Thursday 22 February 2018



एक सच्ची कहानी.....
(अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता)
मेरे कार्यालय का रास्ता आर्मी कैंट से गुजरता था ! साफ-सुथरा ,हरा-भरा घुमावदार रास्ता था....सड़क के दोनों ओर ब्रिटिश कालीन बंगले थे ! सड़क के पूर्वी छोर पर ज़बरदस्त सेक्युरिटी के मध्य X माउंटेन डिवीजन के GOC का शानदार बंगला/दफ्तर था ! ठीक बराबर में कैंटोनमेंट बोर्ड का दफ्तर था ! जिसमे एक अति प्रसिद्ध दबंग महिला चीफ एक्सक्यूटिव अफसर (आईएएस) पदस्थ थीं !
X माउंटेन डिवीजन और कैंटोनमेंट बोर्ड के दफ्तरों के ठीक सामने एक पुरानी मज़ार थी....X माउंटेन डिवीजन और कैंटोनमेंट बोर्ड के हिन्दू कर्मचारी और सैनिक इस कब्र पर सिर झुकाते थे ! बृहस्पतिवार को मज़ार पर मेले जैसा दृश्य रहता था ! सैनिक और हिन्दू कर्मचारी इस दिन मज़ार पर नकद रुपयों के साथ हलुआ और पूड़ी चढ़ाते थे ! कैंटोनमेंट बोर्ड ने पानी का...MES ने फ्री बिजली का अनाधिकृत कनेक्शन दिया हुआ था ..मज़ार पर झाड़फूंक और हिन्दू महिलाओं की भारी उपस्थिति रहती थी....मज़ार का अघोषित मुतवल्ली पड़ोस के गांव का 35-38 वर्ष का एक मुस्टंडा था....
एक रात जब मैं आफिस से घर लौट रहा था तो देखा कि एक ट्रैक्टर-ट्राली से मज़ार पर भारी मात्रा में ईंटें उतारी जा रहीं थीं...कार रोकी तो देखा कि मज़ार का कथित मुतवल्ली वहां मौजूद था..पूँछा....पता लगा कि मज़ार के ऊपर अब छत डाली जाएगी...मज़ार को दरगाह का रूप दिया जाएगा....मैंने मुतवल्ली से पूँछा कि "परमिशन ली या नहीं ? "....मुतवल्ली ने दूसरी ओर मुँह फेर लिया....मैंने सोचा कि जब खुद GOC के जवान मज़ार पर हलुआ-पूड़ी चढ़ाते हैं तो परमिशन की क्या ज़रूरत थी.....कैंट और शस्त्रागार की सुरक्षा पर कौन विचार करेगा यहां...
मैं नज़दीक प्रशांत(सैन्य इलाके में रह रहे मित्र) के बंगले पर पहुँचा... प्रशांत ने कहा कि भईया मुझे इस पचड़े में मत डालिए...आखिर आर्मी एरिया है..वैसे सक्सेना जी आपको भी इस मैटर में क्यों दिलचस्पी हैं ? मतलब.. कैंट और X माउंटवेटन डिवीजन के ठीक सामने संदिघ्ध मज़ार के ऊपर अनाधिकृत भवन निर्माण से आर्मी को कोई खतरा नहीं था ?...प्रशांत ने नहीं सोचा कि X माउंटेन डिवीजन के GOC के मूवमेंट के ऊपर, इस मज़ार के मुतवल्ली या अकीदतमंद के रूप में बैठा शत्रु, खूब निगाह रख सकता है....
अगले दिन सुबह आठ बजे आईएएस महोदया(कैंट बोर्ड CEO) के यहाँ दस्तक दी...आईएएस महोदया ने हमें खुल के डांट लगाई...फरमाया....."हम जैसे लोग ही समाज मे दंगे और तनाव फैलाते हैं"...हमने मेज़ पर पहले से लिख रखी एप्लिकेशन रखी...और इससे पहले उनका चपरासी हमे बाहर निकाले... हम आफिस से बाहर निकल गए.....उधर मज़ार पर राज-मजदूरों का जमावड़ा शुरू हो चुका था.....हमने निर्णय किया कि आज आफिस से छुट्टी लेनी होगी.....वहां से मैंने CMP (कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस) का रुख किया....
वहां एक कमाडेंट से भेंट हुई...मैंने कमांडेंट को मज़ार पर चल रही 'संदिघ्ध गतिविधियों' ,भावी सैनिक दृष्टिकोण से नुकसान और अनाधिकृत निर्माण के बारे में मौखिक और लिखित शिकायत भी दी.....मज़ार पर लौटा तो देखा कि दीवार बनाने के लिए नींव की खुदाई शुरू हो चुकी थी....एक बड़ा और खूब ऊंचा हरा झंडा लगा दिया गया था....एक दानपात्र ,जिस पर लिखा था.. " दरगाह की तामीर के लिए दिल खोल कर चंदा दें "...कैंट बोर्ड का फ्री का पानी और बिजली इस्तेमाल हो रही थी...मैं वापस CMP के कमांडेंट के पास दौड़ा.....कमांडेंट ने कई फोन किये...बोले...आप बेफिक्र जाएं....
अगले दिन सुबह ऑफिस जाते समय देखा...कमांडेंट ने अपना सैनिक फ़र्ज़ पूरा किया था....हज़ारों ईंटें....हरा झंडा....सीमेंट....रेत गायब हो चुका था....खोदी गई नींव को सफाई से मिट्टी और रेत से भर दिया गया था....पता चला कि मुतवल्ली को CMP उठा कर ले गई थी.........अकेले चने ने भाड़ फोड़ दिया था.....एक अकेले सैनिक ने युद्ध जीत लिया था...
Pawan Saxena
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