एक चालीस वर्षीय ईसाई महिला नेसारिपू ने ऊटी में आठ मंदिरों की कई मूर्तियों को पत्थर मारकर तोड़ दिया... कुछ विदेशी सैलानियों ने उसकी इस हरकत की वीडियो रिकॉर्डिंग कर ली. हिन्दू संगठनों के कुछ लोग एकत्रित हुए, और इस महिला को पुदुमुंद पुलिस थाने ले गए, जहाँ उसकी गिरफ्तारी हुई...
अब मामले में ट्विस्ट ये आया है कि ईसाई संगठनों ने दावा किया है कि ये महिला मानसिक रूप से विक्षिप्त है... इसलिए इसे छोड़ दिया जाए... लेकिन मेरा कहना है कि ये महिला इतनी भी विक्षिप्त नहीं है, कि चर्च में यीशु की मूर्ति पर पत्थर बरसाए... इसलिए जब तक इसकी "सेकुलर विक्षिप्तता" ठीक नहीं हो जाती, इसे जेल में ही रखा जाए... और यदि जेल से छूटने के बाद यह महिला कुछ चर्चों में मदर मेरी की मूर्ति को भी तोड़ती है, तब इसे पूर्ण रूप से विक्षिप्त मानकर केस बन्द कर दिया जाए...
लेकिन एक तो महिला, ऊपर से अल्पसंख्यक... अब देखते हैं क्या होता है...
Suresh Chiplunkar
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पवन अवस्थी
मनमोहन सरकार ने भारतीय जेलों से निकाल चुपके से
पकिस्तान को सौप दिए थे 25 हार्डकोर पाकिस्तानी आतंकी ...
सोनिया की मनमोहन सरकार ने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन '' जैश ए मोहम्मद के 25 हार्डकोर आतंकियों को चुपके से पकिस्तान भेज दिया था \.?
वर्ष 2010 के मई महीने की 28 तारीख .भारत में जम्मू, श्रीनगर, आगरा. नैनी.वाराणसी , तथा दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के 25 हार्ड कोर आतंकियों को जेलों से निकाल के भारत पकिस्तान सीमा के वाघा इलाके के जरिये पकिस्तान को सौप दिया था मनमोहन सरकार ने और भारत की मीडिया तथा आम जनता को खबर भी नहीं लगने दी गयी ..कांग्रेस ने ये आतंकी पकिस्तान से सम्बन्ध सुधारने के लिए चुपके से पकिस्तान भेज दिए ...इसमें से एक आतंकी शाहिद लतीफ इसी वर्ष पठानकोट में इन्डियन एयर फ़ोर्स स्टेशन पठानकोट पर हुए फियादीन हमले का मास्टरमाईंड है !!
पवन अवस्थी
UPA ने जिसे छोड़ा था, उसी ने दिया पठानकोट हमले को अंजाम
नई दिल्ली। मनमोहन सिंह की सरकार ने 2010 में पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के लिए जैश के जिस आतंकी शाहिद लतीफ को रिहा किया था वह पठानकोट एयरबेस पर हमला करने वाले फिदायीन दस्ते का मुख्य हैंडलर था।
उच्च-स्तरीय सूत्रों ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि 47 साल की लतीफ 11 साल से जेल में बंद था। वह लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल-उल-मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद के उन 25 आतंकियों में शामिल था जिसे 28 मई 2010 को रिहा किया गया था। ये सभी जम्मू, श्रीनगर, आगरा, वाराणसी, नैनी (यूपी) और दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे और इन्हें वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान भेजा गया था।
आश्चर्यजनक रूप से, लतीफ की रिहाई की मांग दिसंबर 1999 में एयर इंडिया विमान IC-814 हाईजैक करने वाले जैश आंतकियों ने भी की थी। तत्कालीन केंद्र की वाजपेयी सरकार ने लतीफ और 31 अन्य आतंकियों की रिहाई की मांग ठुकरा दी थी। हालांकि 154 यात्रियों के बदले जैश अपने चीफ मौलाना मसूद अजहर और दो अन्य आतंकियों को रिहा कराने में कामयाब रहा था। लतीफ भारत में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्य हैंडलर है।
IC-814 हाईजैकिंग और 2001 में जैश मॉड्यूल द्वारा अंजाम दिए गए संसद हमले के बाद लतीफ को जम्मू-कश्मीर जेल से 2002 में वाराणसी के सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। सुरक्षा एजेंसियों को इस बाद का अंदेशा था कि लतीफ के साथी उसे छुड़ाने के लिए दूसरी कोशिशें भी कर सकते हैं।
पाकिस्तान के गुजरानवाला में अमीनाबाद कस्बे का रहने वाला लतीफ मसूद अजहर का काफी करीबी माना जाता है। लतीफ जैश के सियालकोट क्षेत्र को लीड करता है और जैश लड़ाकों को भारत भेजने में अहम भूमिका निभाता है।
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