Sunday, 18 February 2018


तिरुपति मंदिर के बने पुजारी बने दलित
अब से ये ब्राह्मण !

तिरुमला तिरुपति बोर्ड ने आज अपने 500 मंदिरों के लिए नए पुजारियों के पहले जत्थे को नियुक्त किया। ये सभी "हिन्दू" हैं और पुजारी बनने के विभिन्न संस्कारों के परीक्षाओं को पास करके पुजारी बने हैं। ये सभी अब तिरुपति मंदिर में विभिन्न पूजा कर्म कराएँगे और ये सभी अब ब्राह्मण वर्ण में है !
संविधान के हिसाब से ये सभी SC, ST हैं, मायावती के हिसाब से ये सभी "दलित" हैं और अम्बेडकरवादीओ के हिसाब से ये सभी "शुद्र" हैं। पर मनुस्मृति के अनुसार अब ये सब के सब "ब्राह्मण" बन चुके हैं क्योंकि इन्होंने ये वर्ण स्वयं चुना है, वर्ण कर्म के आधार पर होता है, चूँकि ये सभी अब पुजारी का कर्म करेंगे, और वर्ण व्यवस्था के हिसाब से ये कर्म करने वाले ब्राह्मण होते है, इसलिए ये सभी पुजारी अब से ब्राह्मण है
आपने कई बार सुना होगा की दलित को मंदिर में नहीं जाने दिया, इत्यादि - ये सभी खेल ईसाईयों, मुगलों, वामियों और सेकुलरों द्वारा 16वी सदी के बाद शुरू किया गया क्यूंकि हिन्दू एकजुट होने लगे तो मुगलों ने हिन्दुओ में जातिवाद डालने की कोशिश की, फिर अंग्रेज आ गए उन्होंने ये काम किया और तब से वामपंथी और सेक्युलर ये काम कर रहे है
इन लोगो ने समाज के मन में जातिवाद इस कदर भर दिया है की आज भी जातिवाद की घटनाये सामने आती है, जबकि सनातन हिन्दू धर्म में ऐसी कोई रोकटोक नहीं है ! ये सिर्फ सनातन धर्म में वामियों, सेकुलरों, अंग्रेजो और उस से पहले के मुगलों द्वारा पैदा किये गए जातिगत भ्रष्टाचार के कारण आज भी होता है, जबकि आप देख सकते है जहाँ पर सनातन धर्म का पालन होता है जैसे की तिरुपति मंदिर, वहां पर शूद्र भी पुजारी बनते है और उसके बाद उनका वर्ण भी बदल जाता है और वो ब्राह्मण बन जाते है
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ईरान में भारत का रुपया चलेगा
नेपाल भूटान के बाद तीसरा देश ईरान बन गया है।जहाँ अब भारत का रुपया चलेगा।
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जून महीने में भारतीय नौसेना को मिलेगा पनडुब्बी बचाव वाहन.........मनमोहन सरकार इस मामले में शून्य माहौल विरासत में देकर गयी थी !!
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मोदीजी एकदिन सब कोंग्रेश के नेताओं को रिमांड पे लो ओर उल्टा लटकाकर ठोको ओर पूछो ओर कितने धोटाले बाकी है ये रोज रोज क्या लगा रखा है ---कुमार अवधेश सिंह
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₹ 9 लाख करोड़ के NPA बैंको के ऐसे ही नही हुए। NPA सबसे बड़ा सकैम है 60 साल राज करने वाले कुनबों का।
देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने, लूटने में इन्होंने कोई कोर कसर नही छोड़ी थी। देश का, जनता का पैसा लूटा गया पूंजीपतियों और कुनबों द्वारा। मुगलो अंग्रेजो से ज्यादा कुनबों ने लूटा।
बेशर्मी तो देखो कुनबों की, एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी कर रहे।
चोरी हुए इनके राज से
चोरी की इनके चमचो द्वारा
पकड़े गए अब मोदी राज में
पर दोष मोदी जी को दे रहे
यह चोर कुनबों के राज में कभी भागते नही थे क्योंकि मालिक (कुनबा) इनको बचा लेंगे, हमेशा बचाया भी। अब मोदी राज में पकड़े जाने के डर से जब भाग रहे है, इन चोरो ने पहले ही अन्य देशों की नागरिकता हासिल कर रखी है ताकि भारत उनको भागने के बाद पकड़ नही सके।
खैर यह चालाकी भी अधिक समय तक नही चलेगी। विश्व मे मोदी जी के नेतृत्व में उभरते भारत से कोई रिश्ते खराब करना नही चाहता। सब बईमानों दुश्मनों की उम्मीद यह है की 2019 को किसी तरह से इसको हटाया जाए ताकि यह अपने पाप की दुकान फिर से लगा सके।
पर 2019 में मोदी सरकार के वापिस आने के बाद, दुनिया समझ जाएगी कि भारत की जनता अब राजनीतिक स्थिरता चाहती है, वो जाति मजहब धर्म भाषा क्षेत्र के।मतभेदों से उठ चुकी है।
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 बैंक कर्मचारी ने ही किया ज़बरदस्त खुलासा, बुरे फंसे चिदंबरम
 CBI,ED समेत रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के भी उड़े होश
नई दिल्ली : 2011 में कांग्रेस शासन में हुए पीएनबी के 11400 करोड़ के महाघोटाले ने पूरे देश को हिला के रख दिया है. फिलहाल अभी तक छापेमारी में 5100 करोड़ की संपत्ति हीरे, जवाहरात सोना जब्त किया जा चुका है. एक तरफ आम आदमी को लोन देते वक़्त हज़ार सवाल का सामना करना पड़ता है और रईसजादों के लिए बैंक दुम हिलाते नज़र आने लगते हैं. जहाँ इस घोटाले को लेकर कांग्रेस पीएम मोदी पर हमला बोल रही है, ‘छोटा मोदी’ बोलते हुए रणदीप सुर्जेवाला प्रेस कॉनफेरेन्स कर रहे हैं.
कांग्रेस का सबसे बड़ा अर्थशात्री अब तक मौन कैसे ?
लेकिन जैसे-जैसे खुलासे सामने आ रहे हैं कांग्रेस खुद अपने जाल में फंसती जा रही है. आप सोच रहे होंगे कांग्रेस के सबसे बड़े अर्थशास्त्री पी चिदंबरम. हर बार कालेधन,जीएसटी,नोटबंदी पर पूरा दिन हमला बोलते हैं. लेकिन इतना बड़ा घोटाला हो गया अब तक उनका एक भी बयान सामने नहीं आया , एक भी ट्वीट नहीं आया और न वो खुद शकल दिखा रहे हैं. क्यूंकि वे खुद जानते हैं कि उनके हाथ भी इस घोटाले में शामिल हैं लेकिन सच ज़्यादा देर तक छिप नहीं सकता था.
बैंक के ही कर्मचारी ने किया झकझोर देने वाला खुलासा
दरअसल इस बार खुद बैंक के पूर्व कर्मचारी ने PNB के महाघोटाले पर बेहद हैरतअंगेज़ खुलासा किया है जिसकी वजह से पूर्व वित्तीय मंत्री पी चिंदमबरम बड़ी मुसीबत में फंसते नज़र आ रहे हैं.
अभी मिल रही बहुत बड़ी खबर के मुताबिक नरेंद्र मोदी सरकार पर अंगुली उठा रही कांग्रेस ही अब इस पूरे मामले में घिरती नजर आ रही है. इलाहाबाद बैंक के पूर्व निदेशक दिनेश दुबे ने ऐसा खुलासा किया है कि कांग्रेस ही सवालों के घेरे में आ गई है. कांग्रेस सरकार के दौरान यानी 14 सितंबर 2013 में इलाहाबाद बैंक के बोर्ड की बैठक के बारे में दिनेश दुबे ने ऐसा खुलासा किया है कि कांग्रेस को अपना मुँह छुपाना तक मुश्किल हो जाएगा.
दिनेश दुबे को धमकाया गया
दिनेश दुबे ने मीडिया से बातचीत में खुलासा किया है कि उन्होंने नीरव मोदी के मामा मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजली ज्वैलर्स को 550 करोड़ रुपये लोन दिए जाने का विरोध करते हुए कहा था कि पहले उनसे 1500 करोड़ रुपये का लोन वापस लेना चाहिए वरना आगे चलकर यह एक बड़ा घोटाला हो जाएगा. दुबे ने आगे बताया कि उन्हें इस विरोध के लिए बैंक के बोर्ड के अधिकारियों ने नाराजगी झेलनी पड़ी यही नहीं अधिकारियों ने उन्हें डराया धमकाया कि वे अपना विरोध वापस लें या फिर इस्तीफा सौंप दें.
RBI के डिप्टी गवर्नर और चिदंबरम के सचिव तक हैं शामिल
यही नहीं आप दुबे के इस खुलासे को सुनकर हैरान रह जायेंगे कि उन्होंने आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और वित्त मंत्रालय चिदंबरम के सचिव को ईमेल पर भी यह सारी जानकारी भेजी लेकिन दोनों तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसका मतलब गवर्नर रघुराम राजन और पी चिदमबरम तक की नज़र में इस घपले की बात थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी. बल्कि उन्हें धमकाने का सिलसिला जारी रहा और सेहत के आधार पर इस्तीफा देने के लिए कहा जाने लगा.
रुक सकता था PNB का ये महाघोटाला
दुबे ने आगे बताया कि अगर तभी वक़्त रहते कड़े कदम उठा लिए गए होते तो आज ये नौबत नहीं देखनी पड़ती. ये महाघोटाला वहीँ रोका जा सकता था. इससे एक बात यहाँ ज़रूर साबित होती है कि कांग्रेस सरकार के तत्कालीन वित्तमंत्री चिदंबरम और उससे भी शीर्ष स्तर पर मेहुल चोकसी के लोन की मंजूरी के लिए कोई बड़ा दबाव था. क्योंकि ऐसा नहीं होता तो दिनेश दुबे की शिकायत पर ध्यान दिया गया होता.
नई दिल्ली में बैठक में गीतांजलि ज्वेलर्स के मालिक मेहुल चौकसी को 550 करोड़ रुपये देने को मंजूरी दी गई थी. मेहुल चौकसी रिश्ते में घोटालेबाज नीरव मोदी का मामा है. बाद में मामा-भांजे ने मिलकर बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाया. चौकसी को बैंक की हांगकांग शाखा से भुगतान किया गया था.
बैंक की हांगकांग शाखा से भुगतान कर दिया गया
बता दें नई दिल्ली के होटल रेडिसन में 14 सितंबर, 2013 को इलाहाबाद बैंक के निदेशक मंडल की बैठक हुई. इसमें भारत सरकार की ओर से नियुक्त निदेशक दिनेश दुबे ने चौकसी को 550 करोड़ लोन देने का विरोध किया.16 सितंबर को इस बैठक की जानकारी दुबे ने भारतीय रिजर्व बैंक के तत्कालीन डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती को दी।. इसके बाद बैंक अधिकारियों को तलब भी किया गया, लेकिन इसके बावजूद मेहुल चौकसी को बैंक की हांगकांग शाखा से भुगतान कर दिया गया.
मामले को किया गया रफा दफा
जैसे ही वित्त मंत्रालय को इस बात की भनक लगी की उनकी पोल खुल सकती है सब तरफ हड़कंप मच गया. बैंक के अधिकारी मेहुल चौकसी को सैकड़ों करोड़ देकर खुद भी करोड़ों रुपये डकारने में लगे थे, जिसके चलते मामला दब गया.पेशे से पत्रकार रहे दुबे ने मीडिया में बताया कि बैंकिंग प्रणाली में हो रही इतनी बड़ी गड़बड़ी पर कांग्रेस सरकार ने आंखें बंद कर रखी थीं और वह इस महाघोटाले को रफा दफा करने की कोशिश कर रही थी.
दुबे ने कहा कि इस मामले के सामने आने के बाद से उनके ऊपर कई विभिन्न सरकारी अफसरों की तरफ से दबाव बढ़ाया जा रहा था. वित्त मंत्रालय और इलाहाबाद बैंक में शीर्ष अधिकारियों ने मुझे इस्तीफा देने को भी कहा. मैंने उसके जवाब में कहा कि सरकार ने मुझे बैंक की गतिविधियों पर नजर रखने और किसी भी गलत काम को रोकने के लिए नियुक्त किया है। ऐसे में बकौल दुबे मुझे लगा कि मुझे इस बढ़ते दबाव के बीच पद छोड़ देना चाहिए और मैंने ऐसा करने का फैसला लिया और मैंने फरवरी 2014 में ऐसा किया भी और इस्तीफा दे दिया.

हिन्दुस्तान की आबादी 125 करोड़ माने तब भी बैंकों के डूबत रुपये 
 प्रति व्यक्ति कोई ₹44 हजार बैठते हैं ..देश को काँग्रेस की देन..!
ग़रीब यू ही नही मर रहा भारत मे 
कोंग्रेसियों ने अरबपतियों के हांथो गरीबो की कब्र खुदवा दी है.

कपिल सिब्बल भी घपले में शामिल..?

दरअसल जितने कोंग्रेसी, वामपंथी व् आम आदमी पार्टी के नेता पीएनबी घोटाले को लेकर पीएम मोदी पर कीचड उछाल रहे हैं, उन सभी के नाम इस घोटाले से जुड़ रहे हैं. कोंग्रेसी नेता कपिल सिब्बल, जोकि राम मंदिर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं, उन्होंने भी पीएम मोदी पर काफी कीचड उछाला, मगर अब उन्ही का नाम इस महाघोटाले से जुड़ गया है.

डाटा साइंटिस्ट गौरव प्रधान ने खुलासा किया है कि नीरव मोदी ने एमआर एमजीएफ में कपिल सिब्बल का घर खरीदने के लिए पैसे दिए थे, इस घर की कीमत करीब 200 करोड़ रुपये है और ये सिब्बल की बेनामी संपत्ति है. कपिल सिब्बल दिखाने के लिए इस घर में रहने के लिए एमआर एमजीएफ को 15 लाख रुपये महीने का किराया भी दे रहे थे, मगर गुपचुप तरीके से एमजीएफ वो पैसे कपिल को वापस कर देती थी.उन्होंने बताया कि एमजीएफ का सम्बन्ध रोबर्ट वाड्रा के साथ है और एमआर को जब इस अवैध लेन-देन की जानकारी मिली तो उसने एमजीएफ के साथ पार्टर्नशिप ख़त्म कर दी. एमजीएफ कनिष्क सिंह की कंपनी है, जो अब प्रियंका गाँधी के साथ काम कर रही है.इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि सिस्टम में बैठे कोंग्रेसियों ने नीरव मोदी के घोटाले के बाहर आने से पहले ही इसकी जानकारी वाड्रा तक पहुंचा दी. 3 जनवरी, 2018 को रोबर्ट वाड्रा ने नीरव मोदी को फ़ोन किया और इसके फ़ौरन बाद नीरव मोदी अपने परिवार के साथ देश छोड़कर भाग गया.

गौरव प्रधान ने सवाल किया है कि राहुल गाँधी ने अपनी लंदन और बैंकाक यात्रा के दौरान नीरव मोदी से मुलाक़ात क्यों की थी, दोनों के बीच क्या डील हुई थी? इन यात्राओं के दौरान राहुल गाँधी ने SPG को भी साथ में नहीं रखा था, ताकि किसी तरह का रिकॉर्ड ना रहे.
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एक और बैंक घोटाला, दुबई और चीन भेजी गई करोड़ों की रकम
Zee News Hindi 18 Feb. 2018 11:21
खास बातें
PNB के बाद सिटी यूनियन बैंक में स्विफ्ट सिस्टम के जरिए घोटाला...सिटी यूनियन बैंक ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को दी फाइलिंग में खुलासा किया...बैंक के मुताबिक, तीन ट्रांजैक्शन के जरिए उसे 12.8 करोड़ का नुकसान
 देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक PNB घोटाले की चर्चा अभी थमी भी नहीं थी कि एक और बैंक का बड़ा घोटाला सामने आया है. इस बार प्राइवेट सेक्टर के सिटी यूनियन बैंक के साथ फ्रॉड हुआ है. सिटी यूनिय बैंक ने खुद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को दी फाइलिंग में यह खुलासा किया है. बैंक के मुताबिक, उसे 12.8 करोड़ का नुकसान हुआ है. इस रकम के लिए तीन ट्रांजैक्शन का हवाला दिया गया है.
PNB की तरह ही हुआ फ्रॉड
पंजाब नेशनल बैंक की तरह सिटी यूनियन बैंक के खातों में भी इन ट्रांजैक्शन की कोई एंट्री नहीं मिली हैं. हालांकि, बैंक से SWIFT फाइनेंशियल सिस्टम के जरिए रुपयों के ट्रांसफर का मैसेज बढ़ाया गया है. बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 7 फरवरी को बैंक की जांच में पता चला कि स्विफ्ट सिस्टम से तीन फर्जी रेमिटेंस हुए थे. हालांकि, यह कोई भी बैंक की तरफ से नहीं किए गए. बैंक ने तत्काल इसकी सूचना संबंधित बैंकों को दी और फंड वापस के लिए रिक्वेस्ट जेनरेट की है.
दुबई भेजा गया पैसा
बैंक के मुताबिक, इन तीन रेमिटेंस में से एक न्यूयॉर्क के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के माध्यम से दुबई के बैंक में भेजा गया. यह ट्रांजैक्शन कुल 5 लाख डॉलर की थी. इसे ब्लॉक करने के बाद पैसा सिटी यूनियन बैंक ने तुरंत वापस ले लिया. बैंक के मुताबिक, रकम को दूसरे बैंकों की तरफ से ट्रांसफर की गई थी, जबकि सिटी यूनियन बैंक ने इसके लिए कोई रिक्वेस्ट जेनरेट ही नहीं की थी.
तुर्की और चीन भेजा गया पैसा
स्विफ्ट के जरिए दूसरा ट्रांसफर 3 लाख यूरो का था, जिसे फ्रैंकफर्ट के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से तुर्की के अकाउंट में भेजा गया था. तीसरी ट्रांजैक्शन 10 लाख डॉलर की थी जिसे न्यूयॉर्क के बैंक ऑफ अमेरिका के अकाउंट से चीन के बैंक में ट्रांसफर किया गया.
फिर उठा सवालिया निशान
बैंक ने इस धोखाधड़ी की जानकारी वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को दी है. तुर्की और चीन के अधिकारियों के साथ मिलकर इस फ्रॉड को पकड़ने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, बैंक में हुए इस घोटाले ने स्विफ्ट नेटवर्क की सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान लगा दिए हैं.
क्या होता है SWIFT
स्विफ्ट के मतलब है सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलिकॉम्युनिकेशन. स्विफ्ट एक तरह का संदेश भेजने और प्राप्त करने का नेटवर्क है. इसका इस्तेमाल दुनियाभर के बैंक और फाइनेंशियल सेवाएं देने वाली संस्थाएं करती हैं. स्विफ्ट के जरिए पेमेंट बहुत तेजी से होता है. हर बैंक को एक स्विफ्ट कोड दिया जाता. यह कोड ही बैंक की पहचान होता है.
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सोनिया गांधी फोर्ब्स के हिसाब से विश्व की चौथी धनी महिला हैं 
आज तक किसी भारत के पत्रकार ने ये नहीं पूछा कि इतनी सम्पदा आपके पास आई कहाँ से ?
कौन सा उद्योग है और कौन सी दुकान है ?







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