Monday, 12 February 2018

क्या कभी आपने सोचा है कि भारत को 'माता' ही क्यों कहा जाता है, पिता क्यों नहीं?
भारत में प्रकृति को एक जीवनदायिनी के रूप में देखा जाता है. इसी वजह से आदि काल से ही भारत को मातृभूमि कहा जाता है. और इसके साक्ष्य वेदों में भी देखने को मिलते हैं. वैसे तो हिन्दुस्तान को भारत , इंडिया , आर्यावर्त और रीवा जैसे नामों से भी जाना जाता है लेकिन सभी नामों का अर्थ अलग-अलग होता है. फ़िर भी हम भारत को 'मां' ही पुकारते हैं. ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि भारत को 'माता' क्यों कहा जाता है?
भारत ' माता ' क्यों ' पिता ' क्यों नही?
क्या कभी आपने सोचा है कि भारत को ‘माता’ क्यों कहते हैं, ‘पिता’ क्यों नहीं और ‘भारत-माता’ शब्द कहां से आया? 19वीं सदी के प्रसिद्ध साहित्यकार भूदेव मुखोपाध्याय के लिखे व्यंग्य –उनाबिम्सापुराणा या उन्नीसवें पुराण में मिलता है. लेख का प्रकाशन सन 1866 में किया गया था. इस लेख में ‘भारत-माता’ के लिए ‘आदि-भारती’ शब्द का उपयोग किया गया था.
अर्थव वेद के श्लोक में मातृभूमि का स्पष्ट उल्लेख है. जिससे प्रतीत होता है कि 'मातृ' शब्द भूमि के लिए ही प्रयोग होता है.
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित वंदेमातरम् में भी मातृभूमि शब्द का प्रयोग भारत के लिए किया गया था.
भारत को ‘माता’ कह कर संबोधित करने का श्रेय बंगला लेखक किरण चंद्र बनर्जी को भी जाता है. 1873 में इनके नाटक ‘भारत-माता’ में भारत के लिए ‘माता’ शब्द का प्रयोग किया गया था.
भारत को ‘माता’ क्यों कहा जाने लगा ?
आज़ादी से पहले बंगाल में दुर्गा पूजा लोगों को एकजुट करने और स्वराज (आज़ादी) पर चर्चा करने का एक माध्यम बनी हुई थी. इस दौरान बंगाल के लेखकों, साहित्यकारों और कवियों के लेखों और रचनाओं में मां दुर्गा का गहरा प्रभाव रहा और इनके द्वारा लिखे गए लेखों, नाटकों और कविताओं में भी भारत को दुर्गा की तर्ज पर ‘मां’ और ‘मातृभूमि’ कहकर संबोधित किया जाने लगा.
मां शब्द सम्मान के लिए है
पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों में सबसे ख़ास बात है कि उनका जुड़ाव मां से अधिक रहता है. इसी वजह से लोग देश को मां का दर्जा देते हैं. यहां लोगों के पास जीने की तमाम सुविधाएं रहती हैं.
भारत माता की जय

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