Wednesday, 9 December 2015

भारत के ऑपरेशन ‘दृढ़ संकल्प’ से उड़ी 

पाकिस्तानी हुक्मरान की नींद ..!


जैसलमेर। राजस्थान के जैसलमेर में भारतीय सेना का ऑपरेशन ‘दृढ़ संकल्प’ युद्धाभ्यास का मकसद था सेना को नए खतरे से निपटने के लिए कम से कम वक्त में तैयार करना। इस ऑपरेशन के लिए भारत की तैयारी इतनी ज्यादा थी कि सीमा पार पाकिस्तान के हुक्मरान चिंता में पड़ गए थे।
एक धमाका, फिर दूसरा धमाका, चारों तरफ गोलियों की आवाज से थर्राता माहौल, ये दुश्मन को चुनौती है उस काल्पनिक दुश्मन को जो आतंकियों के भेष में राजस्थान के इस गांव में छिपा हुआ है। भारतीय सेना के जांबाजों का साथ देने के लिए रूसी सेना के सैनिक भी मौजूद हैं। भारतीय सैनिकों के पास है एके-47 तो रूसी सैनिकों के पास है एके-74, यहां उस काल्पनिक हालात का मुकाबला किया जा रहा है जिसमें दुश्मन ने एक गांव में कुछ लोगों को बंधक बना लिया है। ऑपरेशन ‘दृढ़ संकल्प’ के तहत इस कार्रवाई में 10 आतंकियों को ढेर करके गांववालों को आजाद करा लिया गया।
भारत के ऑपरेशन ‘दृढ़ संकल्प’ से उड़ी पाकिस्तानी हुक्मरान की नींद!
भारतीय सेना की इसी ताकत से तो डरता है पाकिस्तान। आपको बता दें कि साल 2011 से अब तक पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर चार बड़े युद्ध अभ्यास कर चुका है।
देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का यही जुनून भारतीय सेना की ताकत है। इसी ताकत से तो डरता है पाकिस्तान। आपको बता दें कि साल 2011 से अब तक पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर चार बड़े युद्ध अभ्यास कर चुका है। लेकिन जब पाकिस्तान को पता चला कि भारत जैसलमेर में ऑपरेशन दृढ़ संकल्प करने वाला है तो उसकी नींद उड़ गई। प्रोटोकॉल के अलावा भी पाकिस्तान ने भारत से इस बारे में कई सवाल पूछे।
दरअसल पाकिस्तान सेनाप्रमुख दलबीर सिंह सुहाग के सितंबर में दिए बयान से भी डरा हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि सेना को सीमा पर छोटे युद्ध के लिए हर वक्त तैयार रहना चाहिए। लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष ओझा, प्रवक्ता, भारतीय सेना ने कहा कि आर्मी चीफ के बयान का मतलब यही है, हमारा मकसद कम्यूनिकेशन के साथ रीयल टाइम पर टारगेट हिट करना और सेना की आक्रामकता बढ़ाने से है।
दरअसल 2001 में हुए ऑपरेशन पराक्रम के बाद अब सेना की रणनीति में काफी बदलाव किया गया है। उस वक्त ये बात सामने आई थी कि मुकाबले के वक्त सेना संगठित तौर पर जिस रफ्तार से आगे बढ़नी चाहिए थी। उतनी तेजी से नहीं बढ़ रही। इसके बाद सेना ने अपने युद्ध लड़ने के तरीके में काफी बदलाव किया। ऐसे युद्ध अभ्यासों के जरिए अब सेना लड़ाई के वक्त तेजी से आगे बढ़ने में महारत हासिल कर चुकी है। ये एक ऐसी ताकत है। जो दुश्मन को संभलने का मौका नहीं देती। ऑपरेशन दृढ़ संकल्प में इसी ताकत को और मजबूत करने के लिए मिसाइलों से लेकर कई और आधुनिक तकनीकों से सैनिकों को रूबरू कराया गया।

पलक झपकते ही दुश्मन के विमान 

 कैसे उड़ा देता है भारतीय रडार सिस्टम ..?

 वदलते वक्त में जरूरी हो गया है कि दुश्मन के विमान को हमले का मौका ही नहीं दिया जाए। इसके लिए जरूरी है बेहतरीन रडार सिस्टम। ऑपरेशन ‘दृढ़ संकल्प’ के जरिए भारतीय सेना ने अपने आधुनिक रडारों के जरिए आकाश में ही विमानों को नेस्तनाबूत करने का पराक्रम भी दिखाया।
भारतीय सेना का आधुनिक नेटवर्क रडार सिस्टम की खासियत वो रेडियो तरंगें हैं जिनकी मदद से दुश्मन के हथियारों और विमानों की जानकारी पलक झपकते ही थ्री-डी स्वरूप में सेना के पास आ जाती है। इससे सिर्फ ये ही पता नहीं चलता कि दुश्मन का विमान कितनी दूर है, बल्कि रडार सिस्टम ये भी जानकारी दे देता है कि विमान कितना बड़ा है और कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। सटीक जानकारी इस रडार सिस्टम में आते ही ये ऑटोमेटिक गन मिसाइल के जरिए उस विमान को आसमान में ही उड़ा देता है।
पढ़ें: पलक झपकते ही दुश्मन के विमान को कैसे उड़ा देता है भारतीय रडार सिस्टम?
वदलते वक्त में जरूरी हो गया है कि दुश्मन के विमान को हमले का मौका ही नहीं दिया जाए। इसके लिए जरूरी है बेहतरीन रडार सिस्टम।

भारतीय सेना की एक और ताकत है टी-90 टैंक, 46 हजार 500 किलो वजनी ये टी-90 टैंक भारतीय सेना के सबसे मजबूत हथियारों में से एक है। भारत के पास ऐसे 500 टैंक हैं। इस टैंक से गोले से लेकर मिसाइल तक दागी जा सकती है।
ऑपरेशन ‘दृढ़ संकल्प’ में सेना की एक और ताकत दिखाई गई। ये है एंटी एयरक्राफ्ट गन, ऑपरेशन दृढ़ संकल्प में इस आधुनिक गन की ताकत भी परखी गई। ये सैन्य अभ्यास सेना के लिए कितना अहम रहा, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अपने कमांडरों के साथ सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग भी यहां पहुंचे। जनरल सुहाग ने अपने बहादुर जवानों का हौसला बढ़ाया।








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