Tuesday, 21 October 2014

जिस पवित्र सरस्वती नदी के तट पे हमारे वेद रचे गये, आज उसे फिर खोजने की कोशिश कर रही है मोदी सरकार

नरेंद्र मोदी को केंद्र की सत्ता में आए महज कुछ महीने हुए हैं, लेकिन संघ परिवार की एक पसंदीदा परियोजना में फिर से जान फूंकने की कवायद शुरू हो गई है. यह सपना है काफी समय पहले लुप्त हो चुकी उस सरस्वती नदी की तलाश, जिसे वेदों में पावन बताया गया है.

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार और तत्कालीन पर्यटन और संस्कृति मंत्री जगमोहन मल्होत्रा ने सरस्वती की तलाश करने के लिए वैज्ञानिक और पुरातात्विक संसाधनों को लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन यूपीए सरकार ने आते ही इस परियोजना को 2004 में समेट डाला. इसके बारे में जयपाल रेड्डी ने संसद में कहा था कि कोई भी अनुसंधान इस ‘मिथकीय’ नदी का पता लगाने में कामयाब नहीं हो सका है.

अब बीजेपी सरकार के दोबारा आने से यह परियोजना फिर जिंदा हो गई है. जल संसाधन, नदी विकास और गंगा को नया जीवन देने के लिए बने विभाग की केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अगस्त में लोकसभा को बताया कि उनकी सरकार पूरी गंभीरता से नदी को खोजने की मंशा रखती है.

उनके मंत्रालय ने केंद्रीय भूजल बोर्ड को इलाहाबाद के एक किले के भीतर मौजूद कुएं का पानी जांचने के आदेश दिए हैं ताकि लुप्त हो चुकी नदी का स्रोत और उसका रास्ता तलाशा जा सके. ऐसा लगता है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) और संस्कृति मंत्रालय ने इस परियोजना में नए सिरे से जगी दिलचस्पी पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है.

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