मोहम्मद अली जिन्ना गुजरात के राजकोट जिले के उपलेटा का रहने वाला था ..परदादा का नाम प्रेमजी भाई मेघजी ठक्कर था । दादा का नाम जिन्नाभाई प्रेमजी भाई ठक्कर था ।
ठक्कर यानी लुहाना जो गुजरात की सबसे प्रमुख व्यापारिक लोग है ...कट्टर वैष्णव ..मांस मछली से दूर ..और ये लोग जनरल कॉस्ट में आते है और बहुत पैसे वाले होते है ।
जिन्नाभाई प्रेमजी भाई ठक्कर को धंधे में नुकसान हुआ तो उन्होंने मछली का धंधा किया, फिर सौराष्ट्र लुहाना समाज उन्हें जाति वहिष्कृत कर दिया ।
जूनागढ़ का नबाब उन्हें बुलाया और उन्हें भड़काकर मुस्लिम बनाने को तैयार किया ...और उन्होंने अपने नाम जिन्ना को अपना सरनेम बनाया और इस्लाम कुबूल करके नाम रखा अलीभाई जिन्ना ।
मोहम्मद अली जिन्ना कभी दिल से मुस्लिम नही हुआ ..वो कभी नमाज नही पढ़ता था और सुअर का मांस खाता था ।
वो नेहरू से ज्यादा ब्रिलियंट और पढ़ा लिखा था अपने जमाने का आक्सफोर्ड से बार एट लॉ था । और अपने मेहनत से उस जमाने मे इसने अरबो का एम्पायर खड़ा किया
उसे कैंसर हुआ ...देश मे आजादी की सुगबुगाहट चली .. उसने गांधी से कहा कि मुझे देश का प्रथम प्रधानमंत्री बनना है, मैं मात्र 1 साल या 6 महीने और जीने वाला हूँ ..लेकिन रँगा और बिल्ला यानी गांधी और नेहरू उसे साइड कर दिए और गांधी ने नेहरू का नाम क्लीमेंट एटली को भेजा ..
फिर जिन्ना और इकबाल तथा ढाका के नबाब सलामुल्लाह खां लन्दन में एक बार मे बैठकर शराब पी रहे थे, वहाँ जिन्ना ने अपना दर्द बयां किया, फिर मशहूर शायर इक़बाल ने कहा कि क्यो न हम मुसलमानो के लिए अलग देश की मांग करे ..जिन्ना ने इसका विरोध किया लेकिन इकबाल और नबाब सलामुल्लाह खां ने जिन्ना को राजी कर लिया ।
इस तरह देश तीन टुकड़ो में बंटा
जिन्ना को गाली जरूर दीजिये ...मगर याद रहे वो मात्र मोहरा था, बंटवारे का असली जिम्मेदार गांधी और नेहरू ही थे।।
ठक्कर यानी लुहाना जो गुजरात की सबसे प्रमुख व्यापारिक लोग है ...कट्टर वैष्णव ..मांस मछली से दूर ..और ये लोग जनरल कॉस्ट में आते है और बहुत पैसे वाले होते है ।
जिन्नाभाई प्रेमजी भाई ठक्कर को धंधे में नुकसान हुआ तो उन्होंने मछली का धंधा किया, फिर सौराष्ट्र लुहाना समाज उन्हें जाति वहिष्कृत कर दिया ।
जूनागढ़ का नबाब उन्हें बुलाया और उन्हें भड़काकर मुस्लिम बनाने को तैयार किया ...और उन्होंने अपने नाम जिन्ना को अपना सरनेम बनाया और इस्लाम कुबूल करके नाम रखा अलीभाई जिन्ना ।
मोहम्मद अली जिन्ना कभी दिल से मुस्लिम नही हुआ ..वो कभी नमाज नही पढ़ता था और सुअर का मांस खाता था ।
वो नेहरू से ज्यादा ब्रिलियंट और पढ़ा लिखा था अपने जमाने का आक्सफोर्ड से बार एट लॉ था । और अपने मेहनत से उस जमाने मे इसने अरबो का एम्पायर खड़ा किया
उसे कैंसर हुआ ...देश मे आजादी की सुगबुगाहट चली .. उसने गांधी से कहा कि मुझे देश का प्रथम प्रधानमंत्री बनना है, मैं मात्र 1 साल या 6 महीने और जीने वाला हूँ ..लेकिन रँगा और बिल्ला यानी गांधी और नेहरू उसे साइड कर दिए और गांधी ने नेहरू का नाम क्लीमेंट एटली को भेजा ..
फिर जिन्ना और इकबाल तथा ढाका के नबाब सलामुल्लाह खां लन्दन में एक बार मे बैठकर शराब पी रहे थे, वहाँ जिन्ना ने अपना दर्द बयां किया, फिर मशहूर शायर इक़बाल ने कहा कि क्यो न हम मुसलमानो के लिए अलग देश की मांग करे ..जिन्ना ने इसका विरोध किया लेकिन इकबाल और नबाब सलामुल्लाह खां ने जिन्ना को राजी कर लिया ।
इस तरह देश तीन टुकड़ो में बंटा
जिन्ना को गाली जरूर दीजिये ...मगर याद रहे वो मात्र मोहरा था, बंटवारे का असली जिम्मेदार गांधी और नेहरू ही थे।।
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