जायोनिसम क्या है ?
जायोनिसम यहूदी लोगों के आत्मनिर्णय की पुर्नस्थापना और इजराइल की जमीन पर यहूदी संप्रभुता की बहाली के लिए आंदोलन है। 70 सीई में रोमनों ने यहूदी लोगों के पवित्र मंदिरों को ध्वस्त और यहूदियों की धार्मिक व प्रशासनिक राजधानी यरुशलम को तबाह कर दिया। यहूदी स्वतंत्रता खत्म हो गई और उसके बाद के दशकों में ज्यादातर यहूदी इजराइल की जमीन से निर्वासित कर दिए गए। लेकिन उन्होंने दोबारा लौटने की उम्मीद कभी नहीं छोड़ी। उन्होंने प्रार्थनाओं और साहित्य के जरिए इस प्रतिबद्धता का इजहार किया। सालाना पासोवर भोज के बाद दुनिया भर के यहूदी इस शपथ को दोहराते हैं- अगले साल यरुशलम में। यहूदी शादियों में दूल्हा कहता है : यरुशलम, अगर मैं तुम्हें भूल जाऊं, मेरा दाहिना हाथ नाकाम हो जाए।
इजराइल की जमीन से यहूदियों का जुड़ाव सिर्फ प्रार्थनाओं में ही परिलक्षित नहीं होता। असल में इतिहास के हर क्षण में इजराइल में यहूदी मौजूदगी रही है।
१९वीं सदी के अंत में, जब यूरोप में राष्ट्रीय आंदोलन आकार ले रहा था और एंटी-सेमिटिज्म बढ़ रहा था, एक ऑस्ट्रियाई-यहूदी पत्रकार थियॉडोर हर्जल ने यहूदी लोगों के राष्ट्रीय आंदोलन को संगठित करना शुरू किया। इस आंदोलन का लक्ष्य एक राजनैतिक समाधान था : यहूदी लोगों के लिए एक स्वतंत्र राज्य। इस राज्य के लिए सबसे नैसर्गिक जगह थी जायोन यानी इजराइल की जमीन, यहूदियों का होमलैंड।
हर्जल ने इस विजन का वर्णन अपनी किताब -यहूदी राज्य- में किया। उन्होंने एक ऐसे विकसित और संपन्न राज्य की परिकल्पना की, जिसके सभी बाशिंदे- यहूदी और गैर यहूदी शांति और सौहार्द के साथ रहते हों। यह सपना और इसका साकार होना ही जायोनिसम है।
जायोनिसम यहूदी लोगों के आत्मनिर्णय की पुर्नस्थापना और इजराइल की जमीन पर यहूदी संप्रभुता की बहाली के लिए आंदोलन है। 70 सीई में रोमनों ने यहूदी लोगों के पवित्र मंदिरों को ध्वस्त और यहूदियों की धार्मिक व प्रशासनिक राजधानी यरुशलम को तबाह कर दिया। यहूदी स्वतंत्रता खत्म हो गई और उसके बाद के दशकों में ज्यादातर यहूदी इजराइल की जमीन से निर्वासित कर दिए गए। लेकिन उन्होंने दोबारा लौटने की उम्मीद कभी नहीं छोड़ी। उन्होंने प्रार्थनाओं और साहित्य के जरिए इस प्रतिबद्धता का इजहार किया। सालाना पासोवर भोज के बाद दुनिया भर के यहूदी इस शपथ को दोहराते हैं- अगले साल यरुशलम में। यहूदी शादियों में दूल्हा कहता है : यरुशलम, अगर मैं तुम्हें भूल जाऊं, मेरा दाहिना हाथ नाकाम हो जाए।
इजराइल की जमीन से यहूदियों का जुड़ाव सिर्फ प्रार्थनाओं में ही परिलक्षित नहीं होता। असल में इतिहास के हर क्षण में इजराइल में यहूदी मौजूदगी रही है।
१९वीं सदी के अंत में, जब यूरोप में राष्ट्रीय आंदोलन आकार ले रहा था और एंटी-सेमिटिज्म बढ़ रहा था, एक ऑस्ट्रियाई-यहूदी पत्रकार थियॉडोर हर्जल ने यहूदी लोगों के राष्ट्रीय आंदोलन को संगठित करना शुरू किया। इस आंदोलन का लक्ष्य एक राजनैतिक समाधान था : यहूदी लोगों के लिए एक स्वतंत्र राज्य। इस राज्य के लिए सबसे नैसर्गिक जगह थी जायोन यानी इजराइल की जमीन, यहूदियों का होमलैंड।
हर्जल ने इस विजन का वर्णन अपनी किताब -यहूदी राज्य- में किया। उन्होंने एक ऐसे विकसित और संपन्न राज्य की परिकल्पना की, जिसके सभी बाशिंदे- यहूदी और गैर यहूदी शांति और सौहार्द के साथ रहते हों। यह सपना और इसका साकार होना ही जायोनिसम है।
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