एक:
भारत की अधिकांश राजनीतिक पार्टिंया एक समुदाय विशेष के वोटबैंक को सुदृढ़ करने के लिए तुष्टीकरण की नीति को जरुरत से ज्यादा तुल देती है, जिससे हमारी आंतरिक सुरक्षा खतरे में पड़ी हुर्इ है। आर्इएसआर्इ ने भारत की राजनीतिक परिस्थितियों का लाभ उठा कर पूरे देश में आतंकी नेटवर्क स्थापित कर रखा है। दस वर्ष तक सत्ता में रही एक लुंज-पुंज सरकार, जो नागरिकों के जीवन से अधिक वोटबैंक को तवज्जो देती थी, देश के दुश्मनों के लिए सुविधाजनक थी। इस समय पूरे देश में पाक जासूसों और स्लीपर सेल का जाल बिछा हुआ है। केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद आर्इएसआर्इ की भावी योजनाएं विफल हो रही है। चिढ़ कर आर्इएसआर्इ ने कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ तेज कर दी हैं। भारत की राजनीति में धमाचौकड़ी मचा रहे कर्इ आर्इएसआर्इ एजेंट इन दिनों मजहब के आधार पर भारत का वातावरण विषाक्त बना रहे हैं, ताकि मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए पूरे देश में दंगे करवाये जा सके। इन दंगों की आग में भारत के धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल मोदी सरकार की नीयत पर सवाल उठा कर उसे जी भर कर बदनाम कर सके और आने वाले सभी चुनावों में भाजपा को हराया जा सके। मोदी सरकार जितनी अधिक निर्भिक हो कर काम करेगी आर्इएसआर्इ का नेटवर्क क्षत विक्षत होता जायेगा। देश की आतंरिक सुरक्षा को मोदी सरकार सुदृढ़ कर रही है। नागरिकों का जीवन सरकार के लिए राजनीतिक लाभ से ज्यादा जरुरी हैं। अत: हम भारतीय नागरिकों को भारत की धर्मनिरपेक्ष अर्थात एक समुदाय विशेष को पुचकारने वाले राजनीतिक दलो के झूठ और फरेब को समझते हुए मोदी सरकार को नैतिक सम्बल देना चाहिये, ताकि उसके आत्मबल में वृद्धि हो सके, क्योंकि उसका अंतत: लाभ हमे ही मिलेगा।
दो :
यद्यपि सरकार ने इन दिनों आर्इएसआर्इ के जासूसों को पकड़ा है और उनसे महत्वपूर्ण जानकारियां हांसिल की है, किन्तु ये वेतनभोगी साधारण नागरिक हैं। आर्इएसआर्इ के कर्इ बड़े एजेंट राजनीतिक दलों में भी मौजूद है, जिन्हे आर्इएसआर्इ मासिन वेतन नहीं देती, भारी भरकम रकम धनराशि हवाले के तहत इनके पास पहुंचाती है, ताकि नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध भारतीय जनता को भ्रमित कर सके। भारत में हुए दो विधानसभा चुनावों में आर्इएसआर्इ ने काफी रुचि ली थी और नरेन्द्र मोदी की छवि खराब करने, उनकी शक्ति घटाने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। मोदी सरकार के लिए उन पाक एजेंटों की नीयत का पर्दापाश करना बहुत मुश्किल काम हैं, क्योंकि ये लोग काफी प्रभावशाली है और इनका भारतीय राजनीति में काफी दबादबा है, किन्तु मोदी सरकार सत्ता में रहेगी, तो एक न एक दिन राष्ट्र उस सच्चार्इ को जान लेगा ,जिससे उन राजनेताओं के असली चेहरे बेनकाब हो जायेंगे, जो देश की जनता को धोखा दे कर दुश्मनों के साथ मिले हुए हैं।
तीन :
एक आध राजनैतिक दलों को छोड़ भारत के अधिकांश राजनीतिक दल कुछ व्यक्तियों की निजी सम्पति है, जो हमारी लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के लिए अभिशाप हैं, क्योंकि अपनी अपनी पार्टी में इनका रवैया अधिनायकवादी है। ये व्यक्ति इन पार्टियों के लिए नीतियां लागू करते है, पार्टी का संविधान बनाते हैं और दल का संचालन के लिए सहयोगी नियुक्त करते हैं। किसी भी व्यक्ति को अपने नेता के विरुद्ध बोलने और प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं होता है। लोकतांत्रिक तरीके से इन राजनीतिक दलों में अध्यक्ष नहीं चुने जाते। कोर्इ व्यक्ति अपने नेता को चुनौती नहीं दे सकता। पार्टी के लिए जो चंदा एकत्रित किया जाता है, उस पर पार्टी के सर्वोच्च नेता का पूरा नियंत्रण रहता है। चंदे को खर्च करने और उसका हिसाब पूछने का अधिकार भी किसी पार्टी पदाधिकारी के पास नहीं होता। नरेन्द्र मोदी के उत्कर्ष से कर्इ राजनीतिक दलों के नेताओं के पांवों के नीचे से जमीन खिसकती जा रही है। ये सभी राजनीतिक दल अपना अस्तित्व बचाने के लिए नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध लामबंद हो रहे हैं। नरेन्द्र मोदी का किसी भी तरह प्रभाव कम करना ही आज इनका एक मात्र उद्धेश्य रह गया है। प्रश्न उठता है कि जो नेता अपने दल में भी आतंरिक लोकतंत्र नहीं स्थापित कर पायें, वे भारतीय लोकतंत्र को कैसे जीवंत बना पायेंगे। जाति और मजहब की राजनीति करने वाले राजनीतिक दल जो हमारी संवैधानिक व्यवस्था के लिए कलंक है, से मुक्ति तभी मिल सकेगी जब भारत की जनता मोदी सरकार के विरुद्ध उसके विरोधियों द्वारा रचे जा रहेषड़यंत्र को निष्फल कर देगी।
चार:
यह देश का सौभाग्य ही है कि हमे पूर्ण बहुमत वाली सरकार मिल गर्इ। यदि नरेन्द्र मोदी को लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिलता तो अब तक कांग्रेस की कुटिल नीति से दो तीन प्रधानमंत्री बना दिये जाते और आज राष्ट्र मध्यावदी चुनाव की तैयारी कर रहा होता। भविष्य में भी कोर्इ राजनीतिक दल अपने बल से पूर्ण बहुमत नहीं प्राप्त कर सकता। कांग्रेस सभी जगह से उखड़ गर्इ है और अपने बल पर केन्द्र में सरकार बनाना अब उसके लिए बहुुत मुश्किल है। अन्य राजनीतिक दलों में से कार्इ भी राजनीतिक दल ऐसा नहीं है, जो पचास से ज्यादा सीटे जीत सके। अत: केन्द्र में एक सुदृढ़ सरकार की आज जैसी आवश्यकता है, वैसी कल भी रहेगी। नरेन्द्र मोदी क्षमतावान नेता है, जिन पर भरोसा किया जा सकता हे।
पांच :
राजनेताओं, उद्योगपतियों और नौकरशाहों की देश विदेश में फैली अकूत सम्पति का पता लगने में यद्यपि मोदी सरकार को सफलता नहीं मिल रही है, परन्तु भविष्य में नहीं मिलेगी, यह सम्भव नहीं है। कांग्रेस या उसके समर्थन में किसी भी गठबंधन सरकार के बनते ही कालेधन के सारे मामले दब जायेंगे और देश हमेशा के लिए उस सच्चार्इ को नहीं जान पायेगा, जिसको जानने की उत्कंठा आज हर भारतीय के मन में है।
छ:
विरोधी दलों के असहायेग से काफी महत्वपूर्ण बिल संसद में लंबित है। जो राजनीतिक दल राष्ट्रीय महत्व को अपने राजनीतिक स्वार्थ से ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं, ऐसे राजनीतिक दलों को फिर सत्ता सौंपना या उनके लिए सत्ता पाने की परिस्थितियां पैदा करना एक दुर्भाग्यजनका स्थिति होगी। बिना किसी ठोस वजह के संसद में गतिरोध पैदा करने के कारण मोदी सरकार जनता से किये गये वादों को पूरा नहीं कर पा रही है। भारतीय नागरिकों के लिए अच्छे दिन लाने के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है, किन्तु जो लोग उनके कार्य में व्यवधान उपस्थित कर रहे हैं, वे यथा स्थिति बनाये रखने पक्षधर है। जो लोग देश के नागरिकों के सुख दुख से बढ़ कर अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए चिंतित रहते हैं, ऐसे लोगों का भारतीय राजनीति से अवसान करने के लिए हमे मोदी सरकार का समर्थन और सहयोग करना जरुरी है।
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