Monday, 2 May 2016

देश में बनी पहली पनडुब्बी ‘कलवेरी’

 परीक्षण के लिए रवाना...

देश में निर्मित पहली पनडुब्बी ‘कलवेरी’ का समुद्री परिक्षण शुरू हो गया है। इसके लिए भारी
 वजन वाले टॉरपीडो को खरीदने की योजना वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के घोटाले के कारण
 अटकी हुई है।

इसके बावजूद रडार से बच निकलने में सक्षम इस पनडुब्बी को परिक्षण के लिए

 1 मई को मुंबई हार्बर से रवाना किया गया।

पानी के अंदर 40 से 50 दिन रहने की क्षमता वाली इस पनडुब्बी को अक्टूबर 

2015 में समुद्र में उतारा गया था। इस मौके पर नौसेना के एक अधिकारी ने कहा

 कि ‘कलवरी का समुद्री परीक्षण आज शुरू हो गया है। यह हम सब के लिए

 गौरवपूर्ण क्षण है।’

भारतीय नौसेना में यह 16 साल बाद है, जब कोई परंपरागत डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी शामिल
 होने जा रही है।

इस पनडुब्बी का परीक्षण करीब पांच से छह महीने तक चलेगा। परिक्षण के 

सफल होने के बाद ही अनुमान है कि इसे साल के अंत तक नौसेना में शामिल कर

 लिया जाएगा।

कलवेरी भारत की उन छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों में पहली है, जिनका निर्माण
 परियोजना 75 के तहत किया जा रहा है। इन पनडुब्बियों का निर्माण फ्रांसीसी कंपनी
 डीसीएनएस के सहयोग से मुंबई की मझगांव डॉक लिमिटेड में किया जा रहा है।
हालांकि, पनडुब्बी के लिहाज से भारी वजन वाले टॉरपीडो खरीदने की योजना रक्षा
 मंत्रालय में अटकी हुई है। बावजूद इसके कि नौसेना राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों का हवाला 
देते हुए इसके लिए जोर दे रही है।

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर के धवन ने इन टॉरपीडो को खरीदने को लेकर कहा

 है कि रक्षा मंत्रालय इस पर अंतिम निर्णय लेगा।

दिक्कत यह है कि जिस फिनमेकनिका कंपनी से टॉरपीडो खरीदना है, उस पर 

बैन लग चुका है। यह वही कंपनी है जिस पर वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे 

में दलाली को लेकर हंगामा मचा हुआ है।

वैसे इन पनडुब्बी में फ्रांस में बनी एक्सोसेट मिसाइल लगी है जिससे ये जमीन पर और
 किसी जहाज को मार गिराने में सक्षम है।

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