Wednesday, 8 October 2014

पंचमुखी हनुमान मंदिर, कराची- पाकिस्तान में है एक ऎसा मंदिर जहां भगवान राम पहुंचे। 17 लाख साल पहले बने इस पंचमुखी हनुमान मंदिर में हर मनोकामना पूर्ण होती है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के कराची में स्थित इस मंदिर का पुर्ननिर्माण 1882 में किया गया। मंदिर में पंचमुखी हनुमान की मनमोहक प्रतिमा स्थापित है। त्रेता युग से है संबंध : - बताया जाता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति डेढ़ हजार साल पहले प्रकट हुई थी। जहां से मूर्ति प्रकट हुई वहां से मात्र 11 मुट्ठी मिट्टी को हटाया गया और मूर्ति सामने आ गई। हालांकि इस रहस्मयी मूर्ति का संबंध त्रेता युग से है। मंदिर पुजारी का कहना है कि यहां सिर्फ 11-12 परिक्रमा लगाने से मनोकामना पूरी हो जाती है। हनुमानजी के अलावा यहां कई हिन्दु देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। गौरतलब है कि इस मंदिर के दर्शन भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी और जसवंत सिंह भी कर चुके हैं। ....
कटासराज मंदिर परिसर, पंजाब:- पाकिस्तान के पंजाब की राजधानी से लाहौर 270 किलोमीटर दूरी पर चकवाल जिले में स्थित है कटासराज मंदिर। कहा जाता है कि यहीं पर पांडवों ने आदिकाल से स्थित शिवलिंग की पूजा की थी। पांड़वों ने अपने अज्ञातवास के 4 साल कटासराज में ही बिताए थे। यह भी माना जाता है कि शिव और पार्वती का विवाह भी इसी जगह सम्पन्न हुआ था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता पार्वती के वियोग में जब शिवशंकर ने रूदन किया, तो पृथ्वी पर दो कुंड बन गए थे। इनमें से एक कुंड अजमेर के पुष्कर में ब्रह्म सरोवर के नाम से जाना जाता है और दूसरा पाकिस्तान के कटासराज में मंदिर परिसर में मौजूद है। दोनों कुंड़ों के पानी की विशेष्ाता इनका सदैव स्वच्छ रहना और रोग-दोष मिटाना है। ..
हिंगलाज माता मंदिर, बलोचिस्तान:- क्षत्रियों की कुलदेवी के रूप में प्रसिद्ध हिंगलाज भवानी माता का बलोचिस्तान स्थित मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। कराची से 250 किलोमीटर दूर क्वेटा-कराची रोड़ पर राष्ट्रीय राजमार्ग से करीब घंटेभर की पैदल दूरी पर स्थित है यह मंदिर। मंदिर के सालाना मेले में यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल होते हैं। यहां के स्थानीय लोग हिंगलाज माता मंदिर को श्रद्धा से "नानी का हज", "नानी का मंदिर" कहते हैं। नानी का मतलब यहां ईरान की देवी अनाहिता से है। कहा जाता है कि माता के दर्शन के लिए गुरू नानक देव भी आए थे। .....
 गोरी मंदिर, थारपारकर, सिंध:- यह मंदिर मूल रूप से जैन धर्म को समर्पित है। मध्यकाल में बने इस मंदिर में जैन धर्म के 23वें तीर्थकर भगवान पाश्र्वनाथ की मुख्य मूर्ति स्थापित थी, लेकिन बाद में इसे मुंबई ले जाया गया। मुंबई में इन्हें गोदीजी पाश्र्वनाथ कहा जाता है। अब गोरी मंदिर में हिन्दु देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित कर दी गई हैं। पाकिस्तान के सिन्ध प्रांत में थारपारकर जिले में स्थित इस गोरी मंदिर के स्थापत्य की बात की जाए तो माउंट आबू मंदिर शैली ही यहां देखी जा सकती है। पाकिस्तान स्थित हिन्दुओं का एक और महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। पाकिस्तान में सबसे अधिक हिन्दू पाकिस्तान के इसी थारपारकर जिले में ही रहते हैं जो मूल रूप से आदिवासी हैं। इन्हें पाकिस्तान में थारी हिन्दू कहा जाता है। थारपारकर में इन थारी हिन्दुओं की आबादी कुल आबादी के करीब 40 फीसदी है। ....
मरी सिन्धु मंदिर परिसर, पंजाब:- अब लगभग खंडहर में तब्दील हो चुके मरी सिन्धु मंदिर का निर्माण पहली से पांचवी शताब्दी के बीच करवाया गया। मरी उस समय गांधार प्रदेश का हिस्सा था। हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण उस समय के राजपूत राजाओं ने करवाया था। मरी इंडस और साल्ट रेंज टेंपल के नाम से विख्यात इस मंदिर में कश्मीर की स्थापत्य शैली नजर आती है। 
शारदा मंदिर, पाक अधिकृत कश्मीर:- अब भारतीय नियंत्रण रेखा से महज 17 मील दूर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के शारदा गांव में शारदा मंदिर बनाया गया। हालांकि इसके अस्तित्व में आने के बारे में इतिहास में कोई वर्णन नहीं है। पर इसका महत्व हिंदू मंदिरों में सबसे ज्यादा है। यह 52 शक्तिपीठों में नहीं बल्कि 18 महाशक्तिपीठों में से एक है। पर दुख की बात यह है अब इस मंदिर के सिर्फ भग्नावशेष्ा ही बचे हैं। सनातन धर्म शास्त्र के अनुसार भगवान शंकर ने सती के शव के साथ जो तांडव किया था उसमें सती का दाहिना हाथ इसी पर्वतराज हिमालय की तराई कश्मीर में गिरा था। शारदा गांव में। शैव संप्रदाय के जनक कहे जानेवाले शंकराचार्य और वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य दोनों ही यहां आये और दोनों ही दो महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की। शंकराचार्य यहीं सर्वज्ञपीठम पर बैठे तो रामानुजाचार्य ने यहीं पर श्रीविद्या का भाष्य प्रवर्तित किया। पंजाबी भाषा की गुरूमुखी लिपि का उeम शारदा लिपी से ही होता है।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर, कराची- एक पहाड़ी में गुफा बनाकर निर्मित यह मंदिर 300 साल पुराना है। रत्नेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग के अलावा अब अन्य हिन्दु देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित कर दी गई हैं। प्रतिवर्ष यहां महाशिवरात्रि पर 25000 से ज्यादा श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शनों के लिए आते हैं। यह मंदिर तब सुर्खियों में आया जब इसके पास से एक पुल बनाने का काम शुरू हुआ। अप्रेल 2014 में मंदिर के पास पुल निर्माण को लेकर पाकिस्तानियों ने मंदिर बचाने की मुहिम छेड़ी। इस मामले को देखते हुए पाकिस्तान के चीफ जस्टिस तस्सादुक हुसैन जिलानी ने सरकार से पर्यावरण संबंधी रिपोर्ट मांगी है। ..... 
वरूणदेव मंदिर, कराची-सिंध- पाकिस्तान हिंदु काउंसिल के रिकार्ड के मुताबिक कराची के मनोरा केंट स्थित वरूणदेव मंदिर 160 साल पुराना है। वरूणदेव के मंदिर के अलावा यहां शिव शंकर और हनुमान जी के भी छोटे मंदिर हैं। जून 2007 के बाद से इसकी देखरेख पाकिस्तान हिंदु काउंसिल के पास है। ...
स्वामीनारायण मंदिर, कराची- पाकिस्तान में यह अकेला मंदिर है जो स्वामीनारायण सम्प्रदाय का है। अप्रेल 2004 में इस मंदिर की 150वीं वर्षगांठ मनाई गई। आजादी के समय इस मंदिर को शरणार्थी शिविर में तब्दील कर दिया गया। यहां मौजूद भगवान स्वामीनारायण की मूर्तियों को भारत ले आया गया। पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने भी इस मंदिर के दर्शन किए। आजादी के बाद 1989 में अहमदाबाद के स्वामीनारायण मंदिर के साधुओं का एक दल यहां दर्शनों के लिए आया। इसी मंदिर परिसर में बना है एक छोटा सा गुरूद्वारा जहां हर साल वैशाखी पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
लक्ष्मी नारायण मंदिर, क्वींस रोड़, कराची- कराची के क्वींस रोड़ पर यह मंदिर 200 साल पहले बनाया गया था। यहां पर हर वर्ष गणेश चतुर्थी, रक्षा बंधन, नवरात्रि आदि पर्व मनाए जाते हैं। 2012 में सिंध हाई कोर्ट ने इस 200 साल पुराने मंदिर को गिराए जाने पर पाबंदी लगा दी थी

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