दुनिया किस्म किस्म के आश्चर्यों से भरी पड़ी है. ऐसा ही एक आश्चर्य कैलिफ़ोर्निया यानि अमेरिका में भी होता है. वहां डेथ वैली यानि मौत की घाटी के नाम से प्रसिद्ध एक जगह है. इस घाटी की ख़ास बात ये है कि यहाँ कई पत्थर हैं जो सूखी हुई एक झील के तल पर, रेत पर पड़े होते हैं. इनमें से कई का वजन सौ किलो से ऊपर भी है.
आश्चर्यजनक बात ये है कि ये भारी-भरकम पत्थर अपने आप खिसक रहे होते हैं. रेत पर फिसलने की वजह से घिसटने का निशान भी होता है. कोई गोल घुमावदार लकीर खिंच गई होती है कभी, कभी कोई आड़ी टेढ़ी सी लकीर खिंची होती है. लेकिन मिट्टी पर और कोई क़दमों के निशान नहीं होते.
यानि किसी आदमी या जानवर ने पत्थर को धकेला नहीं होता. हवा से इतना भारी पत्थर एक इंच भी खिसक जाए ये भी मुमकिन नहीं है. इन पत्थरों को अपने आप खिसकते हुए भी किसी ने नहीं देखा. लेकिन एक जगह से खिसक कर दूसरी जगह आ जाते हैं पत्थर, वो भी अपने आप !
किस वजह से ऐसा होता है ये अभी तक पता नहीं चल पाया है. पत्थरों के अपने आप खिसकने में कई लोग “भगवान का हाथ” होना भी मान सकते हैं. मेरा ख़याल है कि जो तस्वीर में रेत आपको नजर आ रही है उसे देख कर आपको गर्मी जरूर याद आ गई होगी.
आज कल आम तौर पर पारा 45 डिग्री सेल्सिअस के आस पास ही होता है. प्रबल संभावना है कि आपके घर के किचन में बाकी पूरे घर की तरह, कूलर या AC भी नहीं लगा होगा. वहां जो दिन में काम करती है उसे किसी तनख्वाह का लालच भी नहीं होता. फिर भी हर रोज़ वो बड़े प्यार से ऐसी गर्मी में चूल्हे के सामने खाना बनाती है.
बाकी दुनिया में रोज़ होने वाले आश्चर्यों को पास से देखना हो तो आज सन्डे है, छुट्टी होगी. दोपहर का खाना जितनी देर में बने, उतने वक्त अपने ही किचन में खड़े हो जाइए. एक आश्चर्य तो घर में ही दिख जाएगा.
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