किन -किन आहारों के साथ कौन कौन से आहार न खाएं।
अनेक रोगों का मूल कारण: विरुद्ध आहार…..
२. दूध और कुलत्थी भी कभी एक साथ नहीं लेना चाहिए।
३. नमक और दूध (सेंधा नमक छोड़कर) दूध और सभी प्रकार की खटाइयां, दूध और मूँगफली,
४. दूध और मछली, एक साथ प्रयोग ना करें।
५. दही गर्म करके नहीं खाना चाहिये हानि पहुँचती है, कढ़ी बनाकर खा सकते हैं।
६. शहद और घी समान परिणाम में मिलाकर लेना विष के समान है।
७. जौ का आटा कोर्इ अन्न मिलाये बिना नहीं लेना चाहिए।
८. रात्रि के समय सत्तू का प्रयोग वर्जित है, बिना जल मिलाये सत्तू ना खायें।
९. तेज धूप में चलकर आने के बाद थोड़ा आराम करके ही पानी पियें, व्यायाम या शारीरिक परिश्रम के तुरन्त बाद पानी ना पियें या थोड़ी देर बाद पानी पियें और भोजन के प्रारम्भ में पानी पीना वर्जित है।
१०. भोजन के पश्चात तेज गति से चलना हानिकारक है।
११. शाम को खाने के बाद थोड़ी देर चलना आवश्यक है, खाना खाकर तुरन्त सो जाना हानिकारक है।
१२. रात्रि में दही का सेवन निषेध है, भोजन के तुरन्त बाद जल का सेवन निषेध है। दिन में भोजन के बाद मठ्ठा और रात्रि में भोजन के बाद दूध लेना लाभदायक होता है। वात के रोगों में ब्लड एसिडिटी, कफ वृद्धि या संधिवात में दही ना खायें।
१३. शौच क्रिया के बाद, भोजन से पहले, सर्दी-जुकाम होने पर, दांतों में पीव आने पर और पसीना आने की दशा में पान का सेवन नहीं करना चाहिए।
१४. सिर पर अधिक गर्म पानी डालकर स्नान करने से नेत्रों की ज्योति कम होती है जरूरत पड़ने पर गुनगुने पानी से स्नान कर सकते हैं।
१५. सोते समय सिर पर कपड़ा बांधकर सोना, पैरों में मोजे पहनकर सोना, अधिक चुस्त कपड़े पहनकर सोना हानिकारक है।
१६.शहद कभी भी गर्म करके ना खायें, छोटी मधुमक्खी का शहद सर्वोत्तम होता है।
१७.तेज ज्वर आने पर तेज हवा, दिन में अधिक देर तक सोना, अधिक परिश्रम, स्नान, क्रोध आदि से बचना चाहिये।
१८. नींद लेने से पित्त घटता है, मालिश से वात कम होता है और उल्टी करने से कफ कम होता है एवं उपवास करने से ज्वर शांत होता है।
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