जब हिन्दुओ में शादी होती है तो शादी के कार्ड पर ॐ और श्री गणेश जरूर बना होता है, उसमे मंगल सन्देश भी लिखा होता है, भगवान् विष्णु के सन्देश भी होते है, पर मुसलमानो की शादी के कार्ड में ये सब नहीं होता, वहां उनके हिसाब से चीजें लिखी हुई होती है
आज हम आपको नेहरू की शादी का कार्ड दिखा रहे है जो उनके अब्बू मोतीलाल ने छपवाया था, शादी का पूरा कार्ड ही उर्दू में छापा गया था, और हर चीज उर्दू में यहाँ तक की शादी के समारोह के दिनांक भी उर्दू में ही लिखे गए थे, देखिये नेहरू की शादी का कार्ड
पहले कार्ड में ये लिखा है - इल्तिजा है कि बरोज़ शादीबरखुर्दार जवाहर लाल नेहरूतारीख 7 फरवरी सन् 1916, बवक़्त 4 बजे शामजनाब मआ अज़ीज़ानग़रीब ख़ाना पर चा नोशी फ़रमा करब हमरही नौशादौलत ख़ाना समधियान पर तशरीफ़ शरीफ़अरज़ानी फ़रमाएंबंदा मोती लाल नेहरूनेहरू वेडिंग कैम्पअलीपुर रोड, दिल्ली
दूसरा दावत नामा जो कि मोतीलाल नेहरू की तरफ से मेहमानों को आनंद भवन (इलाहाबाद) में बुलाते हुए छपवाया गया था, उसे भी देखियेःतमन्ना है कि बतक़रीब शादीबरख़ुर्दार जवाहर लाल नेहरूसाथदुख़्तर पंडित जवाहर मल कौलबमुक़ाम देहलीबतारीख़ 7 फरवरी, सन् 1916 व तक़ारीबमाबाद बतवारीख़8 और 9 फरवरी, सन् 1916जनाब मआ अज़ीज़ान शिरकत फ़रमा करमुसर्रत और इफ़्तेख़ार बख़्शेंबंदा मोती लाल नेहरूमुंतज़िर जवाबआनंद भवनइलाहाबाद
तीसरा कार्ड बहुरानी यानी कमला कौल के स्वागत कार्यक्रम से संबंधित था जिसमें खाने के इंतेजाम का जिक्र था और अजीज लोगों से दावत में शामिल होने की गुजारिश थी। ये कार्ड दो पन्नों में छपा था। कार्ड के शब्द इस प्रकार से हैः शादीबरख़ुर्दार जवाहर लाल नेहरूसाथदुख़्तर पंडित जवाहर मल कौल साहब, आरज़ू है कि बतक़रीब आमदन बहूरानीतारीख़ 9 फ़रवरी, सन् 1916 बवक़्त 8 बजे शामजनाब मअ अज़ीज़ान ग़रीबख़ाना पर तनावुल मा हज़र फ़रमा करमुसर्रत व इफ़्तेख़ार बख़्शेंबंदा मोती लाल नेहरूनेहरू वेडिंग कैम्प अलीपुर रोड, देहली
नेहरू की शादी के कार्ड से आप सकते है की नेहरू की शादी में माहौल क्या रहा होगा, ऐसा लगता है की ये किसी पंडित की शादी का कार्ड है, जिसमे इस्लामिक इत्र तो खूब महक रहा है, पर हिन्दू मंत्र, ॐ, गणेश सबकुछ ही गायब है
आज हम आपको नेहरू की शादी का कार्ड दिखा रहे है जो उनके अब्बू मोतीलाल ने छपवाया था, शादी का पूरा कार्ड ही उर्दू में छापा गया था, और हर चीज उर्दू में यहाँ तक की शादी के समारोह के दिनांक भी उर्दू में ही लिखे गए थे, देखिये नेहरू की शादी का कार्ड
पहले कार्ड में ये लिखा है - इल्तिजा है कि बरोज़ शादीबरखुर्दार जवाहर लाल नेहरूतारीख 7 फरवरी सन् 1916, बवक़्त 4 बजे शामजनाब मआ अज़ीज़ानग़रीब ख़ाना पर चा नोशी फ़रमा करब हमरही नौशादौलत ख़ाना समधियान पर तशरीफ़ शरीफ़अरज़ानी फ़रमाएंबंदा मोती लाल नेहरूनेहरू वेडिंग कैम्पअलीपुर रोड, दिल्ली
दूसरा दावत नामा जो कि मोतीलाल नेहरू की तरफ से मेहमानों को आनंद भवन (इलाहाबाद) में बुलाते हुए छपवाया गया था, उसे भी देखियेःतमन्ना है कि बतक़रीब शादीबरख़ुर्दार जवाहर लाल नेहरूसाथदुख़्तर पंडित जवाहर मल कौलबमुक़ाम देहलीबतारीख़ 7 फरवरी, सन् 1916 व तक़ारीबमाबाद बतवारीख़8 और 9 फरवरी, सन् 1916जनाब मआ अज़ीज़ान शिरकत फ़रमा करमुसर्रत और इफ़्तेख़ार बख़्शेंबंदा मोती लाल नेहरूमुंतज़िर जवाबआनंद भवनइलाहाबाद
तीसरा कार्ड बहुरानी यानी कमला कौल के स्वागत कार्यक्रम से संबंधित था जिसमें खाने के इंतेजाम का जिक्र था और अजीज लोगों से दावत में शामिल होने की गुजारिश थी। ये कार्ड दो पन्नों में छपा था। कार्ड के शब्द इस प्रकार से हैः शादीबरख़ुर्दार जवाहर लाल नेहरूसाथदुख़्तर पंडित जवाहर मल कौल साहब, आरज़ू है कि बतक़रीब आमदन बहूरानीतारीख़ 9 फ़रवरी, सन् 1916 बवक़्त 8 बजे शामजनाब मअ अज़ीज़ान ग़रीबख़ाना पर तनावुल मा हज़र फ़रमा करमुसर्रत व इफ़्तेख़ार बख़्शेंबंदा मोती लाल नेहरूनेहरू वेडिंग कैम्प अलीपुर रोड, देहली
नेहरू की शादी के कार्ड से आप सकते है की नेहरू की शादी में माहौल क्या रहा होगा, ऐसा लगता है की ये किसी पंडित की शादी का कार्ड है, जिसमे इस्लामिक इत्र तो खूब महक रहा है, पर हिन्दू मंत्र, ॐ, गणेश सबकुछ ही गायब है
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