Monday, 19 February 2018

चाबहार बंदरगाह के ज़रिए व्यापार बढ़ाने की पेशकश के अलावा ईरान ने अपने प्राकृतिक संसाधन को आसान शर्तों पर भारत को मुहय्या करवाने की इच्छा भी ज़ाहिर की है। यह चीन-पाकिस्तान की ग्वादर बंदरगाह-केन्द्रित गतिविधियों से बिगड़े क्षेत्र के संतुलन को वापस स्थापित करने की तरफ़ एक महत्त्वपूर्ण क़दम है। मज़हब के नज़रिए से देखें तो विश्व के शिया’ समाज के साथ सुन्नियों के मुक़ाबले हिन्दुओं के बेहतर ताल्लुक़ात रहे हैं। भारत में भी शिया’ओं की छोटी सी जनसंख्या ने अब तक कोई वबाल नहीं खड़ा किया है।
सर्वोपरि सांस्कृतिक एका का कारण यह है कि भारत की बोली उर्दू फ़ारसी व कई उत्तर भारतीय भाषाओँ के संमिश्रण से बनी जिसका एक रूप आधुनिक हिन्दी है। भारत के लिए चिंता का विषय बस इतना रहा कि भारत-ईरान रिश्तों की मज़बूती के इन तमाम ऐतिहासिक, भौगोलिक तथा सांस्कृतिक कारणों के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ईरान ने हमारा साथ कम दिया है और मुसलमान राष्ट्रों का साथ ज़्यादा निभाया है।

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