इस्लामी जानवरियत :जानवर कौन है ?
जो लोग किसी हिंसक और क्रूर व्यक्ति को जानवर कह देते हैं ,वे इस लेख को ध्यान से पढ़ें और फैसला करें कि असली जानवर कौन हैं .हमारा विश्वास है कि सारे प्राणी ईश्वर की स्रष्टी हैं .उन्हें भी जीने का अधिकार है .कुरआन में जानवरों के बारे में यह लिखा है -
1 -जानवर अल्लाह ने बनाए हैं ,वे समझदार होते है .
"क्या इन लोगों ने नहीं देखा कि हमने चौपाये बनाए जिन्हें हमारे हाथों ने बनाया है "सूरा -यासीन 36 :71
कुरआन की सूरतों के नाम प्राणियों के नाम पर है ,जैसे बकरा =ऊंट ,नम्ल=चींटी .नह्ल=मधुमखी ,अनकबूत =मकडी और फील =हाथी .यानी अल्लाह को इनके बारे ने ज्ञान था .अल्लाह को ज्ञात था कि जीवों में बुद्धि भी होती है .
2 -जानवर बुद्धिमान होते है
"हमने हुदहुद से कहा कि यह पात्र लेजा और डाल दे ,देखें कि वह लोग पत्र पढ़कर पढ़कर क्या जवाब देते हैं ".सूरा -नम्ल 27 :28
"हमने जानवरों को जमीन से निकाला ,जो लोगों से बात करेंगे ,ताकि लोग हमारी आयातों पर यकीन करें .सुरा-अम्ल 27 :82
3 -जानवर मूर्ख और अचेतन हैं .
"अल्लाह की नजर में सारे जीव गूंगे और बहरे है ,जो भूमि पर चलते हैं .वे अचेतन है .सूरा -अन्फाल 8 :22
"क्या तुम समझते हो कि यह जानवर सुनते हैं ,और महसूस करते हैं ,यह तो बस निरे पशु हैं .सूरा-अल फुरकान 25 :44
4 -जानवर खाने की चीज हैं -
"तुम्हारे लिए चौपाये की जाती के सारे जानवर हलाल कर दिए गए,तुम उन्हें खाओ .सूरा -मायदा 5 :1
"जिस जानवर पर भी अल्लाह का नाम लियागया हो ,उसे खाजाओ .सूरा -अन आम 6 :119
5 -हलाल -हराम क्या है
"तुम्हारे लिए मुरदार ,सूअर का मांस ,खून और जिस जानवर पर अल्लाह के अलावा किसी और का नाम लिया गया हो ,वे सब हराम ठहराए गए हैं .फिर कोई मजबूर हो जाए ,और उसकी खुद इच्छा नहीं हो तो कोई गुनाह नहीं .सूरा -बकरा 2 173
"हे ईमान वालो ,जिन जानवरों के गले में पट्टे पड़ जाये वे सब कुर्बानी के जानवर हैं .सूरा -मायदा 5 :1
"तुम पर मुरदार ,रक्त ,सूअर का मांस ,और जो जानवर दम घुटने से मरे ,या ऊपर से गिर जाए ,या जसे किसी हिंसक जानवर ने घायल करदिया हो ,तो उसे ज़िंदा रहते ही फ़ौरन जिबह करदो और खा लो .सूरा -मायदा 5
"यदि तुम्हारे सधाए शिकारी जानवर किसी शिकार को पकड़ लें तो उसे पकडे रहो ,और अल्लाह का नाम लेकर खालो .सूरा मायदा 5 :4
6 -ऊंटों की कुरबानी का कारण
मुसलमान बकरों ,गायों ,और भेड़ों की कुरबानी को त्याग और बलिदान का प्रतीक बता कर असली बात छुपा देते है .वे बाइबिल कि चराई गयी एक कहानी बता देते है कि इब्राहीम ने अपने लडके का बलदान दिया था .लेकिन ऊंटों की कुरबानी का कारण लोगों को पता नहीं है .ऊंट की गर्दन नही काटी जाती है .उसे खड़ा करके उसकी गर्दन में भालेसे छेद कर दिया जाता है .जब वह खून बहाने से गिर जाता है तो उसे जिन्दा ही काट कर खा लिया जाता है .इस विधि को "नहरनहर कहा जता है.
ऊंट की कुर्बानी यानी नहर करने का तरीका काफी क्रूर और ह्रदयविदारक होता है .पहिले ऊंट को खडा कर के उसके गले में तेजदार हथियार से उसके गले की धमनी में छेड़ कर दिया जाता है .जब ऊंट खून बह जाने से कमजोर होकर नीचे गिर जता है ,तो उसे ज़िंदा रहते ही टुकड़ों में काट लिया जाता है .और खा लिया जाता है .मुहम्मद ने यह तरीका लोगों को डराने ,और इस्लाम की धाक जमाने के लिए बनाया था .देखिये -
"यह नजारा देख कर काफिरों के दिल थर्रा जायेंगे ,और वह कांप कर अलह को याद करेंगे "सूरा -अल हज 22 :35
फिर मुहम्मद ने तरीका भी बता दिया कि ऊंट की कुरबानी कैसे करें -
"हमने ऊंटों की कुरबानी के लिए यह तरीका ठहराया है कि ,पाहिले ऊंट खानेवाले (ऊंट कटाने तक )धीरज से बैठे रहें .फिर ऊंटों को अल्लाह का नाम लेकर एक पंक्ति में खडा कर दिया जाए .और अल्लाह का नाम लेकर नहर किया जाये .जब ऊंट जमीन पर किसी पहलू पर गिर जाएँ ,तो उन्हें कट कर खाओ और बैठे हुए लोगों को भी खिलाओ .यदि कुछ बचा रहे तो ,माँगने वालों को बाँट दो .इस तरह से हमने ऊंट को तुम्हारे काम में निपटाने का तरिका बता दिया.सूर -अल हज्ज 22 :36
7 -जानवरों के बारे में इस्लाम के विचार -
"जानवरों का खून अल्लाह को प्यारा है .इब्ने माजा -किताब 4 हदीस 3126
"जब जानवरों को मारो तो उनके खून में चप्पल डूबा लो .इब्ने माजा -किताब 4 हदीस 3105 और 3106
"जानवरों को मारते समय चाकू छुपा लो .इब्ने माजा -कित्ताब 4 हदीस 3172
"हर साल कुरबानी करना जरूरी है .इब्ने माजा -किताब 4 हदीस 3125
"कुर्बानी के जानवर को माला पहिनाओ .इब्ने माजा किताब 4 हदीस 3096
"जिबह से पहिले जानवर को खूब सताओ .इब्ने मजा -किताब 4 हदीस 3097
"कुर्बानी से पूर्व ऊंट की सवारी कर लो .इब्ने मजा -किताब 4 हदीस ३१०३और 3104
"अगर ऊंटनी गर्भिणी हो और नहर के समय उसका बच्चा गिर जाये ,तो मान के साथ बच्चे को जिबह कर दो .मुवात्ता -जिल्द 20 :43 /20
"अगर मादा जानवर का बच्चा दूध पीने वाला हो ,तो उसे दूध पीने के पाहिले जबह कर दो .मुवात्ता -जिल्द 20 किताब 43 हदीस 145
"कुरबानी के बाद जानवर कि माला उसी के खून में डूबा दो .मुवता जिल्द 24 किताब 45 हदीस 135 और 154
"अगर किसी ऊंटनी के पेट से साबुत बच्चा निकले ,जो जीवित हो तो उसे भी जिबह कर दो .मुवता जिल्द 24 किताब 4 हदीस 8 और 9
8 -इस्लाम के हैवानी कानून -
"अगर जानवर का मालिक जकात न दे तो ,उसके जानवरों को सजा दो .बुखारी जिल्द 2 किताब 24 हदीस 485 और 539
"अगर तुम जकात नहीं दोगे तो इसकी सजा ऊंटों को मिलेगी .मुस्लिम -किताब 5 हदीस 2126 और 2127
"अगर तुम जकात नहीं देते तो तुम्हारे जानवर थर्राते रहेंगे .इब्ने माजा -किताब 3 हदीस 1785 और 1786
8 -राक्षस मुहम्मद -
"रसूल ने कहा कि लकड़ बग्घे का गोश्त हलाल है.इब्ने माजा -किताब 4 हदीस 1785 और 1786
"घोड़े का मांस भी हलाल है .मुस्लिम -किताब 21 हदीस 4804
1 -जानवर अल्लाह ने बनाए हैं ,वे समझदार होते है .
"क्या इन लोगों ने नहीं देखा कि हमने चौपाये बनाए जिन्हें हमारे हाथों ने बनाया है "सूरा -यासीन 36 :71
कुरआन की सूरतों के नाम प्राणियों के नाम पर है ,जैसे बकरा =ऊंट ,नम्ल=चींटी .नह्ल=मधुमखी ,अनकबूत =मकडी और फील =हाथी .यानी अल्लाह को इनके बारे ने ज्ञान था .अल्लाह को ज्ञात था कि जीवों में बुद्धि भी होती है .
2 -जानवर बुद्धिमान होते है
"हमने हुदहुद से कहा कि यह पात्र लेजा और डाल दे ,देखें कि वह लोग पत्र पढ़कर पढ़कर क्या जवाब देते हैं ".सूरा -नम्ल 27 :28
"हमने जानवरों को जमीन से निकाला ,जो लोगों से बात करेंगे ,ताकि लोग हमारी आयातों पर यकीन करें .सुरा-अम्ल 27 :82
3 -जानवर मूर्ख और अचेतन हैं .
"अल्लाह की नजर में सारे जीव गूंगे और बहरे है ,जो भूमि पर चलते हैं .वे अचेतन है .सूरा -अन्फाल 8 :22
"क्या तुम समझते हो कि यह जानवर सुनते हैं ,और महसूस करते हैं ,यह तो बस निरे पशु हैं .सूरा-अल फुरकान 25 :44
4 -जानवर खाने की चीज हैं -
"तुम्हारे लिए चौपाये की जाती के सारे जानवर हलाल कर दिए गए,तुम उन्हें खाओ .सूरा -मायदा 5 :1
"जिस जानवर पर भी अल्लाह का नाम लियागया हो ,उसे खाजाओ .सूरा -अन आम 6 :119
5 -हलाल -हराम क्या है
"तुम्हारे लिए मुरदार ,सूअर का मांस ,खून और जिस जानवर पर अल्लाह के अलावा किसी और का नाम लिया गया हो ,वे सब हराम ठहराए गए हैं .फिर कोई मजबूर हो जाए ,और उसकी खुद इच्छा नहीं हो तो कोई गुनाह नहीं .सूरा -बकरा 2 173
"हे ईमान वालो ,जिन जानवरों के गले में पट्टे पड़ जाये वे सब कुर्बानी के जानवर हैं .सूरा -मायदा 5 :1
"तुम पर मुरदार ,रक्त ,सूअर का मांस ,और जो जानवर दम घुटने से मरे ,या ऊपर से गिर जाए ,या जसे किसी हिंसक जानवर ने घायल करदिया हो ,तो उसे ज़िंदा रहते ही फ़ौरन जिबह करदो और खा लो .सूरा -मायदा 5
"यदि तुम्हारे सधाए शिकारी जानवर किसी शिकार को पकड़ लें तो उसे पकडे रहो ,और अल्लाह का नाम लेकर खालो .सूरा मायदा 5 :4
6 -ऊंटों की कुरबानी का कारण
मुसलमान बकरों ,गायों ,और भेड़ों की कुरबानी को त्याग और बलिदान का प्रतीक बता कर असली बात छुपा देते है .वे बाइबिल कि चराई गयी एक कहानी बता देते है कि इब्राहीम ने अपने लडके का बलदान दिया था .लेकिन ऊंटों की कुरबानी का कारण लोगों को पता नहीं है .ऊंट की गर्दन नही काटी जाती है .उसे खड़ा करके उसकी गर्दन में भालेसे छेद कर दिया जाता है .जब वह खून बहाने से गिर जाता है तो उसे जिन्दा ही काट कर खा लिया जाता है .इस विधि को "नहरनहर कहा जता है.
ऊंट की कुर्बानी यानी नहर करने का तरीका काफी क्रूर और ह्रदयविदारक होता है .पहिले ऊंट को खडा कर के उसके गले में तेजदार हथियार से उसके गले की धमनी में छेड़ कर दिया जाता है .जब ऊंट खून बह जाने से कमजोर होकर नीचे गिर जता है ,तो उसे ज़िंदा रहते ही टुकड़ों में काट लिया जाता है .और खा लिया जाता है .मुहम्मद ने यह तरीका लोगों को डराने ,और इस्लाम की धाक जमाने के लिए बनाया था .देखिये -
"यह नजारा देख कर काफिरों के दिल थर्रा जायेंगे ,और वह कांप कर अलह को याद करेंगे "सूरा -अल हज 22 :35
फिर मुहम्मद ने तरीका भी बता दिया कि ऊंट की कुरबानी कैसे करें -
"हमने ऊंटों की कुरबानी के लिए यह तरीका ठहराया है कि ,पाहिले ऊंट खानेवाले (ऊंट कटाने तक )धीरज से बैठे रहें .फिर ऊंटों को अल्लाह का नाम लेकर एक पंक्ति में खडा कर दिया जाए .और अल्लाह का नाम लेकर नहर किया जाये .जब ऊंट जमीन पर किसी पहलू पर गिर जाएँ ,तो उन्हें कट कर खाओ और बैठे हुए लोगों को भी खिलाओ .यदि कुछ बचा रहे तो ,माँगने वालों को बाँट दो .इस तरह से हमने ऊंट को तुम्हारे काम में निपटाने का तरिका बता दिया.सूर -अल हज्ज 22 :36
7 -जानवरों के बारे में इस्लाम के विचार -
"जानवरों का खून अल्लाह को प्यारा है .इब्ने माजा -किताब 4 हदीस 3126
"जब जानवरों को मारो तो उनके खून में चप्पल डूबा लो .इब्ने माजा -किताब 4 हदीस 3105 और 3106
"जानवरों को मारते समय चाकू छुपा लो .इब्ने माजा -कित्ताब 4 हदीस 3172
"हर साल कुरबानी करना जरूरी है .इब्ने माजा -किताब 4 हदीस 3125
"कुर्बानी के जानवर को माला पहिनाओ .इब्ने माजा किताब 4 हदीस 3096
"जिबह से पहिले जानवर को खूब सताओ .इब्ने मजा -किताब 4 हदीस 3097
"कुर्बानी से पूर्व ऊंट की सवारी कर लो .इब्ने मजा -किताब 4 हदीस ३१०३और 3104
"अगर ऊंटनी गर्भिणी हो और नहर के समय उसका बच्चा गिर जाये ,तो मान के साथ बच्चे को जिबह कर दो .मुवात्ता -जिल्द 20 :43 /20
"अगर मादा जानवर का बच्चा दूध पीने वाला हो ,तो उसे दूध पीने के पाहिले जबह कर दो .मुवात्ता -जिल्द 20 किताब 43 हदीस 145
"कुरबानी के बाद जानवर कि माला उसी के खून में डूबा दो .मुवता जिल्द 24 किताब 45 हदीस 135 और 154
"अगर किसी ऊंटनी के पेट से साबुत बच्चा निकले ,जो जीवित हो तो उसे भी जिबह कर दो .मुवता जिल्द 24 किताब 4 हदीस 8 और 9
8 -इस्लाम के हैवानी कानून -
"अगर जानवर का मालिक जकात न दे तो ,उसके जानवरों को सजा दो .बुखारी जिल्द 2 किताब 24 हदीस 485 और 539
"अगर तुम जकात नहीं दोगे तो इसकी सजा ऊंटों को मिलेगी .मुस्लिम -किताब 5 हदीस 2126 और 2127
"अगर तुम जकात नहीं देते तो तुम्हारे जानवर थर्राते रहेंगे .इब्ने माजा -किताब 3 हदीस 1785 और 1786
8 -राक्षस मुहम्मद -
"रसूल ने कहा कि लकड़ बग्घे का गोश्त हलाल है.इब्ने माजा -किताब 4 हदीस 1785 और 1786
"घोड़े का मांस भी हलाल है .मुस्लिम -किताब 21 हदीस 4804
"रसूल ने छिपकली (chamaleon )का गोश्त खाया था .मुस्लिम -किताब 21 हदीस 4783 ,4784 और 4787
"रसूल ने कहा कि टिड्डियाँ खाना हलाल है .मुस्लिम -किताब 21 हदीस 4801 और इब्ने माजा -किताब -4 हदीस 3219 और 3220
9 -मुहमद की जानवर बुद्धि
"मुहम्मद ,उमर और अबूबकर गाय से बात करते थे .बुखारी -जिल्द 3 किताब 39 हदीस 514
"गाय और भेड़ियारसूल से बात करते थे .बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 677
"ऊंट नबी से बोला कि वह भूखा है .अबू दौउद -जिल्द 2 किताब 14 हदीस 2543
"मुहम्मद ,अबू बकर भेड़ियों भाषा समझ सकते थे .और उनसे बात करते थे .मुस्लिम -किताब 31 हदीस 5881
अब आपको पता चल गया होगा कि कुरबानी के पीछे त्याग और बलिदान की बात नहीं जानरों का खून बहाकर दहशत पैदा करना है .और बच्चों को जिहादी बनाना है .अगर मुसलमान अल्लाह के इतने आज्ञाकारी हैं ,तो अपने बच्चों कीकुर्बानी क्यों नहीं देते ?आपको यह भी पता चल गया होगा की असली जानवर तो मुसलमान हैं लोग जानवरों को बेकार बदनाम करते हैं .
TP Shukla
"रसूल ने कहा कि टिड्डियाँ खाना हलाल है .मुस्लिम -किताब 21 हदीस 4801 और इब्ने माजा -किताब -4 हदीस 3219 और 3220
9 -मुहमद की जानवर बुद्धि
"मुहम्मद ,उमर और अबूबकर गाय से बात करते थे .बुखारी -जिल्द 3 किताब 39 हदीस 514
"गाय और भेड़ियारसूल से बात करते थे .बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 677
"ऊंट नबी से बोला कि वह भूखा है .अबू दौउद -जिल्द 2 किताब 14 हदीस 2543
"मुहम्मद ,अबू बकर भेड़ियों भाषा समझ सकते थे .और उनसे बात करते थे .मुस्लिम -किताब 31 हदीस 5881
अब आपको पता चल गया होगा कि कुरबानी के पीछे त्याग और बलिदान की बात नहीं जानरों का खून बहाकर दहशत पैदा करना है .और बच्चों को जिहादी बनाना है .अगर मुसलमान अल्लाह के इतने आज्ञाकारी हैं ,तो अपने बच्चों कीकुर्बानी क्यों नहीं देते ?आपको यह भी पता चल गया होगा की असली जानवर तो मुसलमान हैं लोग जानवरों को बेकार बदनाम करते हैं .
TP Shukla
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