Thursday 30 October 2014

sanskar

This is Indian railway built by Indian engineers from Jammu to. Vaishnodevi Katra station. Newly built & station is as good as airport.
This bridge is almost 85 Mtrs in height.
U might have shared Chinese or any other foreign amazing engineerings like this but now it's time for Indian engineers.






टोपी एवं पगड़ी स्वास्थ्यरक्षक है

नियमित ऋतु के मुताबिक अथवा सामान्यतः टोपी या पगड़ी पहनने से बालों के रोग नहीं होते, सिरदर्द नहीं होता, आँख व कान के रोग नहीं होते।

पहले समय में भारत में पगड़ी का बहुत प्रचलन था और सभी वर्गों के लोग इसे धारण करते थे। अंग्रेजों के आगमन के बाद इसमें धीरे-धीरे कमी आयी।
पूर्व काल में हमारे दादा-परदादा नियमित रूप से टोपी या पगड़ी पहनते थे। महिलाएँ हमेशा सिर को ढक कर रखती थी। अतः उन लोगों को समय से पूर्व बाल सफेद होना, सिर के बाल उड़ना, सर्दी होना, आँख, कान, नाक के रोग आदि कम होते थे। आज फैशन के कारण या अज्ञान के कारण सिर खुले रखने से बाल, सिर, आँख, कान, नाक के रोग बहुत बढ़ गये हैं। सिर में हवा लगने से, गरमी एवं बारिश का पानी लगने से अनेक रोग होते हैं।
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ॐ शब्द का नाद ----
नासा ने वोएजर के नाम से अपना एक मिशन अंतरिक्ष में रवाना किया था जिसका एक उद्देश्य उसके पूरे सफ़र के दौरान सुनाई देने वाली ब्रह्मांडीय आवाजों को रिकॉर्ड करके उनका विश्लेषण करना भी था.
वोयेज़र यान से प्राप्त हुई साउंड रिकॉर्डिंग्स को तीन वर्षों तक अध्ययन करने के बाद नासा ने ब्रह्माण्ड में व्याप्त रहस्यमयी आवाजों का विश्लेषण प्रस्तुत किया.
हम लोग केवल 20 to 20,000 हर्ट्ज़ की ध्वनि को ही सुनने की क्षमता रखते है.
इस फ्रीक्वेंसी से कही ऊपर की ब्राह्मांड में व्याप्त ध्वनि को डिकोड करने पर नासा को जो ध्वनि सुनाई दी, वो थी .....

नासा द्वारा इसे The Sound of Sun अर्थात सूर्य की आवाज़ का नाम दिया गया है, और अब वो इस बात का रहस्य जानने को व्याकुल हैं कि आखिर हिन्दू धर्म में ॐ के शब्द का प्रादुर्भाव कहाँ से हुआ .. ??
वो भी ईसा के जन्म से भी हज़ारों वर्ष पहले !
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

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किसी के किये गए उपकार को भूल उसे ही नीचा दिखाने वाले लोगों का हश्र ----

बहुत समय पहले की बात है हिमालय के जंगलों में एक बहुत ताकतवर शेर रहता था | एक दिन उसने बारासिंघे का शिकार किया और खाने के बाद अपनी गुफा को लौटने लगा| अभी उसने चलना शुरू ही किया था कि एक सियार उसके सामने दंडवत करता हुआ उसके गुणगान करने लगा |

उसे देख शेर ने पूछा , ” अरे ! तुम ये क्या कर रहे हो ?”

” हे जंगल के राजा, मैं आपका सेवक बन कर अपना जीवन धन्य करना चाहता हूँ, कृपया मुझे अपनी शरण में ले लीजिये और अपनी सेवा करने का अवसर प्रदान कीजिये |” , सियार बोला|

शेर जानता था कि सियार का असल मकसद उसके द्वारा छोड़ा गया शिकार खाना है पर उसने सोचा कि चलो इसके साथ रहने से मेरे क्या जाता है, नहीं कुछ तो छोटे-मोटे काम ही कर दिया करेगा| और उसने सियार को अपने साथ रहने की अनुमति दे दी|

उस दिन के बाद से जब भी शेर शिकार करता , सियार भी भर पेट भोजन करता| समय बीतता गया और रोज भर पेट भोजन करने से सियार की ताकत भी बढ़ गयी , इसी घमंड में अब वह जंगल के बाकी जानवरों पर रौब भी झाड़ने लगा| और एक दिन तो उसने हद ही कर दी |

उसने शेर से कहा, ” आज तुम आराम करो , शिकार मैं करूँगा और तुम मेरा छोड़ा हुआ मांस खाओगे|”

शेर यह सुन बहुत क्रोधित हुआ, पर उसने अपने क्रोध पर काबू करते हुए सियार को सबक सिखाना चाहा|

शेर बोला ,” यह तो बड़ी अच्छी बात है, आज मुझे भैंसा खाने का मन है , तुम उसी का शिकार करो !”

सियार तुरंत भैंसों के झुण्ड की तरफ निकल पड़ा , और दौड़ते हुए एक बड़े से भैंसे पर झपटा, भैंसा सतर्क था उसने तुरंत अपना सींघ घुमाया और सियार को दूर झटक दिया| सियार की कमर टूट गयी और वह किसी तरह घिसटते हुए शेर के पास वापस पहुंचा |

” क्या हुआ ; भैंसा कहाँ है ? “, शेर बोला |

” हुजूर , मुझे क्षमा कीजिये ,मैं बहक गया था और खुद को आपके बराबर समझने लगा था …”, सियार गिडगिडाते हुए बोला|

“धूर्त , तेरे जैसे एहसानफरामोश का यही हश्र होता है, मैंने तेरे ऊपर दया कर के तुझे अपने साथ रखा और तू मेरे ऊपर ही धौंस जमाने लगा, ” और ऐसा कहते हुए शेर ने अपने एक ही प्रहार से सियार को ढेर कर दिया|

किसी के किये गए उपकार को भूल उसे ही नीचा दिखाने वाले लोगों का वही हश्र होता है जो इस कहानी में सियार का हुआ| हमें हमेशा अपनी वर्तमान योग्यताओं का सही आंकलन करना चाहिए और घमंड में आकर किसी तरह का मूर्खतापूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए।






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