पेरिस में आयोजित क्लाइमेट कांफ्रेंस में विश्व के तमाम नेताओं के साथ भारत ने भी ग्लोबल वार्मिंग पर चिंता जाहिर की है। साथ ही इस समस्या का समाधान निकलने पर सहमति जताई है। हालांकि भारत ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरों, डीजल की खपत घटाने और बिजली पर रेलवे की निभर्रता को कम करने की दिशा में पहले ही अपना कदम बढ़ा चुका है। रेलवे के इस प्रयास से न केवल ईंधन के बोझ को कम किया जा सकेगा, बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित होगा।
500 ट्रेनों की छत पर सोलर पैनल लगाने की योजना:
सरकार ने पायलट प्रोजेक्टस के तहत सोलर ट्रेन के ट्रायल को मिली सफलता के बाद 500 ट्रेनों की छत पर सोलर पैनल लगाने की एक बड़ी योजना बनाई है। दरअसल साल 2013-14 में रेलवे बिजली का सबसे बड़ा उपभोक्ता रहा। इस दौरान रेलवे ने 17.5 अरब किलोवाट बिजली कंज्यूम की जो देश के कुल बिजली उत्पादन का 1.8 फीसदी है। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सोलर ट्रेन से रेलवे को हर साल एक नॉन एसी कोच से 1.24 लाख रुपए की बचत होगी। अगर प्रयोग सफल रहा तो भारतीय रेलवे सोलर ट्रेन का संचालन करने वाला दुनिया का पहला देश होगा, क्योंकि भारतीय रेलवे पहले से ही एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।
साल भर में नॉन एसी कोच से 1.24 लाख रुपए की बचत:
सोलर पावर के इस्तेमाल से रेलवे को हर साल एक नॉन एसी कोच से करीब 1.24 लाख रुपए की बचत होगी। दरअसल ट्रेन में सोलर पावर के उपयोग से डीजल की खपत के साथ प्रदूषण भी कम होगा। रेलवे अधिकारियों के अनुसार ट्रेनों में सोलर पावर का उपयोग करने से रेलवे को एक ट्रेन पर हर साल 90 हजार लीटर डीजल की खपत को कम करने में मदद मिलेगी। साल 2013-14 में रेलवे द्वारा किए गए कुल खर्च 1.27 लाख करोड़ रुपए में से फ्यूल पर 28,500 करोड़ रुपए (22 फीसदी) खर्च हुए।
सफल रहा सोलर ट्रेन का ट्रायल:
सोलर पावर से ट्रेनों के परिचालन का ट्रायल सफल रहा है, जिससे उत्साहित होकर भारत सरकार ने अगले पांच साल में 500 ट्रेनों की छत पर सोलर पैनल लगाने की योजना बनाई है। रेलवे ने बिजली के विकल्प के तौर पर सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने की योजना के तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में रेवाड़ी-सीतापुर पैसेंजर ट्रेन की छत पर सोलर पैनल लगाए, जो सफल रहा। रेलवे ने रेवाड़ी-सीतापुर पैसेंजर ट्रेन की नॉन-एसी बोगियों पर सोलर पैनल लगाए हैं, जिसके ऊपर 3.90 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। इससे रेलवे को हर साल 1.24 लाख रुपए की बचत होगी।
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