यूपी का रहने वाला है अल कायदा का 'नया चीफ'
भारतीय जासूसी एजेंसियों को शक: भारतीय उपमहाद्वीप का अल कायदा चीफ उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। यह भी माना जा रहा है कि यह शख्स देवबंद स्थित दारुल उलूम से तालीम लेने के बाद 1990 में भारत से बाहर चला गया था।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, यूपी पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने भारत में 1990 के दशक में आतंकी संगठन सिमी से जुड़े कई लोगों से इस बारे में पूछताछ की है। एजेंसियां इन लोगों से यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या उस वक्त कोई भारतीय नागरिक विदेश गया था? एक इंटेलिजेंस अधिकारी के मुताबिक, अभी तक एजेंसी को कोई ठोस सूचना नहीं मिली है, लेकिन टुकड़ों में जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक, मौलाना आसिम उमर भारतीय हो सकता है।
===========================------------------------------
कांग्रेस के इशारे पर कि पाकिस्तान ने भारतीय सीमा पर फायरिंग :- मौसाद
इजराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मौसाद ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत की कांग्रेस सरकार के बहुत से नेता पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आई एस आई और लश्कर ए तयबा के एजेंट के तौर पर कार्य कर रहे है,रिपोर्ट में कहा गया है कि इनकी जड़े इतनी गहरी है ये जब चाहे एक ही इशारे पर भारत और पाकिस्तान की सीमा पर फायरिंग करा सकते है,
हाल ही में हुई फायरिंग भी इन लोगो के इशारे पर हुई है इसके पीछे मकसद मौजूदा सरकार के प्रधानमत्री के चुनाव प्रचार में बाधा उत्पन्न करना था,लेकिन भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए भारतीय सेना को कड़ा जवाब देने का आदेश दे डाला,
मौसाद की रिपोर्ट के अनुसार कारगिल की लड़ाई भी अटल सरकार को गिराने की एक साजिस थी जिसमे भारत को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ी थी,कारगिल में लड़ने के लिए भारतीय कांग्रेस की ओर से मोटी रकम दी गई थी,
मुबई काण्ड के समय भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता दोषी थे लेकिन इस रिपोर्ट को दबा दिया गया,
=======================================
भारतीय जासूसी एजेंसियों को शक: भारतीय उपमहाद्वीप का अल कायदा चीफ उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। यह भी माना जा रहा है कि यह शख्स देवबंद स्थित दारुल उलूम से तालीम लेने के बाद 1990 में भारत से बाहर चला गया था।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, यूपी पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने भारत में 1990 के दशक में आतंकी संगठन सिमी से जुड़े कई लोगों से इस बारे में पूछताछ की है। एजेंसियां इन लोगों से यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या उस वक्त कोई भारतीय नागरिक विदेश गया था? एक इंटेलिजेंस अधिकारी के मुताबिक, अभी तक एजेंसी को कोई ठोस सूचना नहीं मिली है, लेकिन टुकड़ों में जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक, मौलाना आसिम उमर भारतीय हो सकता है।
===========================------------------------------
कांग्रेस के इशारे पर कि पाकिस्तान ने भारतीय सीमा पर फायरिंग :- मौसाद
इजराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मौसाद ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत की कांग्रेस सरकार के बहुत से नेता पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आई एस आई और लश्कर ए तयबा के एजेंट के तौर पर कार्य कर रहे है,रिपोर्ट में कहा गया है कि इनकी जड़े इतनी गहरी है ये जब चाहे एक ही इशारे पर भारत और पाकिस्तान की सीमा पर फायरिंग करा सकते है,
हाल ही में हुई फायरिंग भी इन लोगो के इशारे पर हुई है इसके पीछे मकसद मौजूदा सरकार के प्रधानमत्री के चुनाव प्रचार में बाधा उत्पन्न करना था,लेकिन भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए भारतीय सेना को कड़ा जवाब देने का आदेश दे डाला,
मौसाद की रिपोर्ट के अनुसार कारगिल की लड़ाई भी अटल सरकार को गिराने की एक साजिस थी जिसमे भारत को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ी थी,कारगिल में लड़ने के लिए भारतीय कांग्रेस की ओर से मोटी रकम दी गई थी,
मुबई काण्ड के समय भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता दोषी थे लेकिन इस रिपोर्ट को दबा दिया गया,
=======================================
No comments:
Post a Comment