Wednesday 18 May 2016

भारत का पहला 'संस्कृत रॉक बैंड'...

भोपाल का 'ध्रुव रॉक बैंड' कई मायनों में अलग है क्योंकि ये ख़ुद को देश का पहला संस्कृत रॉक बैंड बताता है.
यह बैंड ऋग्वेद के मंत्रों को क्लासिकल और वेस्टर्न म्यूज़िक के साथ तैयार कर रहा है.
इस बैंड ने अपनी पहली प्रस्तुति मार्च में दी और 10 सदस्यों वाले इस बैंड को अब कई जगह परफॉर्मेंस देने के बुलावे मिलने लगे हैं.
इस बैंड को बनाने वाले डॉ. संजय द्विवेदी ने बीबीसी को बताया, ”हमारा मक़सद संस्कृत को आम भाषा बनाना है. इसे कुछ वजहों से लोगों ने कुछ विशेष लोगों के लिए बना दिया था. समय के साथ हम संस्कृत को आसान नहीं बना पाए. हमारी कोशिश इसे आम लोगों तक पहुंचाने की है.”
संजय बताते हैं, "पहली परफॉर्मेंस में ही लोगों ने इस बैंड को काफ़ी सराहा. लोग और सुनने का आग्रह कर रहे थे."उनका कहना है कि इस विधा में वो जो भी करेंगे वो पहली बार होगा, यही उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
संस्कृत में पीएचडी संजय ने इस बैंड के साथ ऐसे लोगों को जोड़ा है जो हर तरह से अपनी विधा में परांगत हैं.
वैभव संतूर और ज्ञानेश्वरी बैंड में गायक हैं.
वैभव बताते हैं, “संस्कृत में एक-एक शब्द के उच्चारण का महत्व है. उच्चारण में ज़रा सी ग़लती से शब्दों के अर्थ बदल सकते हैं. यही वजह है कि हर रोज़ चार-चार घंटे रियाज़ करना पड़ता है.”
एआर रहमान संगीत अकादमी से ट्रेनिंग पाने वाले सन्नी शर्मा बैंड के ड्रमर है. सन्नी शर्मा ने एमटीवी के लिए भी परफ़ॉर्म किया है.

सूफ़ी संगीत से प्रेरणा?

ग्यानेश्वरी परसाई
Image captionग्यानेश्वरी परसाई बैंड की गायिका हैं.
उन्होंने बीबीसी को बताया, “संस्कृत श्लोकों में ड्रम के उपयोग की गुंजाइश बहुत कम थी. लेकिन इस पर भी काम किया गया और अब ड्रम का भी बख़ूबी उपयोग किया जा रहा है.”
संजय द्विवेदी मानते हैं कि सूफी संस्कृत का ही हिस्सा है. यही वजह है कि सूफी संगीत हमारे दिल को छूता है और सुकून भी देता है.
बैंड से जुड़े सभी लोग मानते हैं कि उन्होंने कल्पना ही नहीं की थी कि वो अपने हुनर का उपयोग इस तरह के बैंड के लिए करेंगे.
ध्रुव रॉक बैंड



ध्रुव संस्कृत बैंड


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