को खाना खिलाने के लिए सड़कों पर फ्रिज भी रखे गए थे।
.. स्पूतनिक के अनुसार..
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