Sunday, 4 October 2015

खीर खाओ मलेरिया भगाओ :-

मलेरिया डेंग्यु और भी मच्छरों का प्रकोप.....।
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हम सब जानते है की मच्छर काटने से मलेरिया होता है वर्ष मे कम से कम 700-800 बार तो मच्छर काटते ही होंगे अर्थात 70 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते लाख बार मच्छर काट लेते होंगे । लेकिन अधिकांश लोगो को जीवनभर में एक दो बार ही मलेरिया होता है ।सारांश यह है की मच्छर के काटने से मलेरिया होता है, यह 1% ही सही है ।
खीर खाओ मलेरिया भगाओ :-
सभी जानते है बैक्टीरिया बिना उपयुक्त वातावरण के नहीं पनप सकते । जैसे दूध मे दही डालने मात्र से दही नहीं बनाता, दूध हल्का गरम होना चाहिए। उसे ढककर गरम वातावरण मे रखना होता है । बार बार हिलाने से भी दही नहीं जमता । ऐसे ही मलेरिया के बैक्टीरिया को जब पित्त का वातावरण मिलता है, तभी वह 4 दिन में पूरे शरीर में फैलता है, नहीं तो थोड़े समय में समाप्त हो जाता है ।
 इतने सारे प्रयासो के बाद भी मच्छर और रोगवाहक सूक्ष्म कीट नहीं काटेंगे यह हमारे हाथ में नहीं । लेकिन पित्त को नियंत्रित रखना तो हमारे हाथ में है।
वर्षा ऋतु के बाद जब शरद ऋतु आती है तो आसमान में बादल व धूल के न होने से कडक धूप पड़ती है। जिससे शरीर में पित्त कुपित होता है । इस समय गड्ढो आदि मे जमा पानी के कारण बहुत बड़ी मात्रा मे मच्छर पैदा होते है इससे मलेरिया होने का खतरा सबसे अधिक होता है ।
खीर खाने से पित्त का शमन होता है 
 शरद में ही पितृ पक्ष (श्राद्ध) आता है पितरों का मुख्य भोजन है खीर । इस दौरान 5-7 बार खीर खाना हो जाता है । इसके बाद शरद पुर्णिमा को रातभर चाँदनी के नीचे चाँदी के पात्र में रखी खीर सुबह खाई जाती है (चाँदी का पात्र न हो तो चाँदी का चम्मच खीर मे डाल दे, लेकिन बर्तन मिट्टी, काँसा या पीतल का हो। क्योंकि स्टील जहर और एल्यूमिनियम, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी महा-जहर है)
यह खीर विशेष ठंडक पहुंचाती है । गाय के दूध की हो तो अतिउत्तम, विशेष गुणकारी (आयुर्वेद मे घी से अर्थात गौ घी और दूध गौ का) इससे मलेरिया होने की संभावना नहीं के बराबर हो जाती है ।
 इस ऋतु में बनाई खीर में केसर और मेंवों का प्रयोग न करे । ये गर्म प्रवृत्ति के होने से पित्त बढ़ा सकते है। सिर्फ इलायची डाले ।
चीनी जहर है मिश्री या खांड का प्रयोग करें।

मलेरिया होने के बाद कड़वी दवाइयाँ खाकर, हजारों रूपए खर्चकर, जोखिम उठाकर ठीक होने में अधिक वैज्ञानिकता हैं या स्वादिष्ट व पौष्ठिक खीर खाकर मलेरिया होने ही न देने में अधिक वैज्ञानिकता ?
आज भयंकर षड्यंत्र के तहत आयुर्वेद की शिक्षा नहीं दी जा रही है बड़ी धूर्तता के साथ स्कूलो में यह धारणा बैठा दी गई है की आयुर्वेद मात्र जड़ी बूटी चिकित्साशास्त्र है जबकि जड़ी बूटी तो मात्र आयुर्वेद का 10% ही है 90% आयुर्वेद तो हमारी समृद्ध परम्पराओं में है, जो वैज्ञानिक आधार सहित थी.

अभी तक किसी वैज्ञानिक ने मच्छर मरने का यंत्र क्यों नहीं बनाया ?जिनके पुरखे विमानन शास्त्र का ज्ञान दुनिया को दिया ?

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