Wednesday 20 April 2016

यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बना 

10 वर्ष की उम्र में यह बालक

10 वर्ष की छोटी सी उम्र में इस बच्चे ने विद्यार्थियों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। भोजन में क्या खाना चाहिए और क्या नही खाना चाहिए, इस विषय पर महाविद्यालयों, विद्यालयों में जाकर व्याख्यान देना और जनजागरण का कार्य करना, यही काम है 10 वर्ष की उम्र के बालक, अभिज्ञ का.
अभिज्ञ, कर्नाटक के मैसूर के एक सरकारी विद्यालय में कक्षा 6 का छात्र है. 7 वर्ष की आयु में अभिज्ञ को श्रीमद्भागवत गीता के सभी श्लोक कंठस्त है. अभिज्ञ को अपने इस अनूठे ज्ञान के लिए कई बार पुरस्कृत भी किया जा चुका है; यहाँ तक कि अभिज्ञ भारत ही नहीं, बल्कि जर्मनी के भी कई विद्यालयों में जा चुका है.
स्वच्छ शरीर प्रोग्राम के अंतर्गत, अभिज्ञ का कहना है कि शरीर को केवल बाहर से साफ़ करने से कुछ नहीं होगा, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उसकी अन्दर से भी साफ़ सफाई करनी होगी। अपनी सोच और अपने विचारों की भी शुद्धि करनी होगी।
अभिज्ञ से जब सरकारी विद्यालय में पढने का कारण पूछा तो उसका कहना था कि ऐसे विद्यालयों में विनम्रता का पाठ पढाया जाता है, किन्तु प्राइवेट विद्यालय के बच्चों में अक्सर अभिमान आ जाता है.
इसके अलावा अभिज्ञ विद्यालय में संस्कृत, ज्योतिषी और आयुर्वेद के पाठ्यक्रम भी पढ़ रहा है और साथ ही आयुर्वेदिक सूक्ष्म विज्ञान से डिप्लोमा कर रहा है.
10 Years Old University Professor



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