भारत में शराब कब कैसे कहाँ और क्यों लाई गई और शराब का भारतीयों से परिचय किसने कराया?
(इतिहास)
प्लासी का युद्ध जीतने के बाद अंग्रेजों ने भारत को अपना गुलाम बनाने
की प्रक्रिया और तेज़ कर दी|इसी युद्ध को जीतने के बाद East India Company का एक अफसर फ्रांसिस ब्रेकन भारत आया जिसने बंगाल को लूटने में कंपनी की सहायता की|
वह ब्रिटेन वापिस गया और समय समय पर संसद में होने वाली बहस में हिस्सा लेता रहता था|एक ऐसी ही बहस में ,जिसमें मुद्दा था कि भारत के चारित्रिक पतन की प्रक्रिया में कौन
कौन से कदम उठाये जा रहे हैं, उसने हिस्सा लिया|भारत भूमि में जन्मा व्यक्ति कोई
श्री कृष्ण तो कोई श्री राम,महाराणप्रताप,छत्रपति शिवाजी,कोई ऋषि मुनि,तो कोई
क्रन्तिकारी बन जाता है चूँकि भारत सांस्कृतिक और अध्यात्मिक धरातल पर बेहद शक्तिशाली राष्ट्र है इसलिए वे उसे तोड़ने में कुछ खास तो नहीं कर पाये हैं परंतु इस विशालकाय मजबूत दीवार में एक छोटे से छेद के तौर पर उन्होंने बंगाल में एक शराब
का ठेका खुलवा दिया है|
उसने आगे कहा कि 1760 से पहले भारत में कोई शराब नहीं पीता था| 1760 के बाद उन्होंने शराब की पहली दुकान का ठेका एक ठेकेदार को दे दिया| ब्रेकन ने ठेकेदार से
पूछा कि क्या भारतीय शराब पीते थे तो उसने जवाब दिया कि नहीं!क्यों नहीं पीते थे?
ठेकेदार बोला उसके 3 कारण हैं:
भारतीयों के लिए शराब पीने का मतलब अपना धर्म भ्रष्ट करना है|
भारत की जलवायु उन्हें शराब पीने से रोकती है|
शराब सबसे तुच्छ पेय है जो मनुष्यों के लिए नहीं है|
इस शराब की दुकान की कई अन्य शाखाएं कुछ ही सालों में पूरे बंगाल में खुल गयीं|
यह वार्ता है सन् 1832 की जिसमें ब्रेकन ठेकेदार से हुई बातचीत के अंश प्रस्तुत कर रहा है|ठेकेदार से आगे पूछने पर पता चला कि भारतवासी अब कितनी शराब पी रहे हैं?
जवाब मिला कि इस दुकान के पिछले मालिक तक यहाँ सिर्फ अंग्रेज़ही आकर शराब पीते थे
परंतु अब यहाँ भारतीयों की भरमार है|इन्होंने कब से इतनी शराब पीनी शुरू कर दी और क्यों?ठेकेदार बोला कि इनके चरित्र तो ऊंचे थे परंतु ये हमारे बहकावे में फँस गए हमने इन्हें तरह तरह के लालच देकर इनकी वासना को अग्नि दी जिसके कारण ये ठेकों की तरफ आकर्षित हैं| आरम्भ में भारतीय चोरी छिपे पीते थे और बाद में धीरे धीरे ये खुले आम होता चला गया| आज मंज़र यह है कि शराब न पीने वाला नास्तिक समझा जाता है|
हमारा अधिकांश युवा समुदाय इसकी चपेटमें है|1832 तक भारत में शराब की 350 दुकानें थीं और जब अंग्रेज़ भारत को छोड़कर गए तब भारत में 1500 शराब के ठेके थे| आज ऐसे 24,400 दुकानें हैं|ये तो वैध दुकानें हैं| अवैधदुकानें इनसे भी ज्यादा हैं|हर मोहल्ले में एक
ठेका आपको मिल जाएगा|दूध मिले न मिले पर शराब आपको मिल ही जाएगी|शराब पीकर आदमी बेटी,बहु, बहन और पत्नी में अंतर भूल जाता है 98 से 100 फीसदी बलात्कार शराब के नशे में होते हैं और इनका licence आज भी सरकार से ही मिलता है| अंग्रेज़ ये बात जानते थे कि शराब देवता को दानव बनाने में देर नहीं लगाती,इसीलिए उन्होंने सबसे पहला काम हमें तोड़ने की दिशा में जो किया वह था शराब का हमसे परिचय|
गोरे अंग्रेजों ने हमें गुलाम बनाने की नीति बनाई और सरकार उसी नीति का पूर्ण निष्ठा से पालन कर रही है|भारत में लगभग 80 करोड़ लीटर शराब पैदा की जाती है| लगभग
5-7 % भारतवासियों में शराब की ऐसी बुरी लत है कि वे उसकेबिना जी नहीं सकते|
========================
कुछ महत्वपूर्ण बातें ---
१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।
२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |
३. बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से बुरे सपने आते हैं।
४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।
५. पूजा सुबह 6 से 8बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है |
६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें । इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है |
७.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो |
८. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।
९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में |
१०. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं।
११. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है |
१२. सप्ताह में एकबार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है |
१३. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरने आपके पूजा घर में जरुर पहुचे सबसे पहले |
१४. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो ऐसी व्यवस्था करें .
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प्लासी का युद्ध जीतने के बाद अंग्रेजों ने भारत को अपना गुलाम बनाने
की प्रक्रिया और तेज़ कर दी|इसी युद्ध को जीतने के बाद East India Company का एक अफसर फ्रांसिस ब्रेकन भारत आया जिसने बंगाल को लूटने में कंपनी की सहायता की|
वह ब्रिटेन वापिस गया और समय समय पर संसद में होने वाली बहस में हिस्सा लेता रहता था|एक ऐसी ही बहस में ,जिसमें मुद्दा था कि भारत के चारित्रिक पतन की प्रक्रिया में कौन
कौन से कदम उठाये जा रहे हैं, उसने हिस्सा लिया|भारत भूमि में जन्मा व्यक्ति कोई
श्री कृष्ण तो कोई श्री राम,महाराणप्रताप,छत्रपति शिवाजी,कोई ऋषि मुनि,तो कोई
क्रन्तिकारी बन जाता है चूँकि भारत सांस्कृतिक और अध्यात्मिक धरातल पर बेहद शक्तिशाली राष्ट्र है इसलिए वे उसे तोड़ने में कुछ खास तो नहीं कर पाये हैं परंतु इस विशालकाय मजबूत दीवार में एक छोटे से छेद के तौर पर उन्होंने बंगाल में एक शराब
का ठेका खुलवा दिया है|
उसने आगे कहा कि 1760 से पहले भारत में कोई शराब नहीं पीता था| 1760 के बाद उन्होंने शराब की पहली दुकान का ठेका एक ठेकेदार को दे दिया| ब्रेकन ने ठेकेदार से
पूछा कि क्या भारतीय शराब पीते थे तो उसने जवाब दिया कि नहीं!क्यों नहीं पीते थे?
ठेकेदार बोला उसके 3 कारण हैं:
भारतीयों के लिए शराब पीने का मतलब अपना धर्म भ्रष्ट करना है|
भारत की जलवायु उन्हें शराब पीने से रोकती है|
शराब सबसे तुच्छ पेय है जो मनुष्यों के लिए नहीं है|
इस शराब की दुकान की कई अन्य शाखाएं कुछ ही सालों में पूरे बंगाल में खुल गयीं|
यह वार्ता है सन् 1832 की जिसमें ब्रेकन ठेकेदार से हुई बातचीत के अंश प्रस्तुत कर रहा है|ठेकेदार से आगे पूछने पर पता चला कि भारतवासी अब कितनी शराब पी रहे हैं?
जवाब मिला कि इस दुकान के पिछले मालिक तक यहाँ सिर्फ अंग्रेज़ही आकर शराब पीते थे
परंतु अब यहाँ भारतीयों की भरमार है|इन्होंने कब से इतनी शराब पीनी शुरू कर दी और क्यों?ठेकेदार बोला कि इनके चरित्र तो ऊंचे थे परंतु ये हमारे बहकावे में फँस गए हमने इन्हें तरह तरह के लालच देकर इनकी वासना को अग्नि दी जिसके कारण ये ठेकों की तरफ आकर्षित हैं| आरम्भ में भारतीय चोरी छिपे पीते थे और बाद में धीरे धीरे ये खुले आम होता चला गया| आज मंज़र यह है कि शराब न पीने वाला नास्तिक समझा जाता है|
हमारा अधिकांश युवा समुदाय इसकी चपेटमें है|1832 तक भारत में शराब की 350 दुकानें थीं और जब अंग्रेज़ भारत को छोड़कर गए तब भारत में 1500 शराब के ठेके थे| आज ऐसे 24,400 दुकानें हैं|ये तो वैध दुकानें हैं| अवैधदुकानें इनसे भी ज्यादा हैं|हर मोहल्ले में एक
ठेका आपको मिल जाएगा|दूध मिले न मिले पर शराब आपको मिल ही जाएगी|शराब पीकर आदमी बेटी,बहु, बहन और पत्नी में अंतर भूल जाता है 98 से 100 फीसदी बलात्कार शराब के नशे में होते हैं और इनका licence आज भी सरकार से ही मिलता है| अंग्रेज़ ये बात जानते थे कि शराब देवता को दानव बनाने में देर नहीं लगाती,इसीलिए उन्होंने सबसे पहला काम हमें तोड़ने की दिशा में जो किया वह था शराब का हमसे परिचय|
गोरे अंग्रेजों ने हमें गुलाम बनाने की नीति बनाई और सरकार उसी नीति का पूर्ण निष्ठा से पालन कर रही है|भारत में लगभग 80 करोड़ लीटर शराब पैदा की जाती है| लगभग
5-7 % भारतवासियों में शराब की ऐसी बुरी लत है कि वे उसकेबिना जी नहीं सकते|
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कुछ महत्वपूर्ण बातें ---
१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।
२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |
३. बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से बुरे सपने आते हैं।
४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।
५. पूजा सुबह 6 से 8बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है |
६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें । इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है |
७.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो |
८. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।
९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में |
१०. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं।
११. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है |
१२. सप्ताह में एकबार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है |
१३. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरने आपके पूजा घर में जरुर पहुचे सबसे पहले |
१४. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो ऐसी व्यवस्था करें .
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