कामधेनु गौशाला (नूरमहल) में नवीन तकनीक ETT (Embryo Transplant Technique) से उत्तम नस्ल की साहीवाल गौ 'नंदिनी' से चार बछड़े-बछड़ियों का जन्म हुआ है। पंजाब के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। GADVASU यूनिवर्सिटी (लुधियाना) के वैज्ञानिकों की टीम ने इस तकनीक को दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की कामधेनु गौशाला में प्रयोग किया जिससे यह महत्वपूर्ण परिणाम सामने आया। साहीवाल नस्ल की गायों को बढ़ावा देने के लिए संस्थान का यह प्रयास एक मील का पत्थर साबित होगा।
ETT तकनीक की ख़ूबसूरती यही है कि हम एक अच्छी गाय से एक साल में ही 4 से लेकर 7 तक बछड़े-बछड़ियाँ ले सकते हैं। 'नंदिनी' नामक इस साहीवाल गाय ने नूरमहल गौशाला में एक दिन में 21 kg दूध दिया है। ETT से नंदिनी से 2 बछड़े अौर 2 बछड़ियाँ पैदा हुए हैं। दोनों बछड़े बड़े होकर नस्ल सुधार में बहुत बड़ा योगदान देगे। पीड़ी दर पीड़ी होने वाले इस नस्ल सुधार से देश में अच्छा दूध देने वाली देसी नस्ल की गायों की संख्या बड़ेगी।
कामधेनु गौशाला का यह प्रयास सिर्फ़ पंजाब ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए लाभदायक सिद्ध होगा।
ETT तकनीक की ख़ूबसूरती यही है कि हम एक अच्छी गाय से एक साल में ही 4 से लेकर 7 तक बछड़े-बछड़ियाँ ले सकते हैं। 'नंदिनी' नामक इस साहीवाल गाय ने नूरमहल गौशाला में एक दिन में 21 kg दूध दिया है। ETT से नंदिनी से 2 बछड़े अौर 2 बछड़ियाँ पैदा हुए हैं। दोनों बछड़े बड़े होकर नस्ल सुधार में बहुत बड़ा योगदान देगे। पीड़ी दर पीड़ी होने वाले इस नस्ल सुधार से देश में अच्छा दूध देने वाली देसी नस्ल की गायों की संख्या बड़ेगी।
कामधेनु गौशाला का यह प्रयास सिर्फ़ पंजाब ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए लाभदायक सिद्ध होगा।
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