Friday, 17 October 2014

असाम में मुस्लिमो कि जनसँख्या बढ़ने के साथ ही ISIS (सुन्नी मुसलमानों का आतंकी संगठन ) का खतरा बढ़ा....
एक समय असाम में केवल अहोम हिन्दू रहते थे..धुबरी में 100%हिन्दू थे.कांग्रेस सरकार कि मेहरबानी से बंगलादेशी मुसलमानों ने घुसपैठ करके वहा पर बहुसंख्यक हो गए..अब असम के मुख्यमंत्री ने इस पर चिंता व्यक्त कि....
असाम के कांग्रेसी मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा था कि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के समय ही केन्द्र सरकार के गृहमंत्रालय को पूर्वोत्तर के सक्रिय १८ मुस्लिम संगठनो पर प्रतिबंध लगाने की एक चिठ्ठी भेजी थी | उस चिठ्ठी के साथ इन संगठनो के देशद्रोह मे लिप्त होने के कई सुबूत भी थे |
इनमे से १४ आसाम मे और ४ मणिपुर मे सक्रिय है :-
आसाम मे सक्रिय राष्ट्रविरोधी मुस्लिम संगठन
1. MSCA- Muslim Security Council of Assam.
2. ULMA- United Liberation Militia of Assam.
3. ILAA-Islamic Liberation Army of Assam.
4. MVF- Muslim Volunteer Force.
5. MLA- Muslim Liberation Army.
6. MSF- Muslim Security Force.
7. ISS- Islamic Sevak Sanng.
8. IURPI-Islamic United Reformation Protest of India.
9. RMC- Revolutionary Muslim Commandos.
10.MTF- Muslim Tigers Force.
11.MLF- Muslim Liberation Front.
12.MLTA- Muslim Liberation Tigers of Assam.
13.MULFA- Muslim United Liberation Front of Assam.
14. MULTA-Muslim United Liberation Tigers of Assam and more......
The Muslim fundamentalist Organisations of Manipur included:
1.INF- Islamic National Front.
2.UILA-United Islamic Liberation Army.
3.UIRA- United Islamic Revolutionary Army.
4.PULF- People`s United Liberation Fron
वाह रे चितम्बरम और सोनिया गाँधी का राष्ट्रप्रेम .इन्होने सैकडो लोगो के हत्यारे संगठन ULMA को प्रादेशिक राजनितिक पार्टी की मान्यता दे दी | और इस साल हुए आसाम के विधानसभा चुनावो मे बंगलादेशी मुसलमानों के बल पर ULMA ने सबको चौकाते हुए १८ सीटों पर विजय हासिल किया |
जिस कांग्रेस ने ये सोचकर बंगलादेशी मुसलमानों को असाम की सरकारी गौचर की जमीनों पर बसाया था कि ये सिर्फ कांग्रेस को वोट देंगे और असाम से असम गण परिषद की ताकत खत्म हो जायेगी |
जब तक असाम मे बंगलादेशी कम संख्या मे थे तब तक तो वे कांग्रेस को वोट देते थे लेकिन अब वो आसाम मे इतनी बड़ी संख्या मे है कि उन्होंने अपनी खुद की राजनितिक पार्टी बना ली और अब हालात ये है कि बिना ULMA का समर्थन लिए कोई भी पार्टी असाम मे सरकार नही बना सकती |
इतना ही नही तरुण गोगोई ने कहा कि जितने भी बंगलादेशी मूल मे लोग शरणार्थी शिविरों मे रह रहे है अब उन्हें बिना दस्तावेज दिखाए कि वो भारत के नागरिक है उन्हें आसाम मे रहने की अनुमति नही दी जायेगी | लेकिन केंद्रीय गृहमंत्रालय ने आसाम सरकार को आदेश दिया की वो ऐसा न करे क्योकि हो हो सकता है की लोगो के दस्तावेज जल गए हो इसलिए शंका का लाभ देते हुए सबको आसाम मे रहने की अनुमति दी जाये |

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अगर हर हिँदू माँ-बाप अपने बच्चों को बताए कि अजमेर दरगाह वाले ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने किस तरह इस्लाम कबूल ना करने पर पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता को मुस्लिम सैनिकों के बीच बलात्कार करने के लिए निर्वस्त्र करके फेँक दिया था और फिर किस तरह पृथ्वीराज चौहान की वीर पुत्रियों ने आत्मघाती बनकर मोइनुद्दीन चिश्ती को 72 हूरों के पास भेजा था तो शायद ही कोई हिँदू उस मुल्ले की कब्र पर माथा पटकने जाए

"अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती को ९० लाख हिंदुओं को इस्लाम में लाने का गौरव प्राप्त है. 

मोइनुद्दीन चिश्ती ने ही मोहम्मद गोरी को भारत लूटने के लिए उकसाया और आमंत्रित किया था... (सन्दर्भ - उर्दू अखबार "पाक एक्सप्रेस, न्यूयार्क १४ मई २०१२).

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मित्रों हाल ही में पी.एन.ओक की पुस्तक "भारतीय इतिहास की भयंकर भूलें" पढ़ी। इसे पढ़कर मेरे मस्तिष्क के तंतु झनझना उठे और मन अत्यंत पीड़ा से भर गया। इस पुस्तक को पढ़ने के उपरांत जो तथ्य जानकारी में आए उनसे यह स्पष्ट होता है कि किस प्रकार हमारे अपने स्मारकों,भवनों,महलों व मन्दिरों को विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं ने अपनी आरामगाह व इबादत स्थल बनाकर उन्हें अपने नाम से दुष्प्रचारित किया है। इतना नहीं हमारे पूरे इतिहास के वास्तविक तथ्यों से छेड़छाड़ कर उसे विक्रत कर दिया। आज़ाद भारत के प्रथम शासक इस बात से अनजान बने अपनी आंखों पर पट्टी बांधे रहे। जिनका दायित्व सबसे पहले भारतीय इतिहास को पुनर्जीवित करने का था। वे इस प्रकार के दुष्प्रचार के प्रति अत्यंत उदासीन रहे। इसका असर यह हुआ कि आज हम उन्हीं दुष्प्रचारों को प्रामाणिक तथ्य मानकर स्वीकार किए हुए हैं। आज की पीढ़ी ऐसे ही दुष्प्रचारों को वास्तविक व प्रामाणिक तथ्य मानकर समादर देती जा रही है और शायद आने वाली पीढ़ियां भी देती रहेंगी। आज हम अपने उन स्मारकों के वास्तविक रूप व निर्माताओं से अनजान हैं जो कभी हमारे देश का गौरव हुआ करते थे। ऐसे कुछ स्मारकों की चर्चा मैं यहां करना चाहता हूं व उनके वास्तविक रूप से आपका परिचय करवाना चाहता हूं। ये सभी तथ्य उसी पुस्तक से लिए गए हैं जिसका उल्लेख मैंने पूर्व में किया है। यहां मेरा उद्देश्य आप सभी मित्रों को उस पुस्तक को पढ़ने के लिए प्रेरित करना है, जिसका नाम है-"भारतीय इतिहास की भयंकर भूलें"। तो आईए जानते है उन स्मारकों के बारे में-

स्मारक--वास्तविक रूप व नाम-
१. ताजमहल--राजपूताना महल जिसमें शिव मन्दिर था-तेजोमहालय
२. लाल किला--राजा प्रथ्वीराज का महल-लाल कोट
३. कुतुबमीनार--नक्षत्र विद्याध्ययन के लिए बनाय गया वेध-स्तंभ जिसका प्रयोग विक्रमादित्य के विश्वविख्यात ज्योतिषी "मिहिर" किया करते थे।
४. डल झील--दल झील (पत्ता या पल्लवगुच्छ)
५. सोनमर्ग--स्वर्ण मार्ग
६. गुलमर्ग--गौरिमार्ग
७. वेरिनाग--वारिनाग (संस्क्रत का शब्द जो "जल-सर्प" का द्योतक है)
८. शेख सल्ला दरगाह--पुण्येश्वर व नारायणेश्वर मन्दिर पूना में स्थित

ये तो बस बानगी है ऐसे कई उदाहरणों के लिए पढ़िए "भारतीय इतिहास की भयंकर भूलें" लेखक पी.एन.ओक।

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हम बांग्लादेश से आये अपने मुस्लिम भाइयो को बंगाल में रहने और उनको यहाँ की नागरिकता देंगे --ममता बनर्जी
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सिमुलाई का मदरसा तो घातक बम विस्फोटकों को बनाने की तकनीक मुहैया कराने में आय आय टी को भी फ़ैल कर रहा है। देश के सारे मदरसे यही तकनीक रखते हैं।
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