Tuesday, 13 October 2015


दाभोलकर की जब हत्या हुई तब केंद्र और राज्य दोनों में कांग्रेस की सरकार थी,
तब कोई साहित्यकार पुरस्कार लौटाने नही आया ।।
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 कलबुर्गी की भी हत्या कांग्रेस शाषित राज्य में हुई है ।। 
 नयनतारा को साहित्य का पुरस्कार 1986 में मिला,
उससे दो साल पहले सिख दंगा हुआ था पर उन्होंने पुरस्कार लिया ।।
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 इसके बाद भागलपुर दंगे हुए ,
 कश्मीर में पंडितो का कत्लेआम हुआ ,
 93 दंगे और बम विस्फोट हुए ।।
 2002 में साबरमती एक्सप्रेस में 65 आदमी औरते बच्चों को जिन्दा जला दिया गया ।।
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उसके बाद से देश भर में कई कत्ले आम और आतंकी घटनाए जैसे...
👉 मुम्बई लोकल में बम विस्फोट ,
👉 संकट मोचन मन्दिर पर हमला ,
👉 अक्षरधाम हमला ,
👉 जम्मू के रघुनाथ मन्दिर पर हमला ,
👉 अमरनाथ में हमला ,
👉 मुम्बई में आतंकी हमला हो चूका है
...जिसमे अधिकांस में पीड़ित हिन्दू थे ।।
तब किसी ने पुरस्कार नही लौटाया... क्या तब माहौल खराब नही हुआ था ??
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असली बात ये है की ये सब साहित्यकार के भेष में छुपे कांग्रेस के चाटुकार है जिनको कांग्रेस सालो से इसीदिन के लिए पाल कर रखे हुए थे ।। आज ये लोग बस अपने नमक का फर्ज अदा कर रहे है ।।

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