Friday 18 December 2015

 किस तरह काम करती है देश की सबसे घातक फोर्स SPG?

pmdecisionmainहॉलीवुड स्टाइल में हर वक्त प्रधानमंत्री के ईर्द-गिर्द रहने वाले ये जवान आखिर हैं कौन? पीएम के साथ रहकर ये क्या करते हैं? और इनके काम करने का तरीका क्या है? जानिए, वो हर बड़ी बात जो देश की इस सबसे शक्तिशाली स्पेशल फोर्स से जुड़ी है।
एसपीजी का गठन 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद किया गया था। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद एसपीजी को नए सिरे से तैयार किया गया था।
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) पर देश के प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके करीबी पारिवारिक सदस्यों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। यह ग्रुप प्रधानमंत्री की तरह ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका की भी सुरक्षा करता है।
एसपीजी में 3000 से भी ज्यादा प्रशिक्षित जवान हैं। इन जवानों का चयन पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स (बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ) से किया जाता है।एसपीजी के जवानों को विश्वस्तरीय ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। यह लगभग वैसी ही होती है जो युनाइटेड स्टेट सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को दी जाती है। एसपीजी जवानों की ट्रेनिंग में शारीरिक क्षमता, निशानेबाजी, जवाबी हमले की कार्रवाई और कम्युनिकेशन का बेहद अहम रोल रहता है।
इस ग्रुप का काम करने का तरीका चार हिस्सों में बंटा हुआ है…. इसमें ऑपरेशन, ट्रेनिंग, इंटेलिजेंस ऐंड टूर और एडमिन हैं।ऑपरेशन’ की टीम कम्युनिकेशन, टेक्निकल चीजों और ट्रांसपोर्ट का बंदोबस्त देखती है। वहीं ट्रेनिंग डिपार्टमेंट जवानों की लगातार होते रहने वाली ट्रेनिंग की जिम्मेदारी संभालता है।‘इंटेलिजेंस ऐंड टूर्स’ धमकी और खतरे को भांपता है, इंटरनल इंटेलिजेंस पर नजर रखता है और साथ में यात्राओं का जिम्मा संभालता है। ‘एडमिन’ इंतजामों पर काम करता है .एसपीजी जवान पीएम के ईर्द-गिर्द मल्टिपल सिक्यॉरिटी रिंग बनाकर रहते हैं। इस रिंग के अंदर मौजूद जवानों का एक ही काम होता है, किसी भी संभावित हमले से पीएम को सुरक्षित रखना। हमले के वक्त इन जवानों का काम हमलावरों के पीछा करना भी नहीं है। सिर्फ और सिर्फ पीएम को बचाना ही इनका मिशन है।
 एसपीजी के जवान आमतौर पर एफएनएफ 2000 असॉल्ट राइफल और ग्लॉक 17 पिस्टल से लैस होते हैं। ये जवान कम्युनिकेशन डिवाइसेस के जरिए सुरक्षा तंत्र से जुड़े होते हैं। हमले की सूरत में सेकंड कार्डन की जिम्मेदारी होती है कि वह पीएम के चारों ओर घेरा बनाकर खड़े जवानों को सिक्यॉरिटी कवर दें ताकि प्रधानमंत्री को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। यहां यह जान लेना जरूरी है कि यह हमलावर फोर्स नहीं बल्कि रक्षात्मक फोर्स है। एसपीजी के हथियार बेल्जियन मेड होते हैं। 5.56x45mm NATO कैलिबर, बेल्जियन मेड राइफल इस एजेंसी की हथियारों की पसंद में सबसे ऊपर है। यह 3.5किलोग्राम राइफल 500 मीटर की रेंज से 850 राउंड हर मिनट में फायर करती है। एसपीजी कमांडोज के पास FN फाइव-सेवन सेमीऑटोमेटिक पिस्टल भी रहती है जो 50 मीटर की रेंज से 5.7mm कैलिबर की बुलेट से निशाना लगाती है। एसपीजी कमांडोज कुशल ग्लासेज भी पहने होते हैं जो उनकी आंखों को हमले से बचाते हैं और इससे डिस्ट्रैक्शन भी नहीं होता।
एजेंसी की जवान हल्के वजन के हाई ग्रेड बुलेटप्रूफ वेस्ट भी पहने होते हैं जो लेवल-3 केवलर की होती है। इन स्पेशलाइज्ड वेस्ट का वजन 2.2 किग्रा होता है और यह 10 मीटर दूर से एके 47 से चलाई गई 7.62 कैलिबर की गोली को भी झेल सकती है।जवानों को एसपीजी ऐक्ट 1988 के नियम के मुताबिक मीडिया या किसी भी बुक, लेटर या डॉक्युमेंट के लिए कॉन्टेक्ट करने की सख्त मनाही है.. सपीजी जवानों के साथ पीएम के काफिले में एक दर्जन गाड़ियां होती हैं जिसमें बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज की सिडान, 6 बीएमडब्ल्यू एक्स3 और एक मर्सिडीज बेंज होती है। इसके अलावा मर्सिडीज बेंज ऐंम्बुलेंस, टाटा सफारी जैमर भी इस काफिले में शामिल होती है।

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