सात साल की बच्ची ने हाथ न होते
भी जीता हैंडराइटिंग कॉम्पिटिशन...
अनाया एल्लिक एक ऐसी नन्ही सी बच्ची है जिसने आज की पीढ़ी के सामने
बेहतरीन मिसाल पेश की है। सात साल की अनाया के पैदाइशी से ही दोनों
हाथ नहीं है, न ही वह कृत्रिम हाथों का उपयोग करती है। इसके बावजूद,
अनाया ने हाल ही में हुई एक राष्ट्रीय लिखावट प्रतियोगिता में जीत हासिल की है।
वर्जिनिया की रहने वाली अनाया, पहली कक्षा की छात्रा है। इस बच्ची ने, देश
भर से 50 अन्य प्रतिद्वंदियों को मात देते हुए, मैनुस्क्रिप्ट लेखन शैली में सर्वश्रेष्ठ
निकोलस मैक्सिम विशेष पुरस्कार अपने नाम दर्ज किया।
इस राष्ट्रीय लिखावट प्रतियोगिता का आयोजन एक शैक्षिक कंपनी, जनेर ब्लॉसर ने किया था।
यह कंपनी 25 सालों से अच्छी लिखावट को बढ़ावा देने के लिए ऐसी प्रतियोगिताएं आयोजित
करते रहता है।
इस प्रतियोगिता में आठवीं कक्षा तक के छात्रों ने भाग लिया था। पुरस्कार के
रूप में अनाया को 1,000 डॉलर, एक ट्रॉफी और एक सर्टिफिकेट मिला।
अनाया डेस्क पर खड़े होकर अपनी कलाई के बीच से पेंसिल को पकड़ती है
और फिर एक अन्य किसी पहली कक्षा के छात्र की तरह ही उसका लेख होता है।
ग्रीनब्रिएर क्रिस्चियन अकादमी में पढ़ने वाली अनाया की प्रिंसिपल कहती है कि अनाया
एक प्रतिभाशाली बच्ची है। अनाया अपने रास्ते की हर रूकावट को भेदते हुए, जो कुछ भी
चाहती है, उसे हासिल करने में डट जाती है। अनाया की माँ का कहना है:
“अनाया अपने काम खुद करती है। जूते के फीते बाँधने से लेकर, अपने कपडे ख पहनने तक, कुछ भी करने के लिए अनाया को किसी की भी मदद की जरूरत नहीं होती।”
काम की कठिनाइयों को लेकर शिकायत करना बहुत आसान है, लेकिन इस सात
साल की बच्ची ने बता दिया कि एक मेहनती व्यक्ति का कोई बहाना नहीं होता।
माना ज़िन्दगी कभी-कबार हमारे मुताबिक नहीं चलती, लेकिन इसका मतलब यह
नहीं कि ज़िन्दगी से थक हार के हम बैठ जाए। आपके एक दृढ़ संकल्प, एक उम्मीद भरे
कदम से कुछ अविश्वसनीय हो सकता है।
No comments:
Post a Comment