सोनियां गांधी दस वर्ष तक अथक प्रयास करती रही, परन्तु नरेन्द्र मोदी को अपराधी नहीं साबित कर पायी। वे मोदी को प्रधानमंत्री के रुप में नहीं देखना चाहती थी, इसलिए धर्मनिरपेक्षता के नाम पर केन्द्र में ऐसी सरकार बनाना चाहती थी, जिसका नियंत्रण उनके हाथों में हों। परन्तु उनकी लाख कोशिश के बावजूद भी उनका गुर विरोधी देश के प्रधानमंत्री बन गये और वो लाचार हो देखती रह गर्इ।
दरअसल सोनिया गांधी मोदी से भयभीत है। उनके पापों का घड़ा फूटने की आशंका से वे इन दिनों घबरार्इ हुर्इ है। अपनी खीझ को वे संसद में हंगामा करवा कर प्रकट कर रही है। उनके अनुयायी सरकार पर आरोप लगा कर हंगामा करते हैं और सरकार को अपना पक्ष रखने से रोक रहे हैं। उनका प्रयोजन सरकार के विरुद्ध दुष्प्रचार कर उसे विधायी कार्य करने से रोकना है। सोनियां गांधी स्वयं महा भ्रष्ट राजनेता है। दस वर्षों में बारह लाख करोड़ के घोटालें उनकी मनमोहन सरकार ने किये है। अत: भ्रष्टाचार को ले कर इतना आहत होने का कोर्इ कारण नहीं हैं। इन दिनों जिस तरह वे बौखला रही है,उसके निम्न प्रमुख कारण है:-
एक: ज्यों-ज्यों कोलगेट प्रकरण की पर्ते खुल रही है, उससे लगता है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम कोर्ट का समन जारी होगा। यदि इस समय किसी सेक्रेटरी ने सच उगल दिया, तो सोनियां गांधी कठघरें में खड़ी हो जायेगी, क्योंकि सारे घोटालों के पीछे उनका हाथ था और लूट का धन उनके पास आता था। सम्भव है कभी वह रहस्य भी खुल जाये, जिससे यह मालूम हो जाय कि किस व्यक्ति ने कब और कितना धन सोनियां गांधी के किस विदेशी खाते में जमा करवाया। मोदी सरकार भारतीयों के विदेशी खातों की गहन जांच-पड़ताल कर रही है, यदि सरकार के हाथ सोनिया या राहुल के किसी विदेशी खाते का पता लग गया तो उस अथाह सम्पति की जानकारी देश को मिल जायेगी, जिसको यह परिवार वर्षो से छुपा रहा था। ऐसा होने पर निश्चित रुप से उनका राजनीतिक जीवन समाप्त हो जायेगा।दो: पांच हजार करोड़ के नेशनल हैरल्ड घोटालें की सोनियां गांधी अभियुक्त है और उनका अपराध एक न दिन न्यायालय में साबित होना ही है। कांग्रेस पार्टी के प्रभावी वकील जांच कार्यवाही को शिथिल करने का प्रयास कर रहे हैं, किन्तु कब तक वे ऐसा करते रहेंगे। सच तो सच ही है, जिसे छुपाना इतना आसान भी नहीं है।तीन: सोनियां गांधी का दामाद उनके गले की फांस बन गया है। राजस्थान और हरियाणा में उनके द्वारा किये गये जमीन घोटालों का सच देश के सामने आ गया है। बिकानेर में जो घोटला किया है, उससे उनके नाम समन जारी हो सकता है। मामले की गम्भीरता को देखते हुए उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। यदि ऐसा हुआ तो इस परिवार की प्रतिष्ठा पर भारी वज्रपात होगा।चार: राहुल गांधी ने दस वर्षों में जो विदेशी दौरे किये हैं, उसकी भी छान-बिन हो रही है। वे विदेश में कहां रहते हैं, किससे मिलते हैं। अय्यासी में कितना रुपया फूंकते हैं, इसका सच यदि मालूम पड़ गया तो श्रीमान की हवा निकल जायेगी। सम्भव है कांग्रेसियों को गूस्सा फूट पड़े ओर उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनने से रोक दें।पांच: लालित गेट मामले को जितना उछाला जायेगा, उससे कांग्रेस को भारी नुकासान होगा, क्योंकि सुषमा स्वराज ने तो ब्रिटिश हार्इ कमिश्नर के पास एक चिट्ठी ही भेजी थी। सट्टे में कमाये धन की भागीदारी तो उनकी कांग्रेसी नेताओं के साथ थी। यदि ललित गेट का सच उजागर हो गया तो जो लोग संसद में चिल्ला रहे हैं, उनकी जबान पर सदा के लिए ताला लग जायेगा। ऐसा होने पर भविष्य में उनकी बकवास को कभी महत्व नहीं मिलेगा। वैसे भी ललित मोदी को ले कर जिन दो नेताओं पर आरोप लगाये जा रहे हैं, उनमें ऐसे कोर्इ तथ्य नहीं है, जिससे उन्हें अपराधी घोषित किया जा सके।छ: व्यापमं घोटाले के शुरुआत दिग्विजय सिंह के कार्यकाल से हुर्इ। जो अफसर और नेता इस घोटाले से जुड़े हुए हैं, वे कभी दिग्विजय सिंह के विश्वस्त व्यक्ति रहे थे। जांच कार्यवाही पूरी होने और परिणाम आने के पहले दिग्विजय सिंह राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं, इसीलिए वे इस प्रकरण को बहुत ज्यादा तुल दे रहे हैं। वे जानते हैं कि जब तक शिवराज सिंह मध्य प्रदेश की राजनीति से हटेंगे नहीं तब तक मध्यप्रदेश की राजनीति में कांग्रेस का कोर्इ भविष्य नहीं है। व्यापमं घोटाले के बहाने शिवराज सिंह को हटाना ही कांग्रेस का मुख्य प्रयोजन है, किन्तु भय यह सत्ता रहा है कि कहीं इसकी व्यापक जांच से वे व्यक्ति घेरे में नहीं आ जाय, जिनका किसी न किसी तरह कांग्रेस से संबंध रहा है। व्यापम मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं है, इसका विस्तार उन राज्यों में भी है जहां कांग्रेसी सरकारे थी, या है। राजस्थान में ऐसे कर्इ मामले प्रकाश में आये, जिसे सरकार ने दबा दिया। सीबीआर्इ जांच से यदि चौंकाने वाले तथ्य सामने आ गये, तो कांग्रेस के पांवों के नीचे से जमीन खिसक जायेगी। एक ऐसा मुद्धा जिसे ले कर देश व्यापी लाभ उठाया जा सकता है, उससे कांग्रेस को कोर्इ लाभ नहीं मिलेगा।सात: सोनियां गांधी इसलिए भी भयभीत हैं, क्योंकि नरेन्द्र मोदी एक परिपक्क राजनेता बन कर उभरे हैं, जिन्होंने बहुत कम समय में अपनी अन्तरराष्ट्रीय छवि बना ली है। देश में भी वे लोकप्रिय प्रधानमंत्री है और जनता का उनसे मोहभंग नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री और उनके मंत्रीमण्डल के अन्य सहयोगियों पर किसी तरह के भ्रष्टाचार का आरेाप नहीं लगे है। मोदी सरकार के प्रयासों से देश की अर्थव्यवस्था ठीक हो रही है और सरकार अन्य समस्याओं को सुलझाने में जी तोड़ मेहनत कर रही है। मीडिया के साथ मिल कर मोदी सरकार की आलोचना करने के बाद भी कांग्रेस को विशेष सफलता नहीं मिली है। दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी के विराट व्यक्तित्व के समक्ष राहुल का व्यक्तित्व बहुत बौना है। चार साल बाद राहुल के भरोसे कांग्रेस नरेन्द्र मोदी का मुकालबा कर पायेगी, इस पर आज कोर्इ यकीन नहीं कर रहा है। वैसे भी भाजपा बढ़ रही है और कांग्रेस घट रही है। सम्भवत: इसीलिए सोनिया गांधी ने मोदी सरकार से टकराने का साहस किया है, जो दरअसल अपना अस्तितव बचाने की लडार्इ है, जिसमें उनकी पराजय निश्चित दिखार्इ दे रही है।
सोनिया गांधी को काग्रेस के भविष्य की नहीं, अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य की चिंता है। वे इसलिए भी चिंतित है कि यदि नरेन्द्र मोदी का भारत की राजनीति में प्रभाव कम नहीं हुआ, तो कांग्रेस एक न एक दिन बिखर जायेगीं। कांग्रेस की कमान उनके हाथ से जाते ही उनका भारत में अपने परिवार का कोर्इ भविष्य नहीं दिखार्इ रहेगा। देश छोड़ कर जाना ही उनके लिए एक मात्र विकल्प बचेगा।
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