प्रचंड देश भक्ति से भरी भागवत जी की बात को भी तोडा मरोड़ा जा सकता है और ऐसे गए गुजरों के दबाव में आना पड़ता है ,यह क्या दर्शाता है ? यही कि हिन्दू समाज आज १९४७ से बदतर दशा में है और यह हिन्दुओं की बौद्धिक विफलता है .
मैं हिन्दुओं की कह रहा हूँ ,संघ की नहीं .
संघ कोई बौद्धिक संगठन नहीं है ,न था , न है .
एक संगठन से ही समस्त अपेक्षाएं पालना कम्युनिस्ट बुद्धि की दयनीय नक़ल है , यह हिन्दू समाज और परंपरा के पूर्ण विरुद्ध है .
संघ हिन्दू समाज की भुजा बनकर उभरा था ,मस्तिष्क बनकर नहीं
बौद्धिक विफलता का अर्थ है विद्वानों की विफलता .
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कासगंज पर रविश कुमार ने कहा था क्यो गए थे मुस्लिम इलाके में झंडा लेके लेकिन यहां देश के हर शहर में मुस्लिम इलाका है
मेरे शहर गिरिडीह【झारखंड】 में यूँ तो बहुत होटल है, पर मुझे जब भी कचौड़ी खाने का दिल करता तो मैं हमेशा अन्नपूर्णा मिष्ठान भंडार जाता था.."मुस्लिम बाजार" में स्थित इस होटल में हमेशा भीड़ रहती थी...पर इसको भी उसी की सजा मिली जो बाकि हिंदुओं को मिलती है....मुस्लिम बहुल इलाके में हिन्दू के होटल होने से मुस्लिम समाज के कुछ युवक यूँ तिलमिला गए कि आज पूरे "अन्नपूर्णा मिष्ठान भंडार" को तहस-नहस कर दिया..20-25 हिन्दू परिवारों को पालने वाले इस होटल को कुछ मुस्लिमो ने पलक झपकते ही बर्बाद कर दिया ..वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि एक मुस्लिम ग्राहक बिना पैसे चुकाए होटल से निकल रहा था, तो मिष्ठान भंडार के मालिक ने अपने हक़ के पैसे मांग लिए उससे।हिन्दू बहुल इलाके में सब्जी, फल बेचने वाले बहुसंख्यक लोग मुसलमान होते हैं, सिर्फ इतना ही नही दर्जी, मीट -मछली, चप्पल-जूत्ते, सैलून जैसे व्यवसाय भी मुस्लिम लोग हिन्दू बहुल इलाके में अच्छे से चलाते हैं, पर हिंदुओं को मुस्लिम बहुल इलाके में व्यापार करना जान को जोखिम में डालने जैसा हो गया है।
यही है सच्चाई जो मेरे शहर से चीख-चीख कर पूरे देश को सुना रही है।
हर्ष वर्धन
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जिस देश में नरेगा में ‘गड्ढा’ खोदना रोज़गार के श्रेणी में आता हो
वहाँ ‘पकौड़ा’ बनाना तो Industries के श्रेणी में आना चाहिये !
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एशिया में अल्लाह तीन प्रकार के है...?
एक वो, जो UAE मे रहते हैं, और मंदिर बनाने में या जय श्री राम बोलने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है...,
दूसरे अल्लाह जो पाकिस्तान में रहते है, उन्हें आंतकी एवं टेरारिस्ट्ट बनाने में बड़ा आनन्द आता रहा है...?
तीसरे मगर सबसे ज्यादा खतरनाक अल्लाह, हिंदुस्तान में रहते हैं, जिनको जय श्री राम और मंदिर बनाने से भारी दिक्कत होती हैं, वंदे मातरम से पेटदर्द होता है, भारत माता की जय और राष्ट्रगीत से भी भारी एलर्जी होती रही है...,?
और हिंदुस्तान के टुकड़े करने में इन्हें सेक्युलर्स, वामपंथी, कांग्रेस और देशद्रोहियो का साथ लेना हमेशा पसन्द रहा है...? हिंदुस्तान वाले अल्लाह बात बात में फतवा निकालते है, इनका इस्लाम हमेशा संकट में पड़ा रहता है,....?
और इन सबसे भी ज्यादा खतरनाक वो हिंदू हैं जो सब जानते समझते हुए भी इनका साथ देते हैं...!
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जिस दिन मंदिरों से गरीब हिंदुओं की मदद होने लगेगी
उसी दिन से धरम्परिवर्त होना 80%बंद हो जायेगा...
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