मार्क्सिस्ट नारीवाद की भयानक वास्तविकता। अमेरिकन नारीवादी आइकॉन *केट मिलेट *की सगी छोटी बहन मेलरी मिलेट के अपने शब्दों में।
इस लेख में शुरुआत में ही एक प्रसंग वर्णित है। हाई स्कूल के बाद मेलरी मिलेट को उसके स्कूल के एक नन ने पूछा - अब क्या करोगी ? मेलरी मिलेट ने जवाब दिया कि अगली पढ़ाई के लिए स्टेट यूनिवर्सिटी में दाखिला लूँगी। वो नन उदास दिखी तो मेलरी ने कारण पूछा।
इस लेख में शुरुआत में ही एक प्रसंग वर्णित है। हाई स्कूल के बाद मेलरी मिलेट को उसके स्कूल के एक नन ने पूछा - अब क्या करोगी ? मेलरी मिलेट ने जवाब दिया कि अगली पढ़ाई के लिए स्टेट यूनिवर्सिटी में दाखिला लूँगी। वो नन उदास दिखी तो मेलरी ने कारण पूछा।
नन ने बताया कि मुझे दुख है कि चार साल बाद तुम एक वामपंथी और नास्तिक बनोगी। मेलरी को हंसी आयी, सोचा कितनी असभ्य सोच है इस नन की। वे यूनिवर्सिटी गईं, और चार साल बाद वामपंथी और नास्तिक बनकर ही निकलीं, जैसे उनसे छह साल पहले उनकी बड़ी बहन केट मिलेट निकली थीं।
इस प्रसंग से पता चलता है कि वामियों की पैठ वहाँ भी कितनी गहरी रही है। हिटलर के भगाये जो जर्मनी से भागे फ्रैंकफुर्टिये अमेरिका आए और वहाँ उन्होंने अमेरिका की सांस्कृतिक वाट लगाने का काम बड़े ज़ोरों से किया। अपने डॉ Rajeev Mishra जी जिस क्रिटिकल थियरी की बात करते हैं उसने अमेरिका की संस्कृति को तहस नहस कर डाला। इतने भी गए गुजरे नहीं थे अमेरिकन लोग, फेमिली उनके लिए भी महत्व की थी। इस क्रिटिकल थियरी ने, जिसे असल में कीचड़ उछाल थियरी कहना चाहिए; अमेरिकन संस्कृति को तहस नहस कर दिया। और बाकी दुनिया को उसका अनुकरण तो करना ही था।
एक प्रसंग है जहां केट ने अपनी बहन को अपनी एक सहेली लीला कार्प के घर एक प्रोग्राम में बुलाया। वहाँ जो क्लास के स्टाइलमें प्रश्न पर सभी महिलाएं कोरस में जो उत्तर देती थीं वो सुनकर मेलरी दंग रह गई। वामपंथी वो भी थी लेकिन यह उसके लिए टू टू मच मच था।
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"आज हम यहाँ क्यों आए हैं ?" केट ने पूछा
"क्रान्ति करने " सब ने जवाब दिया
"किस तरह की क्रांति ?" केट ने पूछा
"सांस्कृतिक क्रांति! " सब ने कोरस में उत्तर दिया
“और हम कैसे करेंगे सांस्कृतिक क्रान्ति ?" केट ने सवाल किया
"अमेरिकन परिवार को नष्ट कर के !" सब ने जवाब दिया
"परिवार को कैसे नष्ट करेंगे ?" केट ने फिर से सवाल पूछा
"अमेरिकन पिता को नष्ट करके ," सब ने जोश में जवाब दिया
"और हम कैसे अमेरिकन पिता को नष्ट करेंगे ?”केट ने पूछा .
"उसकी ताकत छीनकर !" जवाब आया
"ये कैसे होगा ?" केट का सवाल
"विवाह में निष्ठा को खत्म कर के !" सभी चिल्लाईं
"ये कैसे खत्म होगी ?"
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"आज हम यहाँ क्यों आए हैं ?" केट ने पूछा
"क्रान्ति करने " सब ने जवाब दिया
"किस तरह की क्रांति ?" केट ने पूछा
"सांस्कृतिक क्रांति! " सब ने कोरस में उत्तर दिया
“और हम कैसे करेंगे सांस्कृतिक क्रान्ति ?" केट ने सवाल किया
"अमेरिकन परिवार को नष्ट कर के !" सब ने जवाब दिया
"परिवार को कैसे नष्ट करेंगे ?" केट ने फिर से सवाल पूछा
"अमेरिकन पिता को नष्ट करके ," सब ने जोश में जवाब दिया
"और हम कैसे अमेरिकन पिता को नष्ट करेंगे ?”केट ने पूछा .
"उसकी ताकत छीनकर !" जवाब आया
"ये कैसे होगा ?" केट का सवाल
"विवाह में निष्ठा को खत्म कर के !" सभी चिल्लाईं
"ये कैसे खत्म होगी ?"
मेलरी लिखती हैं कि उनके इस प्रश्न के उत्तर से मैं दंग रह गई। मेरी सांस अटक गई, कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। कौन थीं ये सब ? क्या हम एक ही पृथ्वी के वासी थे ? उनका उत्तर था -
"स्वैराचार, कामुकता, वेश्यावृत्ति और समलैंगिकता को बढ़ावा दे कर (हम विवाह संस्था और परिवार को) खत्म कर देंगे !
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एक और मुद्दा मेलरी ने लिखा है कि आज मेरी बहन के बहकावे में आई इन महिलाओं को देखती हूँ - बुढ़ा तो सब को जाना ही था। लेकिन अपने नारीवाद के कारण सभी भीषण अकेलेपन की शिकार हैं। दादी या नानी वे भी हो सकती थीं और आज वही पारिवारिक सम्बन्धों को वो तरस रही हैं, बाकायदा जार जार रो रही हैं कि हमने क्या खोया। मेलरी यह भी लिखती हैं कि मुझे कई लोग मिलते हैं जिन्हें जब पता चलता है कि मैं केट मिलेट की बहन हूँ तो वे मुझसे कहने से नहीं चूकते कि आप की बहन के कारण मेरी बहन (या जो भी) बर्बाद हुई।
"स्वैराचार, कामुकता, वेश्यावृत्ति और समलैंगिकता को बढ़ावा दे कर (हम विवाह संस्था और परिवार को) खत्म कर देंगे !
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एक और मुद्दा मेलरी ने लिखा है कि आज मेरी बहन के बहकावे में आई इन महिलाओं को देखती हूँ - बुढ़ा तो सब को जाना ही था। लेकिन अपने नारीवाद के कारण सभी भीषण अकेलेपन की शिकार हैं। दादी या नानी वे भी हो सकती थीं और आज वही पारिवारिक सम्बन्धों को वो तरस रही हैं, बाकायदा जार जार रो रही हैं कि हमने क्या खोया। मेलरी यह भी लिखती हैं कि मुझे कई लोग मिलते हैं जिन्हें जब पता चलता है कि मैं केट मिलेट की बहन हूँ तो वे मुझसे कहने से नहीं चूकते कि आप की बहन के कारण मेरी बहन (या जो भी) बर्बाद हुई।
हिंदुओं के दुर्भाग्य से इन फ्रैंकफुर्टियों के लेखन का यहाँ अनुवाद नहीं हुआ, उनकी कल्पनाओं का अनुकरण अवश्य हुआ। उससे जो नुकसान होना था वह भी हुआ और अब भी हो रहा है।
सांस्कृतिक विध्वंस कैसे हो इस पर सभी फ्रैंकफुर्टियों ने प्रचुर लेखन किया है। उनके सभी कन्सेप्ट्स यहाँ के वामियों ने यहाँ भी कार्यान्वित कर के हमारा अपरिमित नुकसान किया है, लव जिहाद को भी इसी के कारण बहुत बढ़ावा मिला है, वह भी सप्रमाण साबित कर दूंगा ।
कभी लगता है कि ये क्रिटिकल या कीचड़ उछाल थियरी वाले फ्रैंकफुर्टियों की किताबें उसी समय देशज भाषाओं में अनुवादित की जातीं तो इन वामियों को जनता चौक में जूतों से मारती। वैसे आज भी आयडिया बुरा नहीं है। जब जागे तब सवेरा।
यहाँ के वामी जो इन फ्रैंकफुर्टियों के षडयंत्रों को अंजाम दिये हैं, उच्च डिग्री विभूषित थे, उन्होने कभी उनका अनुवाद करना योग्य नहीं समझा। दुर्भाग्य हमारा कि हिंदुवादी संगठनों ने भी इस बात की कभी सुध नहीं ली और कोई काउंटर एक्शन प्लान नहीं बनाया। आज भी आम भारतीय इनके नाम नहीं जानता, इनका लिखा बहुत कम, गिने चुने लोगों ने पढ़ा होगा टॉप के वामियों के इतर...
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