Wednesday, 21 February 2018

जनाब JNU और ये सेकुलर पत्रकार प्रॉब्लम नहीं हैं , ये सिर्फ mouth piece हैं जिनका काम लोगों को और सरकार को सिर्फ उलझाना है असली प्रॉब्लम है चाइना, पकिस्तान का nexus, अरब देशों और वेस्टर्न कन्ट्रीज से आ रहा धन जो कि conversion, terrorism और naxalite activities में use होता है और देश के विकास ने बाधक बनता है।
इसीलिए सरकार ने पहला कदम इन NGOs को बंद करने का लिया जिनके मार्फ़त ये धन आता था।
आप की समझ में ना आये तो अलग बात है वैसे नोट बंदी भी उसी योजना का एक हिस्सा भर थी।
हमारे यहाँ कुछ शूरवीर ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि विकास होता रहेगा पहले पाकिस्तान को सबक सिखाओ।
ये वो ही शूरवीर हैं जो कि 4 एटीएम withdrawl के बाद 20 रुपया शुल्क लगने से चिल्लाने लगते हैं कि, हाय हाय हम मर गए हमें नहीं चाहिए ऐसी सरकार जो गरीबों के पेट पर लात मारती हो।
क्या ये शूरवीर लड़ेंगे पाक से युद्ध? वैसे इन समझदारों को पता नहीं कि, युद्ध लड़ने से पहले बहुत तैय्यारी करनी पड़ती है, देश में गोलाबारी का पर्याप्त स्टॉक होना चाहिए, अच्छे टैंक, विमान और सैनिकों के पास अच्छी गन होनी चाहिए जो कि पिछली सरकार की कृपा से न्यूनतम से भी नीचे पहुँच गया था। कुछ लोग कहते हैं की फोड़ दो पाकिस्तान पर परमाणु बम जो होगा देखा जाएगा। ये वो महानुभाव हैं जो की बैंक की लाइन ने अगर 4 घंटे खड़े रहें तो इन्हें चक्कर आ जाते हैं और परमाणु युद्ध इन्हें बच्चों का खेल लगता है। वैसे इन्हें ये भी नहीं पता कि, अगर हिन्दुस्तान पाकिस्तान आपस में परमाणु युद्ध लड़कर तबाह हो गए तो चाइना कितनी आसानी से हमारे ऊपर कब्ज़ा कर लेगा।
खैर सोशल मीडिया पर शूरवीर बनने में क्या जाता है इसमें तो ATM withdrawl का 20 रुपया भी नही लगता और अगर लगने लग जाए तो ये शूरवीर यहाँ से भी गायब हो जायेंगे और बोलेंगे नहीं चाहिये युद्ध मुझे मेरे 20 रूपये वापस दो!!
खैर ये तो हुई problem अब solution क्या है और इस सरकार और पिछली सरकार में फर्क क्या है?
फर्क है नीयत का और कार्यो का।
ये सरकार देश में अवैध धन लाने वाले 13000 NGO को बंद करती है।
ये सरकार देश में राफेल विमानों को लाती है जो की दुनिया का सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमान (या उनमे से एक है), डिफेन्स procurement को फ़ास्ट ट्रैक करती है। सैनिकों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट, नाईट विज़न और बढ़िया क्वालिटी के हेलमेट खरीदती है, उनके लड़ने के लिए लेज़र और बेहतर क्वालिटी की गन खरीदती है।नयी तोपें खरीदी जाती हैं जो कि पिछ्ले 30 सालों में नहीं हुआ था।इजराइल से समझोते किये जाते हैं ताकि युद्ध की स्थिति में गोला बारूद की आपूर्ति निर्बाध जारी रहे।इरान और अफगानिस्तान में बेस बनाए जाते हैं कि जिससे युद्ध की स्थिति में दूसरा मोर्चा खोला जा सके। चाइना बॉर्डर पर ब्रहोस (परमाणु क्षमता वाली) नियुक्त की जाती है और इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जाता है।
चाइना के खिलाफ उसके पड़ोसी देशो से समझोते किये जाते हैं ताकि युद्ध की स्थिति में उसे बाँधा जा सके। और हाँ देश में तेल रिज़र्व भी बनाया जा रहा है जिससे कि किसी भी आपात स्थिति का सामना करा जा सके क्योंकि देश तेल के लिए अरब कन्ट्रीज पर निर्भर है जो कि अभी तक पाकिस्तान के साथ रहे हैं।
मोदी इन्हें भी अपने साथ लाने का प्रयास कर रहा है और इसीलिए विदेश भी जाता है।
एक बात और,इन सब चीज़ों के पैसे लगते हैं, फ्री में नहीं आतीं और इसीलिए तेल के दाम भी अभी कम नहीं होंगे और ना ही टैक्स अभी कम होंगे।
पोस्ट बहुत लम्बी हो गयी है तो संक्षेप में सुनो मोदी खिचड़ी खाने वाला व्यक्ति है, जो ठंडा करके खा रहा है , क्योंकि हमें गलती करने पर दुबारा मौका नहीं मिलेगा , इसलिए पहली बार में ही लडाई जीतनी है।
और हाँ सीधी लड़ाई से बचा जाएगा और पकिस्तान को टुकड़ों में बांटा जाएगा लेकिन सीधी लड़ाई की तैय्यारी भी पूरी रखेगा और जब तक तैयारी पूरी न हो कुछ बड़ा नहीं होने वाला।
सीमा पर छोटीमोटी मुठभेड़ जारीच रहेंगी।
हमारे कुछ सैनिकों को वीरगति भी प्राप्त होगी और कश्मीर भी सुलगता रहेगा।
ये सेकुलर पत्रकार भी गला फाड़कर चिल्लाते रहेंगे, JNU की झोला छाप intellectual class भी शोर मचाएगी यानी कि सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा (बल्कि ज्यादा चिल्लायेंगे)। लेकिन मोदी पर कोई असर नहीं पड़ेगा वो बिलकुल चुपचाप रहेगा और अपना काम करता रहेगा।
इन सब की चिल्ली पौं का काम तमाम एक झटके में होगा तब तक आप की मर्ज़ी है कि आप भी इनकी तरह से शोर मचाएंगे या चुपचाप बैठकर तमाशा देखेंगे (क्योंकि ना मेरे ना आप के हाथ में कुछ है और ना ही इन लोगों के)।

मैं देखना चाहता हूँ एक सशक्त भारत और उसके लिए मैं इंतज़ार करने को तैयार हूँ।
मेरे लिए पाकिस्तान के दस, सौ या फिर हज़ार सैनिको के सर से ज्यादा महत्वपूर्ण उसकी सम्पूर्ण हार है और मैं उस बड़ी जीत के लिए इंतज़ार करने को तैयार हूँ।
साभार

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