नगालैंड चुनाव: बैप्टिस्ट चर्च की अपील- 'त्रिशूल' और 'क्रॉस' में कोई एक चुन लें
बैपटिस्ट चर्च ने लोगों से अपील की है कि वो पैसों और विकास के लिए ईसाई धर्म के मूल्यों को न छोड़ें, साथ ही ऐसे लोगों का साथ न दे जो "ईसा मसीह के हृदय को बेधना" चाहते हैं.
एनबीसीसी ने नगालैंड की सभी पार्टियों के अध्यक्षों के नाम एक खुला खत लिखा है. इस खुले खत में लिखा गया है कि 2015-2017 के दौरान आरएसएस समर्थित भाजपा सरकार में भारत ने अल्पसंख्यक समुदायों के लिए में सबसे बुरा अनुभव किया है.
एनबीसीसी के महासचिव ने लिखा है- 'हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि पिछले कुछ वर्षों में आरएसएस की राजनीतिक शाखा बीजेपी के सत्ता में रहने की वजह से हिंदुत्व का आंदोलन अभूतपूर्व तरीके से मजबूत और आक्रामक हुआ है. प्रभु जरूर रो रहे होंगे, जब नगा नेता उन लोगों के पीछे गए जो भारत में हमारी जमीन पर ईसाई धर्म को नष्ट करना चाहते हैं.'
बीजेपी ने इस खुले खत का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है. राजनीति के जानकार लोगों का कहना है कि नगालैंड, मेघालय और मिजोरम में बीजेपी बीफ बैन के चलते बैकफुट पर है.
नगालैंड के चुनाव में आमतौर पर ट्राइबल के मुद्दे छाए रहते हैं. यहां ज्यादातर उम्मीदवार ईसाई धर्म के हैं. नगालैंड में 18 फरवरी को चुनाव होंगे, जबकि चुनाव परिणाम 3 मार्च को आएंगे.
कुमार अवधेश सिंह
एनबीसीसी ते महासचिव ने कहा- ”हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में आरएसएस की राजनीतिक शाखा बीजेपी के सत्ता में रहने की वजह से हिंदुत्व का आंदोलन अभूतपूर्व तरीके से मजबूत और आक्रामक हुआ है।”
एनबीसीसी के महासचिव ने पत्र में कहा- ”प्रभु जरूर रो रहे होंगे जब नगा नेता उन लोगों के पीछे गए जो भारत में हमारी जमीन पर ईसाई धर्म को नष्ट करना चाहते हैं।” चर्च के द्वारा लिए गए इस अभूतपूर्व फैसले पर जब एनबीसीसी के महासचिव झेलहोउ केयहो से सवाल किया गया तो उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम को बताया- ”इस बार आरएसएस समर्थित बीजेपी वाकई में खतरा बन चुकी है। इसलिए हमने सोचा के हमें एक मजबूज फैसला लेना चाहिए न केवल चर्चों के लिए, बल्कि सामान्य रूप से देश में ईसाइयों के लिए भी।” चर्च के नेता ईसाई बाहुल्य तीन राज्यों मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में बीजेपी की राजनीतिक महत्वाकाक्षाओं को लेकर सावधान हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल राजनीति की खातिर नहीं, बल्कि उत्तर पूर्वी भारत में बीजेपी-आरएसएस गठबंधन के मुद्दे को देखते हुए साबित हुआ है।
केयहो ने असम में आरएसएस के द्वारा किए जा रहे सम्मेलनों की ओर इशारा करते हुए कहा कि मेघायल और नगालैंड में इसके झटके महसूस किए जा रहे हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि बीजेपी बीफ बैन और अल्पसंख्यों, खासकर ईसाइयों खिलाफ अत्याचार की वजह से राज्य में अपनी बढ़ती मौजूदगी दर्ज कराने के बावजूद बैकफुट पर नजर आ रही है। इस वजह से बीजेपी को क्षेत्रीय पार्टियों के साथ रणनीतिक गठजोड़ करके चुनाव में उतरना पड़ रहा है। नागालैंड में बीजेपी ने नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पीपल्स पार्टी (एनडीपीपी) के साथ गठजोड़ किया है। इस बारे में सवाल पूछने पर केयहो ने कहा- ”बीजेपी-एडीपीपी के गठजोड़ पर वह टिप्पणी नहीं कर पाएंगे, वह इतना ही कहेंगे कि ऐसा करके क्षेत्रीय पार्टी ने बीजेपी का हौसला बढ़ाया है, जबकि नेता कहते हैं कि बीजेपी केवल एक पार्टी है और वे आरएसएस का समर्थन नहीं कर रहे हैं, यह सिर्फ सियासी बात है।”
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