Wednesday 20 April 2016

खोज ऑपरेशन सद्‍भावना: सेना की प्रशंसनीय मुहिम, जिस पर मीडिया कभी बात नहीं करती

अगर आप बिकाऊ मीडिया के पुजारी हैं, जिनकी समझ में भारतीय सेना की भूमिका जम्मू-कश्मीर में खौफनाक है और टीआरपी के लिए वह जो कुछ भी परोस देते हैं और आप बड़ी सहजता से यह हज़म कर जाते हैं कि भारतीय सेना वहां अत्याचार करती है, तो कृपया यह लेख न पढ़े।


दरअसल, अलगाववादी कश्मीर में भारतीय सेना को बदनाम करने का पाकिस्तानी एजेंडा चलाते हैं और ऐसी झूठी अफवाहें फैलाकर कश्मीर के आम लोगों को भारतीय सेना के खिलाफ भड़काते हैं। पिछले कुछ सालों में ऐसी तमाम अफवाहें, चाहे पानी में ज़हर मिलाने की घटना हो, या वहां के मुख्यमंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत की झूठी खबर हो, इन अलगाववादियों ने भारतीय सेना को हमेशा ही बदनाम करने की कोशिश की है।

‘ऑपरेशन सद्‍भावना’ भारतीय सेना के मानवीय पहलू का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। अचरज होता है कि पत्रकारिता की कलम इतनी फीकी कैसे पड़ गई कि ग्लैमर कि चकाचौंध के अलावा सेना की इस अद्भुत मुहिम को लिखने में वह पीछे रह गई? कैसे न्यूज एंकर की आवाज़ आइपीएल के शोर में बदल कर कश्मीर में सेना को क्रूर ढंग से पेश करने की जुगत में लगी रही? और कैसे हमारे जवानों के द्वारा पढ़ाए जा रहे अमन की भाषा को अवाम तक पहुंचाना भूल गयी ?

‘ऑपरेशन सदभावना’: जवान और अवाम, अमन है मुक़ाम

ऑपरेशन सद्‍भावना की शुरुआत 1998 में भारतीय सेना की उत्तरी कमान के द्वारा हुई थी। लेफ्टिनेंट जनरल अर्जुन राय जो अभी सेना के 14वीं कोर में कमांडर के रूप में सेवारत हैं, ने आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र में इस अद्भुत पहल को बढ़ावा देने में प्रभावी भूमिका निभाई है।

इस मुहिम का मकसद है कि कश्मीरी अवाम और सेना के बीच बेहतर संबंध स्थापित हो। साथ ही कश्मीर के स्थानीय लोगों की सोच व्यापक हो।

कश्मीर में जहां आबादी के जरूरत हिसाब से स्वास्थ संबंधी सेवाएं बेहतर नहीं हैं, इस मुहिम के द्वारा नियमित रूप से स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

इस ऑपरेशन के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों के वंचित बच्चों को शिक्षित करने के लिए सेना के गुडविल स्कूल (AGS) स्थापित किए जा रहे हैं। योग्य शिक्षकों, अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ यह स्कूल निश्चित रूप से एक बेहतर समाज बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।

कश्मीर के युवाओं के नज़रिए को व्यापक बनाने के लिए ‘ऑपरेशन संगम’ के तहत उनको भारत के विभिन्न हिस्सों का पर्यटन कराया जाता है।

प्राथमिक कार्यों में पुलों और क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत करना है, जो गोलीबारी के कारण ध्वस्त हो चुके है। इस तरह इस मुहिम से गांव के पुनरुद्धार हो रहे हैं और इस वजह से कश्मीर में बुनियादी ढांचा भी मजबूत हो रहा है।

ऑपरेशन सद्‍भावना जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी एक अवसर है। उनको नए स्थानों की यात्रा कराई जाती है, ताकि वे उन जगहों पर जा कर वहां के लोगों के साथ मेलजोल बढ़ा सके और देश की अनेकता में एकता की संस्कृति से परिचित हो सकें।

ऑपरेशन सद्भावना के अंतर्गत आने वाली एक और मुहिम ‘ऑपरेशन उजाला’ कश्मीरी बच्चों के लिए समर्पित है। इसके अंतर्गत उन स्कूल को पुनः संगठित किया जा रहा है, जो आतंकवादी हमलों के कारण मलबे में तब्दील हो गए थे।

कश्मीर, जहां प्राथमिक शिक्षा भी युवाओं से अछूता रहा है। इस मुहिम के द्वारा आप उनके बेहतर कल की कल्पना कर सकते हैं। ऑपरेशन सद्‍भावना जहां युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है। वहीं विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रम द्वारा उन्हे प्रशिक्षित भी कर रहा है।

जगह-जगह बने सामुदायिक विकास केंद्र जहां आर्थिक रूप से पिछड़े अवाम को उनके जीवन स्तर में सुधार करने में सहायक हो रहा है। वहीं उनके हुनर को पहचान कर उनके विकास के लिए प्रेरित भी कर रहा है।

इस मुहिम के द्वारा स्थानीय परियोजनाओं के जरिए युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, उनको ग्रामीण उद्यमशीलता में निपुण कर उन्हें सशक्त भी बनाया जा रहा है।

इस ऑपरेशन के तहत अनाथालयों और हॉस्टल का निर्माण कराया जा रहा है, जिनसे उन्हें बुनियादी सुविधाएं मिल सकें।

तेजी से बढ़ते डिजिटल दुनिया के साथ सामना करने के लिए कंप्यूटर केंद्रों को स्थापित किया जा रहा है। जिसकी मदद से बड़ों के साथ ही बच्चे भी बाहर की दुनिया से जुड़ सकते हैं।

topyaps
post credit-topyaps

No comments:

Post a Comment