मंगल मिशन की सफलता के बाद अब भारत निकल पड़ा है दुनिया के सामने कुछ और नए कारनामे करने की राह पर. दुनिया को दिखाने की राह पर कि अब हम भी सबके बीच में कुछ नहीं बल्कि बहुत खास हैं और अपने कारनामों से सबको चौंकाना जानते हैं. इसी क्रम में भारत ने एक और बड़ी परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया है. अब भारत दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन बनाने जा रहा है.
क्या होगी दूरबीन की लम्बाई
जानकारी के अनुसार विश्व की इस सबसे बड़ी दूरबीन की लम्बाई करीब 30 मीटर होगी, जो लगभग 8 मंजीला इमारत जितनी ऊंची होगी. इसके साथ ही यह भी खबर है कि इस दूरबीन को ‘टीएमटी’ के नाम से पुकारा जाएगा. इस दूरबीन को मौनाकिया ज्वालामुखी पर किया जा रहा है जिसका निर्माण कार्य 2022 तक में पूरा होने की पूरी संभावना है.
परियोजना पर कितना होगा खर्च
मंगलवार को परियोजना के आरंभ होने के मौके पर दुनियाभर की करीब 100 प्रतिष्ठित हस्तियां इसके आयोजन में शिरकत करेंगी, जिनमें अंतरिक्ष यात्री और परियोजना से जुड़े आला अधिकारी भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे. एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक इस परियोजना पर खर्चे को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है कि इसपर 1.47 अरब डॉलर का खर्च होगा, जिसका 25 फीसदी खर्च जापान उठा रहा है.
अन्य कई देश भी होंगे साथ
देश की सबसे बड़ी दूरबीन बनाने की भारत की इस परियोजना पर भारत अकेले काम नहीं कर रहा, बल्कि विश्व के कई प्रतिष्ठित देश भी भारत के साथ मिलकर इसपर काम करेंगे. इस दौरान भारत के साथ जापान, चीन, कनाडा औऱ अमेरिका भी शामिल रहेगें और भारत को आगे बढ़ने में हर कदम पर उसका साथ देंगे. ऐसे में उक्त सभी देशों को मिलकर एक साथ मेहनत से काम करना होगा.
जापान के दैनिक सामाचार पत्र ने दी जानकारी
दुनियाभर के देशों को अपने मंगल अभियान की सफलता से चौंका देने वाला भारत विश्व के चार प्रतिष्ठित देशों के साथ मिलकर इस परियोजना पर काम करेगा. जापान के एक दैनिक समाचार पत्र के अनुसार इस अभियान में भारत का साथ देने वाले पांचों देश एक-साथ मिलकर हवाई द्वीप पर इस दूरबीन परियोजना पर काम करेंगे और जल्द से जल्द इसे पूरा करने की कोशिश करेंगे.
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जानकारी के अनुसार विश्व की इस सबसे बड़ी दूरबीन की लम्बाई करीब 30 मीटर होगी, जो लगभग 8 मंजीला इमारत जितनी ऊंची होगी. इसके साथ ही यह भी खबर है कि इस दूरबीन को ‘टीएमटी’ के नाम से पुकारा जाएगा. इस दूरबीन को मौनाकिया ज्वालामुखी पर किया जा रहा है जिसका निर्माण कार्य 2022 तक में पूरा होने की पूरी संभावना है.
परियोजना पर कितना होगा खर्च
मंगलवार को परियोजना के आरंभ होने के मौके पर दुनियाभर की करीब 100 प्रतिष्ठित हस्तियां इसके आयोजन में शिरकत करेंगी, जिनमें अंतरिक्ष यात्री और परियोजना से जुड़े आला अधिकारी भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे. एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक इस परियोजना पर खर्चे को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है कि इसपर 1.47 अरब डॉलर का खर्च होगा, जिसका 25 फीसदी खर्च जापान उठा रहा है.
अन्य कई देश भी होंगे साथ
देश की सबसे बड़ी दूरबीन बनाने की भारत की इस परियोजना पर भारत अकेले काम नहीं कर रहा, बल्कि विश्व के कई प्रतिष्ठित देश भी भारत के साथ मिलकर इसपर काम करेंगे. इस दौरान भारत के साथ जापान, चीन, कनाडा औऱ अमेरिका भी शामिल रहेगें और भारत को आगे बढ़ने में हर कदम पर उसका साथ देंगे. ऐसे में उक्त सभी देशों को मिलकर एक साथ मेहनत से काम करना होगा.
जापान के दैनिक सामाचार पत्र ने दी जानकारी
दुनियाभर के देशों को अपने मंगल अभियान की सफलता से चौंका देने वाला भारत विश्व के चार प्रतिष्ठित देशों के साथ मिलकर इस परियोजना पर काम करेगा. जापान के एक दैनिक समाचार पत्र के अनुसार इस अभियान में भारत का साथ देने वाले पांचों देश एक-साथ मिलकर हवाई द्वीप पर इस दूरबीन परियोजना पर काम करेंगे और जल्द से जल्द इसे पूरा करने की कोशिश करेंगे.
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अहमदाबाद। कच्छ के धोलावीरा में 5000 साल पुराने हड़प्पा शहरों की सबसे बड़ी बावड़ी पाई गई है। यह मोहनजोदड़ो के स्नानागार से तीन गुना बड़ी है। धोलावीरा के पूर्वी जलाशय को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञों ने आईआईटी गांधीनगर के साथ मिलकर खोजा है। यह अब तक देश में खोजी गई सबसे बड़ी, भव्य और अच्छी तरह सुसज्िजत प्राचीन यह बावड़ी कांस्य युगीन है।
आयताकार इस बावड़ी की लंबाई 73.4 मीटर, चौड़ाई 29.3 मीटर और गहराई 10मीटर है। आईआईटी के विजिटिंग फैकल्टी और एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वीएन प्रभाकर ने बताया कि यह मोहनजोदड़ो के स्नानागार से तीन गुना अधिक बढ़ी है, जिसकी लंबाई 12 मीटर, चौड़ाई 7 मीटर और गहराई 2.4 मीटर है। प्रभाकर ने बताया कि हम दिसंबर में स्पॉट एनालिसिस करेंगे। कई सर्वे यह इशारा करते हैं कि अन्य जलाशय और बावडि़यां धोलावीरा में दफन हैं। पतन में स्थित रानी की बावड़ी पहले ही यूनेस्को की सूची में शामिल है।
प्रभाकर ने बताया कि हमें संदेह है कि यहां एक बड़ी झील और एक प्राचीन तटरेखा पुरातात्िवक स्थल में दफन है। यह हड़प्पा की पांच सबसे बड़ी जगहों में से एक है और भारत में सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित सबसे प्रमुख पुरातात्िवक स्थलों में से एक है। विशेषज्ञ 3डी लेजर स्कैनर, रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सिस्टम के जरिये बावडि़यों को बनाने के लिए हड़प्पन लोगों द्वारा उपयोग की गई एडवांस हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग की जांच करेंगे।
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एक जाने-माने व्यक्ति ने हाथ में पांच
सौ का नोट लहराते हुए अपनी सेमीनार शुरू की.
सौ का नोट लहराते हुए अपनी सेमीनार शुरू की.
हाल में बैठे सैकड़ों लोगों से उसने पूछा ,” ये पांच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?” हाथ उठना शुरू
हो गए.
हो गए.
फिर उसने कहा ,” मैं इस नोट को आपमें से किसी एक को दूंगा पर उससे पहले मुझे ये कर लेने दीजिये .”
और उसने नोट को अपनी मुट्ठी में
चिमोड़ना शुरू कर दिया. और फिर उसने पूछा,”
चिमोड़ना शुरू कर दिया. और फिर उसने पूछा,”
कौन है जो अब भी यह नोट लेना चाहता है?”
अभी भी लोगों के हाथ उठने शुरू हो गए.
“अच्छा” उसने कहा,” अगर मैं ये कर दूं ? “ और
उसने नोट को नीचे गिराकर पैरों से कुचलना शुरू कर दिया. उसने नोट उठाई ,
वह बिल्कुल चिमुड़ी और गन्दी हो गयी थी.
“ क्या अभी भी कोई है जो इसे लेना चाहता है?”.
और एक बार फिर हाथ उठने शुरू हो गए.
“ दोस्तों , आप लोगों ने आज एक बहुत
महत्त्वपूर्ण पाठ सीखा है. मैंने इस नोट के साथ इतना कुछ किया पर फिर भी आप इसे लेना चाहते थे क्योंकि ये सब होने के बावजूद नोट की कीमत
घटी नहीं,
महत्त्वपूर्ण पाठ सीखा है. मैंने इस नोट के साथ इतना कुछ किया पर फिर भी आप इसे लेना चाहते थे क्योंकि ये सब होने के बावजूद नोट की कीमत
घटी नहीं,
उसका मूल्य अभी भी 500 था.
जीवन में कई बार हम गिरते हैं, हारते हैं, हमारे लिए हुए निर्णय हमें मिटटी में मिला देते हैं.
जीवन में कई बार हम गिरते हैं, हारते हैं, हमारे लिए हुए निर्णय हमें मिटटी में मिला देते हैं.
हमें ऐसा लगने लगता है कि हमारी कोई कीमत नहीं है.
लेकिन आपके साथ चाहे जो हुआ हो या भविष्य में जो हो जाए , आपका मूल्य कम नहीं होता. आप स्पेशल हैं, इस बात को कभी मत भूलिए.
कभी भी बीते हुए कल की निराशा को आने वाले कल के सपनो को बर्बाद मत करने दीजिये.
याद रखिये आपके पास जो सबसे कीमती चीज है, वो है आपका जीवन.”
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