क्या Narendra Modi के पीएम बनते ही
लुभावना हुआ है भारत ..?
ये एक सवाल है और इस सवाल का जबाव ढूंढने के लिए 16 मई 2014 के बाद के वक्त का विश्लेषण जरूरी है, जब से Narendra Modi ने पीएम पद की कुर्सी संभाली है.
New Delhi, Dec 06 : पिछले कुछ दिनों से आप लगातार देख रहे होंगे की या तो पीएम मोदी विदेश दौरे पर होते है या फिर कोई खास विदेशी मेहमान, भारत की मेजबानी का लुत्फ उठा रहा होता है. इतने बड़े स्तर पर विदेश दौरों पर जाना और विदेशी मेहमानों का यूं आना. इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि भारत के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा है, अब ये आकर्षण Narendra Modi के कुर्सी पर बैठने के बाद बढ़ा है इस पर ध्यान देना जरूरी है.
क्या आलोचनाओं की आग ने PM Narendra Modi को
‘कुंदन’ बना दिया है ?
पीएम मोदी की विदेश नीति को लोहा विरोधी भी मानते है, और भाषा शैली पर पकड़ अपने आप में उन्हे बड़ा जन-नेता बना देती है. और इन दोनों का मिश्रण भारत के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. पीएम न सिर्फ विदेश दौरे पर रहते है बल्कि अन्तराष्ट्रीय पटल पर लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते है. फिर वो चाहे आंतकवाद जैसा गंभीर समस्या पर चर्चा हो या फिर आर्थिक तौर पर विश्व में भारत की खास पहचान का जिक्र, पीएम मोदी का काम करने का तरीका भी इस तरह का है वो वैश्विक मंच पर लोगों को हिंदुस्तान में बिजनेस करने के लिए बुला रहे है, वो हमारी जनसंख्या को ही हमारी ताकत के तौर पर दिखाते है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा और विवधिता बड़ा मार्केट बताते है. पीएम मोदी हर मंच पर इस बात का दावा करते है कि अगर आप हिंदुस्तान में बिजनेस करने के लिए आएंगे तो आपके लिए अनुकूल वातावरण बनाया जाएगा.
क्या Narendra Modi चीन के डेंग जियाओपींग
की तरह काम कर रहे है ?
पीएम मोदी के काम करने के तरीकों को गौर से देखों तो समझ आता है कि पीएम चीन के डेंग जियाओपींग की तरह काम कर रहे है, चीन जिस तरक्की पर आज इतरा रहा है उस कामयाबी के पीछे डेंग जियाओपींग का हाथ ही माना जाता है, 1980 के दशक में चीन के सबसे बड़े नेता रहे डेंग जियाओपींग ने वहां पर आर्थिक चमत्कार किया था. और वो भी उस दौरान किया था जब शीत युद्ध के बाद दुनिया दो भागों में बंटती नजर आ रही थी. उन्होने ही देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों की वकाल की थी और दूसरे देशों के लिए चीन के बाजार के दरवाजे खोलने की दलील दी थी. चाइना ने पूंजी बढ़ाने के लिए सबसे पहले अपनी राजनैतिक और सैन्य ताकत का एहसास दूसरे देशों को कराया. इसका एक परिणाम ये भी हुआ था कि एशिया भी गो भागों में बंट गया था. लेकिन कुल मिलाकार चीन को इसका दीर्घकालीक फायदा मिला और कई मामलों में आज पर चीन पर दूसरे देशों की निर्भरता है.
विरोधियों पर बरसने वाले पीएम Narendra Modi
संसद में इतने नरम क्यों दिखे ?
आज के वक्त की बात करें तो वैश्विंक मंदी में भी भारत का अडिग रहना कई देशों को अपनी ओर खींच रहा है, चीन की कुछ नीतियों का परिणाम बहुत सारे लोगों को भुगतना पड़ा और उसके अड़ियल रवैये से अब कई देशों का चीन से मोहभंग हुआ है. अब भारत के पास आने के लिए दूसरे लोगों के पास कई वजहें है. पहली बात तो भारत न सिर्फ बड़ा निर्यातक बनने की खूबी रखता है बल्कि खुद को बड़ा आयातक भी साबित कर सकता है, क्योकि चीन की तरह हिंदुस्तान में लोगों का व्यवहार यूज एंड थ्रो वाला नहीं है. अगर भारत क्वालिटी प्रोडेक्ट की असेंबलिंग या मैनुफेक्चरिंग करता है तो छोटे के साथ साथ बड़े देश भी यहां आएंगे.
ऑस्ट्रेलिया अमेरिका दुबई जैसे देशों में Narendra Modi के प्रति लोगों में दीवनगी देखी जा रही है. जो साफ दिखा रहा है न सिर्फ विश्वास बढ़ा है और बल्कि आकर्षण भी बढ़ा है. अब ऐसे में जिस तरह से दुनिया के वीवीआईपी हिंदुस्तान में धड़ल्ले से आ जा रहे है वो इस बात की ओर इशारा तो कर ही रहा है. कि भारत के प्रति लोगों का आकर्षण जरूर बढ़ा है.
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