Friday 29 April 2016



ग्वालियर से शिवपुरी के बीच के करीब ३०० आदिवासीयों के गांव पडते हैं, इन आदिवासी गांवों मे जहां बिजली आना चमत्कार से कम नही माना जाता वहां इशाई मिशनरीयों के ५० से ज्यादा स्कूल एक दो अस्पताल और १६ एन जी ओ चलते हैं जिनका मकसद उन आदिवासीयों को ईसाई बनाना नही बल्कि उनको सनातन धर्म से तोडना है क्योंकि असली इसाई तो वो खुद नहीं हैं।
पर इतनी मेहनत और पैसा खर्च करने के बाद भी वहां उनका काम रुका हुआ है। ग्वालियर युवा सेवा संघ के सद्स्य श्री श्याम भाई गुर्जर जी ने बताया था की पिछले तीन सालों मे ये अभी तक ३०-३५ धर्मांतरण ही कर पाये हैं, इनके काम मे जो सबसे बडा रोडा बना हुआ है वो है शिवपुरी लिंक रोड पर स्थित संत श्री आशारामजी का आश्रम। बापूजी के आश्रम से इन आदिवासी इलाकों में पिछले १० साल से यही सेवा चल रही है। होली, दीवाली, गुरु पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा और अन्य पूण्य्दायी तिथियों पर आश्रम के सेवादारी इन स्थानों पर जाते हैं और इन भाइयों को इनकी जरूरतों का सामान देकर इन्हें धर्मांतरण की हानियों और सनातन धर्म के लाभ और व्यापकता से परिचित कराते हैं। इस आश्रम से हर माह करीब १.२५ लाख रुपये की सेवा इन भाइयों के बीच करी जाती है।
जो काम कोई सरकार नही कर पा रही उस काम को एक संत कर रहा है, वो भी जेल में बैठा हुआ। इस काम के लिये इन्हें कोई मीडिया कवरेज की जरुरत नहीं है।
यही कारण है की भारतीय मानस की बुद्धि मे सेंध लगा चुके विदेशी चंदे पर पलने वाले जहरीले पत्रकार उनको जेल मे रखने के लिये अपना दिन-रात एक किये हुये हैं।
ये फोटो कल के सेवा के हैं जब पूज्य बापूजी के अवतरण दिवस के उपलक्ष्य मे आदिवासि बहनों को साडियां वितरण के साथ भंडारे का प्रसाद भी दिया गया।

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