अंग्रेजी_भाषा_का_सच_यह_है...
लोगों को अंग्रेजी भाषा का जब ही इस्तेमाल करना चाहिए जब सामने वाले को अपनी हिंदी भाषा का ज्ञान ना हो बस हमारे देश के लोगों को यही समझना चाहिए अंग्रेजी का ज्ञान हो किंतु उसे वह हमेशा इस्तेमाल ना करें अंग्रेजी भाषा को जब इस्तेमाल करें जब उसकी जरूरत हो अधिकतर हमें अपनी मातृभाषा का ही इस्तेमाल करना चाहिए
अँग्रेज़ी भाषा एक दम रद्दी है, इस भाषा का जब मैने इतिहास पढ़ा तो पता चला की पाँचवी शताब्दी में तो ये भाषा आई इसका मतलब है कि मुश्किल से 1500 साल पुरानी है l
*हमारी भाषा तो करोड़ों वर्ष पुरानी है संस्कृत, हिन्दी, मराठी, कन्नड़, मलयालम। अंग्रेजी दुनिया की सबसे रद्दी भाषा है, इसकी कोई अपनी व्याकरण नहीं है जो सूद्ढ़ हो और अपनी हो।*
आपको एक उदाहरण देता हूँ. अँग्रेज़ी में एक शब्द है “PUT” इसका उच्चारण होता है पुट दूसरा शब्द है “BUT” इसका उच्चारण है बट इसी तरह “CUT ” को कट बोला जाता है जबकि तीनों शब्द एक समान हैं. इसकी बजह है भाषा के व्याकरण का ना होना. इसी तरह कभी “CH” का उच्चारण “का” होता है तो कभी “च” कोई नियम नहीं है l इस भाषा की कितनी बड़ी कमज़ोरी है।
*अँग्रेज़ी में एक शब्द होता है “SUN” जिसका मतलब होता है सूरज l मै सारे काले अँग्रेज़ों को चुनौती देता हूँ कि सूरज का दूसरा शब्द अँग्रेज़ी में से ढूँढ कर दिखाए यानी की “SUN” का पर्यायवाची; पूरी अँग्रेज़ी में दूसरा शब्द नही है जो सूरज को बता सके l अब हम संस्कृत की बात करें “सूर्य” एक शब्द है इसके अलावा दिनकर , दिवाकर, भास्कर 84 शब्द हैं संकृत में।*
अंग्रेजी का एक शब्द हैं *“MOON”* इसके अलावा कोई शब्द नहीं है; संस्कृत में *56* शब्द है चाँद के लिये l इसी तरह पानी के लिए भी जहाँ अँग्रेज़ी में एक शब्द है *“WATER”* चाहे वो नदी का हो, नाले का या कुए का. संस्कृत में हर पानी के लिए अलग- अलग शब्द है, सागर के पानी से लेकर कीचड़ के पानी तक सभी के लिए अलग- अलग शब्द है।
अंग्रेजी कितनी ग़रीब भाषा है, शब्द ही नही है. चाचा भी “अंकल” मौसा भी “अंकल” फूफा भी “अंकल” और फूफा का फूफा भी “अंकल” और मौसा का मौसा भी “अंकल” कोई शब्द ही नहीँ है अंकल के अलावा इसी तरह चाची, मामी, मौसी सभी के लिए *“आंटी”* कोई शब्द ही नहीँ है इसके अलावा।
*हम तो मूर्ख हैं जो इस अँग्रेज़ी के चक्कर में फस गये। अकल नहीं है, अकल उन्ही की मारी गयी है जो अँग्रेज़ी सीख गये हैं l जिन्होने नहीं सीखी वो बहुत होशियार है l कभी- कभी में अँग्रेज़ी पढ़ें लिखे घरों में भी जाता हूँ l वे अँग्रेज़ी की बजह से मुझे कैसे मूर्ख दिखाई देते हैं उसका उदाहरण देता हूँ l वो ना तो अंग्रेज हैं और ना हिन्दुस्तानी है बीच की खिचड़ी हैं l वो खिचड़ी कैसी हैं; एक परिवार में गया, पिताजी का नाम रामदयाल, माताजी का नाम गायत्री देवी, बेटे का नाम “टिन्कू”। रामदयाल और गायत्री देवी का ये टिन्कू कहा से आ गया l जब में उन से पूछता हूँ कि आपको टिंकू का मतलब पता है तो उनको नहीं पता होता है l*
ऐसे मूर्ख लोग है अर्थ मालूम नही नाम रख लिया टिंकू l फिर में उनको अँग्रेज़ी शब्द कोष दिखता हूँ, अँग्रेज़ी की सबसे पुराना शब्द कोष है वेबस्टेर; जिसमें *टिन्कू का अर्थ है “आवारा लड़का”*l जो लड़का माँ बाप की ना सुने वो टिंकू और हम पढ़े लिखे मूर्ख लोग क्या कर रहें है, अच्छे ख़ासे आज्ञाकारी पुत्र को आवारा बनाने में लगे हैं इस अग्रेज़ी के चक्कर में।
अंगेजी पढ़े लिखे घरों में डिंपल, बबली, डब्ली, पपपी, बबलू, डब्लू जैसे बेतुके और अर्थहीन नाम ही मिलते हैं l भारत में नामों की कमी हो गई है क्या?
कभी कभी में इससे भी बड़ी मूर्खताएँ मैं देखता हूँ l कभी किसी अधकचरे हिन्दुस्तानी के घर में जाऊं तो रोब झाड़ने के लिए अँग्रेज़ी बोलते हैं चाहे ग़लत ही क्यों ना हो l वह चाहे तो हिन्दी में भी बोल सकता है लेकिन रोब झाड़ने के लिए अँग्रेज़ी मैं ही बोलेगा। वो बोलेगा *“ओ श्रवण कुमार she is my misses ”* तो मैं पूछता हूँ ” really” ! she is your misses ?”
*क्योंकि उसको “मिसेज़” का अर्थ नहीं मालूम।“मिसेज” का अर्थ क्या है? किसी भी सभ्यता में जो शब्द निकलते उनका अपना सामाजिक इतिहास और अर्थ होता है । इंगलेंड की सभ्यता का सबसे ख़राब पहलू ये है जो आपको कभी पसंद नहीं आएगी कि वहाँ एक पुरुष और एक स्त्री जीवन भर साथ कभी नहीं रहते; बदलते रहते है कपड़ों की तरह. मेने कई लेखों में पडा है इंग्लेंड और यूरोप में है उनकी 40 -40 शादियाँ हो चुकी और और 41वी करने को तैयारी है ।एक पुरुष कई स्त्रियों से संबंध रखता है एक स्त्री कई पुरुषों से संबंध रखती है। तो पत्नी को छोड़ कर पुरुष जितनी भी स्त्रियों से संबंध रखता है वो सब “मिसेज़” कहलाती है। इसका मतलब हुआ कोई भी महिला जिसके साथ आप रात को सोएं। अब यहाँ धर्म पत्नी को मिसेज़ बनाने में लगे हैं; मूर्खों के मूर्ख।*
*“मिस्टर”* का मतलब उल्टा, पति को छोड़ कर पुरुष जिसके साथ आप रात बिताएँ। छोड़िए इन अँग्रेज़ी शब्दों को इनमें कोई दम नही है ।एक तो सबसे खराब अँग्रेज़ी का शब्द है *“मेडम”* पता नहीं है लोग बोलते कैसे है । आप जानते है यूरोप में मेडम कौन होती है ।ऐसी सभ्यता जहाँ परस्त्री गमन होगा वहां वेश्यावृति भी होगी ।परस्त्री गमन पर पुरुष गमन चरम पर होगा ।तो वैश्याएँ जो अपने कोठों को चल़ाती हैं अपनी वेश्यावृती के धंधे को चलाने के लिए ।वैश्या प्रमुख को वहां मैडम कहा जात है ।हमारे यहाँ ऐसे मूर्ख लोग हैं जो अपनी बहिनों को मैडम कहते है, अपनी पत्नि को मैडम कहते है ।और पत्नि को भी शर्म नहीं आती मैडम कलवाने में वो भी कहती हैं मैडम कहो मुझको । पहले जान तो लो इसका मतलब फिर कहलाओ।
*अपने भारत में कितने सुंदर सुंदर शब्द हैं जैसे “श्रीमती” श्री यानी लक्ष्मी मति यानी बिद्धि जिसमें लक्ष्मी और सरस्वती एक साथ निवास करें वो श्रीमती उसको हमने मिसेज़ बना दिया । इस देश का सत्यानाश किया अँग्रेज़ी पढ़े लिखे लोगों ने; पहले तो अँग्रेज़ी भाषा ने किया फिर इन्होने और ज़्यादा किया ।मेरा आपसे हाथ जोड़ के निवेदन है इस अँग्रेज़ी भाषा के चक्कर में मत पड़िये कुछ रखा नहीं है इसमें।
*विश्व के सबसे ताकतवर देश चीन और जापान...अमेरिका..इंग्लेंड..ये सिर्फ अपनी भाषा बोलते है..बिज़्नेस भी अपनी भाषा मे ही करते है*
क्योंकि बहा का आम नागरिक समर्पित है ।पर हमारे यहाँ इस तरीके के लोग है जो इस तरह की बात सुनकर तुरंत अपने पिछवाडे मे आग लगाकर घूमने लगते है ।
मै सिर्फ यही कहूँगा इस तरह के लोगो को
जो अपनी हिन्दी को छोड़कर अँग्रेजी की प्रशंसा करते है वो लोग अपनी माँ को माँ बोलना भूलकर किसी वैश्या को माँ बोलने मे गर्व महसूस करते है
हिंदी भाषा का प्रयोग करें.
लोगों को अंग्रेजी भाषा का जब ही इस्तेमाल करना चाहिए जब सामने वाले को अपनी हिंदी भाषा का ज्ञान ना हो बस हमारे देश के लोगों को यही समझना चाहिए अंग्रेजी का ज्ञान हो किंतु उसे वह हमेशा इस्तेमाल ना करें अंग्रेजी भाषा को जब इस्तेमाल करें जब उसकी जरूरत हो अधिकतर हमें अपनी मातृभाषा का ही इस्तेमाल करना चाहिए
अँग्रेज़ी भाषा एक दम रद्दी है, इस भाषा का जब मैने इतिहास पढ़ा तो पता चला की पाँचवी शताब्दी में तो ये भाषा आई इसका मतलब है कि मुश्किल से 1500 साल पुरानी है l
*हमारी भाषा तो करोड़ों वर्ष पुरानी है संस्कृत, हिन्दी, मराठी, कन्नड़, मलयालम। अंग्रेजी दुनिया की सबसे रद्दी भाषा है, इसकी कोई अपनी व्याकरण नहीं है जो सूद्ढ़ हो और अपनी हो।*
आपको एक उदाहरण देता हूँ. अँग्रेज़ी में एक शब्द है “PUT” इसका उच्चारण होता है पुट दूसरा शब्द है “BUT” इसका उच्चारण है बट इसी तरह “CUT ” को कट बोला जाता है जबकि तीनों शब्द एक समान हैं. इसकी बजह है भाषा के व्याकरण का ना होना. इसी तरह कभी “CH” का उच्चारण “का” होता है तो कभी “च” कोई नियम नहीं है l इस भाषा की कितनी बड़ी कमज़ोरी है।
*अँग्रेज़ी में एक शब्द होता है “SUN” जिसका मतलब होता है सूरज l मै सारे काले अँग्रेज़ों को चुनौती देता हूँ कि सूरज का दूसरा शब्द अँग्रेज़ी में से ढूँढ कर दिखाए यानी की “SUN” का पर्यायवाची; पूरी अँग्रेज़ी में दूसरा शब्द नही है जो सूरज को बता सके l अब हम संस्कृत की बात करें “सूर्य” एक शब्द है इसके अलावा दिनकर , दिवाकर, भास्कर 84 शब्द हैं संकृत में।*
अंग्रेजी का एक शब्द हैं *“MOON”* इसके अलावा कोई शब्द नहीं है; संस्कृत में *56* शब्द है चाँद के लिये l इसी तरह पानी के लिए भी जहाँ अँग्रेज़ी में एक शब्द है *“WATER”* चाहे वो नदी का हो, नाले का या कुए का. संस्कृत में हर पानी के लिए अलग- अलग शब्द है, सागर के पानी से लेकर कीचड़ के पानी तक सभी के लिए अलग- अलग शब्द है।
अंग्रेजी कितनी ग़रीब भाषा है, शब्द ही नही है. चाचा भी “अंकल” मौसा भी “अंकल” फूफा भी “अंकल” और फूफा का फूफा भी “अंकल” और मौसा का मौसा भी “अंकल” कोई शब्द ही नहीँ है अंकल के अलावा इसी तरह चाची, मामी, मौसी सभी के लिए *“आंटी”* कोई शब्द ही नहीँ है इसके अलावा।
*हम तो मूर्ख हैं जो इस अँग्रेज़ी के चक्कर में फस गये। अकल नहीं है, अकल उन्ही की मारी गयी है जो अँग्रेज़ी सीख गये हैं l जिन्होने नहीं सीखी वो बहुत होशियार है l कभी- कभी में अँग्रेज़ी पढ़ें लिखे घरों में भी जाता हूँ l वे अँग्रेज़ी की बजह से मुझे कैसे मूर्ख दिखाई देते हैं उसका उदाहरण देता हूँ l वो ना तो अंग्रेज हैं और ना हिन्दुस्तानी है बीच की खिचड़ी हैं l वो खिचड़ी कैसी हैं; एक परिवार में गया, पिताजी का नाम रामदयाल, माताजी का नाम गायत्री देवी, बेटे का नाम “टिन्कू”। रामदयाल और गायत्री देवी का ये टिन्कू कहा से आ गया l जब में उन से पूछता हूँ कि आपको टिंकू का मतलब पता है तो उनको नहीं पता होता है l*
ऐसे मूर्ख लोग है अर्थ मालूम नही नाम रख लिया टिंकू l फिर में उनको अँग्रेज़ी शब्द कोष दिखता हूँ, अँग्रेज़ी की सबसे पुराना शब्द कोष है वेबस्टेर; जिसमें *टिन्कू का अर्थ है “आवारा लड़का”*l जो लड़का माँ बाप की ना सुने वो टिंकू और हम पढ़े लिखे मूर्ख लोग क्या कर रहें है, अच्छे ख़ासे आज्ञाकारी पुत्र को आवारा बनाने में लगे हैं इस अग्रेज़ी के चक्कर में।
अंगेजी पढ़े लिखे घरों में डिंपल, बबली, डब्ली, पपपी, बबलू, डब्लू जैसे बेतुके और अर्थहीन नाम ही मिलते हैं l भारत में नामों की कमी हो गई है क्या?
कभी कभी में इससे भी बड़ी मूर्खताएँ मैं देखता हूँ l कभी किसी अधकचरे हिन्दुस्तानी के घर में जाऊं तो रोब झाड़ने के लिए अँग्रेज़ी बोलते हैं चाहे ग़लत ही क्यों ना हो l वह चाहे तो हिन्दी में भी बोल सकता है लेकिन रोब झाड़ने के लिए अँग्रेज़ी मैं ही बोलेगा। वो बोलेगा *“ओ श्रवण कुमार she is my misses ”* तो मैं पूछता हूँ ” really” ! she is your misses ?”
*क्योंकि उसको “मिसेज़” का अर्थ नहीं मालूम।“मिसेज” का अर्थ क्या है? किसी भी सभ्यता में जो शब्द निकलते उनका अपना सामाजिक इतिहास और अर्थ होता है । इंगलेंड की सभ्यता का सबसे ख़राब पहलू ये है जो आपको कभी पसंद नहीं आएगी कि वहाँ एक पुरुष और एक स्त्री जीवन भर साथ कभी नहीं रहते; बदलते रहते है कपड़ों की तरह. मेने कई लेखों में पडा है इंग्लेंड और यूरोप में है उनकी 40 -40 शादियाँ हो चुकी और और 41वी करने को तैयारी है ।एक पुरुष कई स्त्रियों से संबंध रखता है एक स्त्री कई पुरुषों से संबंध रखती है। तो पत्नी को छोड़ कर पुरुष जितनी भी स्त्रियों से संबंध रखता है वो सब “मिसेज़” कहलाती है। इसका मतलब हुआ कोई भी महिला जिसके साथ आप रात को सोएं। अब यहाँ धर्म पत्नी को मिसेज़ बनाने में लगे हैं; मूर्खों के मूर्ख।*
*“मिस्टर”* का मतलब उल्टा, पति को छोड़ कर पुरुष जिसके साथ आप रात बिताएँ। छोड़िए इन अँग्रेज़ी शब्दों को इनमें कोई दम नही है ।एक तो सबसे खराब अँग्रेज़ी का शब्द है *“मेडम”* पता नहीं है लोग बोलते कैसे है । आप जानते है यूरोप में मेडम कौन होती है ।ऐसी सभ्यता जहाँ परस्त्री गमन होगा वहां वेश्यावृति भी होगी ।परस्त्री गमन पर पुरुष गमन चरम पर होगा ।तो वैश्याएँ जो अपने कोठों को चल़ाती हैं अपनी वेश्यावृती के धंधे को चलाने के लिए ।वैश्या प्रमुख को वहां मैडम कहा जात है ।हमारे यहाँ ऐसे मूर्ख लोग हैं जो अपनी बहिनों को मैडम कहते है, अपनी पत्नि को मैडम कहते है ।और पत्नि को भी शर्म नहीं आती मैडम कलवाने में वो भी कहती हैं मैडम कहो मुझको । पहले जान तो लो इसका मतलब फिर कहलाओ।
*अपने भारत में कितने सुंदर सुंदर शब्द हैं जैसे “श्रीमती” श्री यानी लक्ष्मी मति यानी बिद्धि जिसमें लक्ष्मी और सरस्वती एक साथ निवास करें वो श्रीमती उसको हमने मिसेज़ बना दिया । इस देश का सत्यानाश किया अँग्रेज़ी पढ़े लिखे लोगों ने; पहले तो अँग्रेज़ी भाषा ने किया फिर इन्होने और ज़्यादा किया ।मेरा आपसे हाथ जोड़ के निवेदन है इस अँग्रेज़ी भाषा के चक्कर में मत पड़िये कुछ रखा नहीं है इसमें।
*विश्व के सबसे ताकतवर देश चीन और जापान...अमेरिका..इंग्लेंड..ये सिर्फ अपनी भाषा बोलते है..बिज़्नेस भी अपनी भाषा मे ही करते है*
क्योंकि बहा का आम नागरिक समर्पित है ।पर हमारे यहाँ इस तरीके के लोग है जो इस तरह की बात सुनकर तुरंत अपने पिछवाडे मे आग लगाकर घूमने लगते है ।
मै सिर्फ यही कहूँगा इस तरह के लोगो को
जो अपनी हिन्दी को छोड़कर अँग्रेजी की प्रशंसा करते है वो लोग अपनी माँ को माँ बोलना भूलकर किसी वैश्या को माँ बोलने मे गर्व महसूस करते है
हिंदी भाषा का प्रयोग करें.
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