युगऋषि_का_हमसबके_लिए_महत् वपूर्ण_संदेश
व्यथा_अन्तर्मन_की_पीड़ा
आज बहुत खुशी भी है दुःख भी है। खुशी इस बात की हैं कि यह पूज्य गुरुदेव के अंतिम दिनों का दुर्लभ चित्र आप सबके साथ साझा कर रहे है। और दुख इस बात का है कि जैसा गरूदेव चाह रहे थे वैसा अब तक हमलोग कर नही पाए।
व्यथा_अन्तर्मन_की_पीड़ा
आज बहुत खुशी भी है दुःख भी है। खुशी इस बात की हैं कि यह पूज्य गुरुदेव के अंतिम दिनों का दुर्लभ चित्र आप सबके साथ साझा कर रहे है। और दुख इस बात का है कि जैसा गरूदेव चाह रहे थे वैसा अब तक हमलोग कर नही पाए।
आप लोगों को इस चित्र के देखने के बाद ऐसा नही लगता है कि गुरुदेव हम सब से कुछ कहना चाह रहे है वे भी बहुत दुःखी और व्यथित नज़र आ रहे हैं। इस सब बातों के पीछे का असली राज हम सब जानते है मानते है लेकिन अनुसरण नही कर रहे है । गुरुदेव पता है क्या बोल रहे है" में तो जा रहा हुँ अपने पिछे एक बहुत बड़ा परिवार जोड़कर, छोड़कर जा रहा हूँ किसी भी तरफ से यह परिवार टूटना नही चाहिए खून, पसीना, और हमारे जीवन भर का तप इस परिवार को तैयार करने में लगा है। इस को परिवार को जोड़ने में एक एक मोती जो माँ गायत्री का हंस चुगकर लाया था। उसको आप सभी के रूप में एक मणि युक्त माला के साथ जोड़ने का एक सफल प्रयास मैंने किया है।
मेरे जाने के बाद आप सभी प्रेम,व आत्मीयता के साथ रहना लोगो को इस विशाल देव परिवार गायत्री परिवार से जोड़ने का काम करना है युगनिर्माण की पृष्ठभूमि आत्मीयता के बल पर ही तैयार की गई है इसके अभाव में युगनिर्माण तो क्या गली, मोहल्ला, ग्राम, मोहल्ला ,कस्बा, नगर कुछ निर्माण नही कर पाएंगे हम सब लोग वैचारिक क्रान्ति के सूत्रधार है युगऋषि की पीड़ा को हम ह्रदय से समझ नही पाए है । गुरुदेव जी को हम सभी मानते है लेकिन उनके विचारों को हम लोग नही मानते है जानते है आजतक आत्मसात तक नही कर पाए है। गुरुदेव चीख चीख कर अपनी अंतर पीड़ा पीड़ा आप सबको बता रहे है समझा रहे हैं। फिर भी हम सब मूकदर्शक बनकर बैठे है।
आज हम सब लोग बिछड़ रहे है आपस मे पिछड़ रहे हैं। वैचारिक मतभेद के कारण एक न पटने वाली दीवार खड़ी हो रही है। युगनिर्माण एक बहुत ही बड़ी योजना है 6 अरब लोगो का वैचारिक परिवर्तन करने की योजना है मानव में देवत्व धरती पर स्वर्ग का अवतरण वाली योजना है । यह योजना तबतक संगदिग्ध है जबतक हम आत्मीयता से एक दूसरे के साथ जुड़े नही हो।स्वयं के मान सम्मान व ख्याति की बात सोचे बिना काम करे निष्काम, निस्वार्थ भाव के साथ आगे बढे आत्मीयता से आपस मे बिना खींचतान के जुड़े रहे तो युगऋषि का सपना हम सबका सपना जो हमने खुली आँखों से देखा है एक दिन अवश्य पूरा होगा । परम् पूज्य का लिखा संदेश " अपने अंग अवयवों से अपेक्षा " हैं जरूर पढ़ लेवे।
#देवेन्द्रसैनी विचार क्रांति अभियान #मुंबई
— घोष गायत्री,प्राणेश विश्वास, Uma Patel Uma Patel, Geetika Parivajak,#देवेन्द्रसैनी विचार क्रांति अभियान #मुंबई
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