Thursday 28 April 2016

भारत का इंडियन रीजनल नेविगेशनल सैटेलाइट सिस्टम यानि IRNSS, अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानि जीपीएस और रूस के ग्लोनास को टक्कर देने वाला है। इसरो का PSLV C-33 रॉकेट अपने 35वें मिशन में IRNSS 1 G सैटेलाइट को अगर आज अगर पृथ्वी की कक्षा में सफलता पूर्वक स्थापित कर देता है तो भारतीय वैज्ञानिकों को उनके 17 साल के कड़े संघर्ष का फल मिल जाएगा।
दरअसल साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भारत ने पाकिस्तानी सेना की लोकेशन जानने के लिए अमेरिका से जीपीएस सेवा की मांग की थी लेकिन अमेरिका तब भारत को आंकड़े देने से मना कर दिया था। उसी समय से भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक स्वदेशी जीपीएस बनाने की कोशिश करने लगे थे।

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