भारतीय इतिहास के दस महानतम शासक
6. शिवाजी
शिवाजी भोसले मराठा साम्राज्य के महानतम राजा व संस्थापक थे। भोंसले मराठा वंश से जयजयकार, वह अपनी राजधानी के रूप में रायगढ़ के साथ एक स्वतंत्र मराठा साम्राज्य बनाया। उन्हें बीजापुर के आदिलशाही सल्तनत और मुगल साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष में अग्रणी होने के लिए छत्रपति के रूप में ताज पहनाया गया था। वह एक महान योद्धा और मुगलों के खिलाफ भारत के सबसे एकजुट नायक के रूप में याद किया जाता है।
कुछ चुनिन्दा लोगो का एक दल बनाकर उन्होंने उन्नीस वर्ष की आयु में ही पूना के निकट तीरण के दुर्ग पर अधिकार जमा लिया था ..
1. एक बार शिवाजी की सेना के एक सैनिक ने एक मुगल किलेदार की एक जवान और अति सुंदर युवती को उसके घर से उठा लिया और उसकी सुंदरता पर मुग्ध होकर उसने उसे शिवाजी के समक्ष पेश करने की ठानी. वह उस युवती को बिठाकर शिवाजी के पास ले गया.
जब शिवाजी ने उस युवती को देखा तो वह उसकी सुंदरता की तारीफ किए बिना नहीं रह सके लेकिन उन्होंने उस युवती की तारीफ में जो कहा वह कुछ इस तरह से था “काश! हमारी माता भी इतनी खूबसूरत होतीं तो मैं भी खूबसूरत होता.”
इसके बाद वीर शिवाजी ने अपने सेनापति को डांटते हुए कहा कि वह इस युवती को जल्द से जल्द उसके घर ससम्मान छोड़ आएं. साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वह दूसरे की बहू-बेटियों को अपनी माता की तरह मानते हैं.
2. शिवाजी के साहस का एक और किस्सा प्रसिद्द है . तब पुणे के करीब नचनी गाँव में एक भयानक चीते का आतंक छाया हुआ था . वह अचानक ही कहीं से हमला करता था और जंगल में ओझल हो जाता. डरे हुए गाँव वाले अपनी समस्या लेकर शिवाजी के पास पहुंचे .
” हमें उस भयानक चीते से बचाइए . वह ना जाने कितने बच्चों को मार चुका है , ज्यादातर वह तब हमला करता है जब हम सब सो रहे होते हैं.”
शिवाजी ने धैर्यपूर्वक ग्रामीणों को सुना , ” आप लोग चिंता मत करिए , मैं यहाँ आपकी मदद करने के लिए ही हूँ .”
शिवाजी अपने सिपाहियों यसजी और कुछ सैनिकों के साथ जंगल में चीते को मारने के लिए निकल पड़े . बहुत ढूँढने के बाद जैसे ही वह सामने आया , सैनिक डर कर पीछे हट गए , पर शिवाजी और यसजी बिना डरे उसपर टूट पड़े और पलक झपकते ही उस मार गिराया. गाँव वाले खुश हो गए और “जय शिवाजी ” के नारे लगाने लगे.
3. शिवाजी के पिता का नाम शाहजी था . वह अक्सर युद्ध लड़ने के लिए घर से दूर रहते थे. इसलिए उन्हें शिवाजी के निडर और पराक्रमी होने का अधिक ज्ञान नहीं था. किसी अवसर पर वह शिवाजी को बीजापुर के सुलतान के दरबार में ले गए . शाहजी ने तीन बार झुककर सुलतान को सलाम किया, और शिवाजी से भी ऐसा ही करने को कहा . लेकिन , शिवाजी अपना सर ऊपर उठाये सीधे खड़े रहे . विदेशी शासक के सामने वह किसी भी कीमत पर सर झुकाने को तैयार नहीं हुए. और शेर की तरह शान से चलते हुए दरबार से वापस चले गए.
No comments:
Post a Comment