●दुनिया भर के लोगों के लिए छे महीने कि ऑक्सीजन बनाने में तीन लाख अस्सी हज़ार करोड़ रूपए खर्च हो सकते है और ये काम पेड हमारे लिए मुफ्त करते हैं । "पेड़ों का सम्मान करिए और उन्हें बचाइए"
"पेड़ लगाइए और दुनिया को रहने लायक बनाइये" !●
पेड़ पौधे अनमोल हैं पर आजकल लोग इनका मोल नहीं समझते, यही अज्ञानता है । भारतीय सभ्यता के रचैताओं ने आने वाले कलयुग को ध्यान में रखते हुए ऐसी परम्पराएँ बनाई जो इस सभ्यता को अज्ञान में रहते हुए भी कठनाइयों से लड़ने के उपाय दें।
"पेड़ लगाइए और दुनिया को रहने लायक बनाइये" !●
पेड़ पौधे अनमोल हैं पर आजकल लोग इनका मोल नहीं समझते, यही अज्ञानता है । भारतीय सभ्यता के रचैताओं ने आने वाले कलयुग को ध्यान में रखते हुए ऐसी परम्पराएँ बनाई जो इस सभ्यता को अज्ञान में रहते हुए भी कठनाइयों से लड़ने के उपाय दें।
भारतीय समाज में पेड़ों को दिव्य माना गया है और सर्वाधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करने वाले पीपल को जीवन देने वाला ब्रह्म स्वरुप । इसलिए भारत में कई जगह पीपल को ब्रह्मदेव (बरमदेव) भी कहा जाता है । भारत में पीपल और कई दुसरे पेड़ो कि विभिन्न मौकों पर पूजा भी होती है । लोग पेड़ों को रक्षासूत्र बांध कर भगवान विष्णु से रक्षा कि प्रार्थना करते है ।
पीपल तो अघोषित मंदिर की भांति भी माने जाते हैं । लोग पीपल के नीचे देवी देवताओं कि प्रतिमाओं रख उसे मंदिर का सम्मान देते हैं ।
पीपल तो अघोषित मंदिर की भांति भी माने जाते हैं । लोग पीपल के नीचे देवी देवताओं कि प्रतिमाओं रख उसे मंदिर का सम्मान देते हैं ।
परन्तु मात्र इतना ही पूर्ण नहीं अपितु हमें पेड़ों को लेकर वो सब करना चाहिए जिससे लोग इनकी महत्वता समझें और इनका सम्मान करें । लोग को ज्ञात हो कि हवा, फल, फूल, छाया, औषधी और लकड़ी के लिए हम सीधे पेड़ों पर निर्भर हैं और साथ ही आहार, घर और सुरक्षा के लिए बहुत से जीव जंतु पेड़ों पर निर्भर हैं जो हमारे और पर्यावरण के काम आते हैं । पेड़ पर्यावरण के लिए सबसे आवश्यक कड़ी हैं, इसे टूटने न दीजिये ।
आर्य अजेय सिंह चौहान
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आर्य अजेय सिंह चौहान
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कुश्ती में तीन मिनट में पुरुष पहलवान को महिला ने किया चित
पोस्ट को पूरा पढ़े, केवल देख कर न छोड़े , लाइक करे , कमेंट करे और शेयर भी करे|
ताकि औरत को कमजोर समझने वालो को सबक मिल सके ...महू इंदौर में कुश्ती की एक प्रतियोगिता में प्रशंसक तब रोमांच से भर गए जब महिला पहलवान ने केवल तीन मिनट में पुरुष प्रतिद्वंद्वी को चित कर दिया।
कुश्तीप्रेमी तब रोमांचित हो उठे जब शाम साढ़े पांच बजे करीब देपालपुर की महिला पहलवान 15 वर्षीय रोशनी खत्री ने एरिना में उतरकर अपनी जोड़ के पुरुष पहलवानों को उनसे कुश्ती लडऩे का खुला चैलेंज दिया। यह चैलेंज स्वीकार करने उनकी जोड़ के कुछ पहलवान भी उतरे। आयोजकों ने उनमें से एक को चुना। ये थे गौतमपुरा के 55 किलोग्राम के 17 वर्षीय पारस सोलंकी। वे एरिना में उतरे, लेकिन मात्र तीन मिनट की कुश्ती में 48 किलो की रोशनी ने बांगड़ी दांव मारकर पारस को धूल चटा दी।
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ताकि औरत को कमजोर समझने वालो को सबक मिल सके ...महू इंदौर में कुश्ती की एक प्रतियोगिता में प्रशंसक तब रोमांच से भर गए जब महिला पहलवान ने केवल तीन मिनट में पुरुष प्रतिद्वंद्वी को चित कर दिया।
कुश्तीप्रेमी तब रोमांचित हो उठे जब शाम साढ़े पांच बजे करीब देपालपुर की महिला पहलवान 15 वर्षीय रोशनी खत्री ने एरिना में उतरकर अपनी जोड़ के पुरुष पहलवानों को उनसे कुश्ती लडऩे का खुला चैलेंज दिया। यह चैलेंज स्वीकार करने उनकी जोड़ के कुछ पहलवान भी उतरे। आयोजकों ने उनमें से एक को चुना। ये थे गौतमपुरा के 55 किलोग्राम के 17 वर्षीय पारस सोलंकी। वे एरिना में उतरे, लेकिन मात्र तीन मिनट की कुश्ती में 48 किलो की रोशनी ने बांगड़ी दांव मारकर पारस को धूल चटा दी।
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कार जितना भारी कद्दू
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स्विटजरलैंड के एक किसान ने दुनिया का सबसे भारी कद्दू उगाया है जिसका वजन लगभग एक छोटी कार जितना है। 30 साल के बेनी मीर को इस कद्दू को ढ़ोने के लिए खास किस्म के वाहन का प्रयोग करना पड़ रहा है। इस कद्दू का वजन 950 किलो से अधिक है।
ग्रेट पंपकिन कॉमनवेल्थ एसोसिएशन के अधिकारियों की मौजूदगी में इस कद्दू को तौला गया जिसने विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया। इससे पहले सबसे भारी कद्दू उगाने का गिनीज विश्व रिकॉर्ड कैलीफोर्नीया के दंपत्ती टिम और सुसान मैथीसन के नाम था।
जिस फार्म में यह प्रतियोगिता हो रही है उसकी प्रवक्ता माइका जील का कहना है कि, हमें बताया गया कि इतना बड़ा कद्दू उगाने के लिए बहुत सारी सिंचाई और रोजाना देखभाल की जरूरत होती है। इस कद्दू को प्रदर्शनी के लिए जर्मनी के शहर क्लाइस्टोव में रखा गया है। यहां यह 2 नवंबर तक रखा जाएगा जिसके बाद इसे काटा जाएगा।
माईका का कहना है कि, हम उम्मीद करते हैं कि इस कद्दू का सूप बेहद शानदार होगा। माईका आगे बताती हैं कि इसके बीज की काफी मांग है और हो सकता है हम इसकी नीलामी भी करें।
गौरतलब है कि यह स्विस कद्दू इसी नस्ल के उस कद्दू से छोटा है जो बेनी ने पिछले साल उगाया था। उस कद्दू का वजन 1,053 किलो था, पर अधिकारियों द्वारा उसे प्रदर्शनी में शामिल करने से इंकार कर दिया गया था क्योंकि उसमें एक छेद था और छेद वाले कद्दू को इस प्रदर्शनी के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है।
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स्विटजरलैंड के एक किसान ने दुनिया का सबसे भारी कद्दू उगाया है जिसका वजन लगभग एक छोटी कार जितना है। 30 साल के बेनी मीर को इस कद्दू को ढ़ोने के लिए खास किस्म के वाहन का प्रयोग करना पड़ रहा है। इस कद्दू का वजन 950 किलो से अधिक है।
ग्रेट पंपकिन कॉमनवेल्थ एसोसिएशन के अधिकारियों की मौजूदगी में इस कद्दू को तौला गया जिसने विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया। इससे पहले सबसे भारी कद्दू उगाने का गिनीज विश्व रिकॉर्ड कैलीफोर्नीया के दंपत्ती टिम और सुसान मैथीसन के नाम था।
जिस फार्म में यह प्रतियोगिता हो रही है उसकी प्रवक्ता माइका जील का कहना है कि, हमें बताया गया कि इतना बड़ा कद्दू उगाने के लिए बहुत सारी सिंचाई और रोजाना देखभाल की जरूरत होती है। इस कद्दू को प्रदर्शनी के लिए जर्मनी के शहर क्लाइस्टोव में रखा गया है। यहां यह 2 नवंबर तक रखा जाएगा जिसके बाद इसे काटा जाएगा।
माईका का कहना है कि, हम उम्मीद करते हैं कि इस कद्दू का सूप बेहद शानदार होगा। माईका आगे बताती हैं कि इसके बीज की काफी मांग है और हो सकता है हम इसकी नीलामी भी करें।
गौरतलब है कि यह स्विस कद्दू इसी नस्ल के उस कद्दू से छोटा है जो बेनी ने पिछले साल उगाया था। उस कद्दू का वजन 1,053 किलो था, पर अधिकारियों द्वारा उसे प्रदर्शनी में शामिल करने से इंकार कर दिया गया था क्योंकि उसमें एक छेद था और छेद वाले कद्दू को इस प्रदर्शनी के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है।
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