मलेशिया में हिन्दू त्योहार ‘ थाइपुसम’
से जुड़े 10 रोचक तथ्य...
थाइपुसम’ दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। तमिल पंचांगों के अनुसार इसे थाई (हिन्दी के पौष) महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन चन्द्रमा अपनी सर्वोच्च अवस्था यानी ‘पुष्य’ नक्षत्र में होता है। इस प्रकार ‘ थाइपुसम’ शब्द का निर्माण एक महीने और नक्षत्र के संयोजन से हुआ है। ‘ थाइपुसम’ मुख्यतया शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय से जुड़ा हुआ है।
इस वर्ष ‘थाइपुसम’ भारत सहित श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया, मॉरीशस,
सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड और म्यांमार सहित कई देशों में 24 जनवरी को
मनाया गया। आज हम ‘थाइपुसम’ के मलेशिया कनेक्शन की चर्चा करते हुए इस
त्योहार से जुड़ी कई रोचक जानकारियां आपके साथ साझा करने जा रहे हैं...
1. मलेशिया स्थित ‘बटू’ गुफा मंदिर में
‘थाइपुसम’ की पूजा काफी धूमधाम से ...
यह भारत के बाहर स्थित सबसे अधिक चर्चित हिन्दू मंदिरों में से एक माना जाता है। इस
मंदिर में भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) की विश्वविख्यात प्रतिमा स्थापित है।
2. ‘थाइपुसम’ पर्व के दौरान पीत वर्ण (पीले रंग) की
प्रधानता होती है...
माना जाता है कि यह भगवान मुरुगन का सबसे पसंदीदा रंग है। अतएव पीले पुष्पों को ही
पूजा के निमित्त प्रधानता दी जाती है।
3. कई उत्साही भक्त अपने गाल,चमड़ी और जीभ का
भाले द्वारा भेदन करते दिख जाएंगे
हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन भगवान् मुरुगन को उनकी माता ने असुरों के
संहार के लिए अस्त्र (भाले) प्रदान किया था।
4. महिलाएं अपने सिर पर दूध से भरे कलश
लेकर पदयात्रा करती हैं...
5.’पेनांग’ जलप्रपात मंदिर में स्कंद भगवान की
भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया जाता है
‘थाइपुसम’ की पूर्व संध्या पर मुरुगन भगवान् को चांदी के रथ में, मोर पंखों से सज्जित
करके बिठ ‘शेट्टीअर कवाड़ियों’ द्वारा विराट जुलूस निकाला जाता है।
6. पिछले साल 125वें ‘थाइपुसम’ में करीब 16 लाख
लोगों ने भाग लेकर भगवान मुरुगन की पूजा-अर्चना की
7. पेनांग की गलियों में ‘भगवान मुरुगन की शोभायात्रा
के दौरान करोड़ों की संख्या में नारियल स्थानीय और
विदेशी भक्तों द्वारा फोड़े जाते हैं
8. भक्तिभाव में डूबे भगवान मुरुगन के भक्त उन्हें अपने
‘केश’ समर्पित करते हैं
इसमें सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलायें भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं। मुंडन कर्म के
बाद चंदन का लेप सिर पर लगाया जाता है।
9. ‘थाइपुसम’ मलेशिया में मनाए जाने वाले सबसे
प्रमुख त्योहारों में से एक है
हिन्दू हों या गैर-हिंदू, सभी पंथों के लोग ‘थाइपुसम’ की यात्रा में भाग लेते हैं। यहां राष्ट्रीय
स्तर पर ‘थाइपुसम’ की बधाईयां दी जाती हैं, जबकि यह मुस्लिम बहुल राष्ट्र माना
जाता है। मलेशिया के ‘प्रधानमंत्री’ और अन्य वरिष्ठ लोग भी ‘थाइपुसम’ के आयोजन में
भाग लेते हैं। यहाँ ‘थाइपुसम’ का महत्व दीपावली से कम नहीं है।
10. स्कंद पुराण के अनुसार शिव पुत्र भगवान मुरुगन ने
देवताओं की सहायता के लिए असुराधिपति ‘सूरपद्मन’
का वध किया था
‘थाइपुसम’ पर्व में भगवान मुरुगन से नकारात्मक शक्तियों को पहचानने और उन्हें दूर
करने का आशीष मांगा जाता है।
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