Sunday, 19 October 2014

श्री पांडुरंग शास्त्री अठावले

आज आधुनिक भारत के महान समाज सुधारक, पिछड़े, वंचितों, मछुआरो, दलितों, किसानो, आदि को हिन्दूधर्म में बने रहने और महाराष्ट्र गुजरात के आदिवासी पट्टे और समुद्र तट के आसपास सक्रिय ईसाई मिशनरीयो को खत्म करने में में अपना पूरा जीवन लगा देने वाले आदरणीय गुरुदेव श्री पांडुरंग शास्त्री अठावले
 

इन्होने अपना पूरा जीवन समाजसेवा में लगाया ...करोड़ो लोग इन्हें दिल से चाहते थे और यदि ये चाहते तो दुसरे कई भ्रष्ट हिन्दू धर्मगुरुओ की तरह एक बड़ा सा मठाधीश बनकर हर शहरों में आश्रम के नाम पर जमीनों पर कब्जा करते ... अपने आश्रमों में गुंडे पालते और अपने विरोधियो की हत्या की सुपारी देते ... तन्त्रमन्त्र करते ... और बोलबचन देते ...लेकिन इन्होने अपना जीवन गरीबो की भलाई ये लिए खपा दिया ...

उनका योगदान अविस्मरीणय है ,,उन्होंने हर एक पिछड़ी जाती को नया नाम और काम दिया। गुजरात में एक पिछड़ी जाती है जिनकों "वाघरी ' कहते थे और वह जाति शक्ति पूजा और अनेक देवियों में विश्वास करती है उनको नाम दिया गया "देवी पुत्र"! आज गुजरात में सभी उनकों प्यार से ""देवीपुत्र"" कहकर पुकारते है और वह गीता का मन्त्र पाठ भी करते है ! और इन्होने मछुआरों को नाम दिया ""सागर पुत्र" .. दोस्तों ,,यह सन्मानीय नाम देने वाले ऋषि के जन्म दिन को "मानव गौरव दिन" के नाम से मनाया जाता है |

मित्रो एक जमाने में जापान की तरह गुजरात के सौराष्ट्र के तट खासकर ओखा, वेरावल, पोरबन्दर कभी ह्वेल मछलियों के "कत्लगाह" के नाम से पुरे विश्व में बदनाम थे ... ह्वेल मछली संतानोत्पत्ति के समय इन तटो पर आती थी और उसी समय मछुआरे उनका शिकार करते थे ... पर्यावरण विभाग और फिशिंग विभाग इसको रोकने के लिए कई कानून बनाये फिर भी वो नाकाम रहे | फिर पांडूरंग शास्त्री और मुरारी बापू ने अभियान चलाया और मछुआरो की बस्ती में जाकर कहते थे की जैसे बेटी प्रसव के लिए अपने पिता के घर आती है वैसे ही ये ह्वेल मछली भी प्रसव के लिए गुजरात के तट को अपने पिता का घर समझकर प्रसव के लिए आती है ... तो क्या पिता कभी प्रसव के लिए मायके आई अपनी बेटी को मार सकता है ? इस अपील का मछुआरो पर बहुत असर हुआ और आज गुजरात में एक भी व्हेल का शिकार नही होता ... आप कभी समुद्र में घुमने के लिए निकल जाइए .. आपको हजारो व्हेले स्वागत करती नजर आएँगी ....

पांडूरंग जी ने ये भी कहा की हिन्दूधर्म में हर काम करने को कहा गया है ... जैसे किसान लोग अपनी जमीन पर खेती करते है ..वैसे ही मछुआरे समुद्र में खेती करते है ... इन्होने मछुआरो को "सागर खेडूत" और सागरपुत्र" नाम दिया ... और ईसाई धर्म अपना चुके लाखो दलितों मछुआरों को वापस सनातन धर्म में लाये ... इन्होने कम खेती वाले किसानो के साथ ,मिलकर एक प्रयोग किया जो गुजरात में काफी सफल रहा जिसे "योगेश्वर कृषि" का नाम दिया ..भगवान कृष्ण का एक नाम "योगेश्वर" भी है ... जिसमे छोटे छोटे खेतो को मिलाकर एक बड़ा फ़ार्म बना दिया जाता है फिर सभी किसान मिलकर उस जमीन पर खेती करते है और उपज को आपस में बाँट लेते है ...

पहले जो दलित, आदिवासी और मछुआरे अपने आपको हिन्दूधर्म में उपेक्षित समझते थे उन्होंने उनका गौरव वापस दिलाया ..


मुम्बई और महाराष्ट्र के लिए खतरे की घंटी 

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने तीन सीटें जीत ली हैं. मुंबई के भायखला से एमआईएम के वारिश युसूफ पठान ने 25,314 मत हासिल कर जीत दर्ज की. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के मधुकर जी. चव्हाण तथा अखिल भारतीय सेना की गीता गवली को पटखनी दी.

औरंगाबाद मध्य सीट से एआईएमआईएम के इम्तियाज जलीक ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी शिवसेना के प्रदीप जायसवाल को 30 हजार मतों से पराजित किया. औरंगाबाद पूर्व सीट पर एआईएमआईएम के अब्दुल गफ्फार कादरी ने भाजपा के अतुल मोरे को 15 हजार से अधिक मतों से पराजित किया. असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी ने राज्य विधानसभा चुनाव में 24 उम्मीदवारों को उतारा था.
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गाय हमारी माता है,
जिसको सेकुलर काटकर खाता है,
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