Tuesday, 1 March 2016

दुनिया में हिन्दुओं के साथ सबसे अधिक असहिष्णुता


Most intolerance with hindu in the world
ताज साहित्य उत्सव में डॉ. डेविड फ्राउले ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि दुनिया में हिन्दुओं के साथ सबसे अधिक असहिष्णुता हो रही है।
आगरा. होटल क्लार्क शिराज में चल रहे ताज लिटरेचर फेस्टिवल (टीएलएफ) के दूसरे दिन हिन्दू धर्म की सहिष्णुता व असहिष्णुता पर जमकर बहस चली। बीईंग ए हिन्दू कार्यक्रम के तहत डॉ. डेविड फ्राउले ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि भारत में हिन्दू क्या सहिष्णुता करते हैं, दुनिया में हिन्दुओं के साथ सबसे अधिक असहिष्णुता हो रही है।�

हिन्दू कोई धर्म नहीं
वहीं साहित्य उत्सव की गरिमा के अनुसार ही वक्ताओं के विचारों का विरोध भी किया। एक दर्शक ने कहा कि हिन्दू कोई धर्म नहीं है और जीवन जीने की एक कला है। उसने उदाहरण दिया कि देश के हजारों हिन्दू बच्चे मिशनरी स्कूल में पढते हैं, कितने ईसाई व मुसलमानों के बच्चे गुरुकुल में पढ सकते हैं।�

दाराशिकोह की हत्या क्योंकि वह सहिष्णु था�
वहीं दूसरी ओर यह भी चर्चा में सामने आया कि औरंगजेब जैसे कू्र शासक के नाम पर दिल्ली पर रोड रखने की जरूरत नहीं है, लेकिन इसका नाम क्या हो। इसका नाम दाराशिकोह रोड क्यों नहीं हो जाना चाहिए। वो दाराशिकोह, जिसकी हत्या इसलिए कर दी गई कि वह हिन्दुओं के लिए सहिष्णु था, साहित्य के लिए सहिष्णु था। इसलिए इतिहास को इस नजर से भी देखा जाना चाहिए।

महिषासुर का मर्दन हुआ, हत्या नहीं
वहीं इसके अलावा कार्यक्रम में जेएनयू में मां दुर्गा के लिए अपशब्दों का प्रयोग, भृगु ऋषि, परशुराम आदि के चरित्रों पर भी चर्चा हुई। यह भी कहा गया कि महिषासुर की हत्या शब्द नहीं है, महिषासुर मर्दन है। इसका तात्पर्य है कि असुरों का मर्दन हुआ है, यह अलग बात है कि महिषासुर ने शक्ति शिव व ब्रह्मा से ही ली थी। परिचर्चा में हिंडोल सेन गुप्ता और संजीव सान्याल ने भाग लिया। सुजाता, कृति आदि ने सवाल पूछे।

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