जॉब्स के कहने पर नीम करौली आश्रम आए थे जुकरबर्ग,
यहीं मिला FB को नया मिशन
पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी से अमेरिका में मुलाकात के दाैरान फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने भारत में एक मंदिर का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि वे एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की सलाह पर भारत के इस मंदिर में गए थे। जुकरबर्ग ने इस मंदिर का नाम नहीं बताया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मंदिर नैनीताल के पास पंतनगर में बाबा नीम करौली के आश्रम में ही था। इसी आश्रम में 1974 में जॉब्स आए थे। हॉलीवुड एक्ट्रेस जुलिया रॉबर्ट्स भी यहां एक बार आ चुकी हैं।
कब आए थे जुकरबर्ग?
द इकोनॉमिक टाइम्स और टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रस्ट के सेक्रेटरी विनोद जोशी ने बताया, "कुछ साल पहले अमेरिकी फिजिशियन और Google.org के पूर्व डायरेक्टर लैरी ब्रिलियंट ने उन्हें फोन किया था। लैरी ने बताया कि मार्क नाम का एक लड़का आश्रम आ रहा है। वह कुछ दिन रुकेगा।" हालांकि, जोशी को यह नहीं याद नहीं है कि जुकरबर्ग किस साल उनके आश्रम आए थे। उन्हें यह नहीं पता था कि मार्क जुकरबर्ग कौन हैं। जोशी के मुताबिक, मार्क अपने साथ सिर्फ एक किताब लेकर आए थे। बदलने के लिए वे कपड़े भी नहीं लाए थे। जुकरबर्ग आए तो एक दिन के लिए थे, लेकिन पंतनगर में मौसम खराब हो गया। इस वजह से वे दो दिन रुके थे।
27 सितंबर को माेदी फेसबुक के हेडक्वार्टर्स में थे। यहां जुकरबर्ग ने कहा था कि उनकी कंपनी के इतिहास में भारत की खास जगह है। उन्होंने बताया था कि जब वे इस कन्फ्यूजन में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने को कहा था। वहीं से उन्हें कंपनी के लिए नया मिशन मिला था। वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान उस मंदिर में भी गए।
27 सितंबर को सैन होसे में मोदी एप्पल के सीईओ टिम कुक से मिले। कुक ने मोदी को बताया, "हमारे फाउंडर स्टीव जॉब्स इन्सपिरेशन के लिए भारत गए थे। भारत के साथ हमारा अनोखा रिश्ता है।" जॉब्स 1974 में आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में अपने कुछ दोस्तों के साथ नीम करौली बाबा से मिलने भारत आए थे। तब तक बाबा का निधन हो चुका था। लेकिन जॉब्स कुछ दिन आश्रम में ही रुके रहे।
कौन थे बाबा नीम करौली और कहां है ये आश्रम?
नीम करौली बाबा एक संन्यासी थे। उनका आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल से 65 किलोमीटर दूर पंतनगर में है। यह आश्रम फिलहाल एक ट्रस्ट चलाता है। बाबा का 1973 में निधन हो गया था। लेकिन आश्रम में अब भी विदेशी आते रहते हैं। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा अमेरिकी ही इस आश्रम में आते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच है। यहां पांच देवी-देवताओं के मंदिर हैं। इनमें हनुमान जी का भी एक मंदिर है। भक्तों का मानना है कि बाबा खुद हनुमान जी के अवतार थे।
कब आए थे जुकरबर्ग?
द इकोनॉमिक टाइम्स और टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रस्ट के सेक्रेटरी विनोद जोशी ने बताया, "कुछ साल पहले अमेरिकी फिजिशियन और Google.org के पूर्व डायरेक्टर लैरी ब्रिलियंट ने उन्हें फोन किया था। लैरी ने बताया कि मार्क नाम का एक लड़का आश्रम आ रहा है। वह कुछ दिन रुकेगा।" हालांकि, जोशी को यह नहीं याद नहीं है कि जुकरबर्ग किस साल उनके आश्रम आए थे। उन्हें यह नहीं पता था कि मार्क जुकरबर्ग कौन हैं। जोशी के मुताबिक, मार्क अपने साथ सिर्फ एक किताब लेकर आए थे। बदलने के लिए वे कपड़े भी नहीं लाए थे। जुकरबर्ग आए तो एक दिन के लिए थे, लेकिन पंतनगर में मौसम खराब हो गया। इस वजह से वे दो दिन रुके थे।
27 सितंबर को माेदी फेसबुक के हेडक्वार्टर्स में थे। यहां जुकरबर्ग ने कहा था कि उनकी कंपनी के इतिहास में भारत की खास जगह है। उन्होंने बताया था कि जब वे इस कन्फ्यूजन में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने को कहा था। वहीं से उन्हें कंपनी के लिए नया मिशन मिला था। वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान उस मंदिर में भी गए।
27 सितंबर को सैन होसे में मोदी एप्पल के सीईओ टिम कुक से मिले। कुक ने मोदी को बताया, "हमारे फाउंडर स्टीव जॉब्स इन्सपिरेशन के लिए भारत गए थे। भारत के साथ हमारा अनोखा रिश्ता है।" जॉब्स 1974 में आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में अपने कुछ दोस्तों के साथ नीम करौली बाबा से मिलने भारत आए थे। तब तक बाबा का निधन हो चुका था। लेकिन जॉब्स कुछ दिन आश्रम में ही रुके रहे।
कौन थे बाबा नीम करौली और कहां है ये आश्रम?
नीम करौली बाबा एक संन्यासी थे। उनका आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल से 65 किलोमीटर दूर पंतनगर में है। यह आश्रम फिलहाल एक ट्रस्ट चलाता है। बाबा का 1973 में निधन हो गया था। लेकिन आश्रम में अब भी विदेशी आते रहते हैं। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा अमेरिकी ही इस आश्रम में आते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच है। यहां पांच देवी-देवताओं के मंदिर हैं। इनमें हनुमान जी का भी एक मंदिर है। भक्तों का मानना है कि बाबा खुद हनुमान जी के अवतार थे।
एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स ने हिन्दू मंदिरों में बिताए थे दो वर्ष |
जॉब्स राजधानी दिल्ली आए और यहां पर उन्होंने अपना काफी समय धोती कुर्ता और नंगे पैर ही बिताया। उस समय जॉब्स ने पूरी तरह से भारतीय संस्कृति को अपना लिया था। एक हिप्पी के तौर पर जॉब्स अपना समय बिता रहे थे। लेकिन वह भारत में गरीबी को देखकर दुखी रहते थे।
भारत में हुए कुछ अच्छे और कुछ बुरे अनुभवों को लेकर जॉब्स अमेरिका वापस लौट गए। इसके बाद उन्होंने अपने दोस्त स्टीव वोजनियाकी के साथ मिलकर स्टार्टअप कंपनी एप्पल की शुरुआत की थी।
पीएम मोदी के साथ एक खास मुलाकात में कुक ने बताया कि एप्पल और भारत के बीच एक खास रिश्ता है जिसका जिक्र अक्सर जॉब्स करते थे।
जॉब्स जिस समय वीडियो गेम बनाने वाली कंपनी के मामूली से इंप्लॉई थे, उस समय वह भारत आए थे। बताया जाता है कि जॉब्स ने वर्ष 1974 से वर्ष 1976 का समय भारत में बिताया था। इस दौरान उन्होंने उत्तर भारत का सबसे ज्यादा भ्रमण किया।
जॉब्स भारत के दर्शन और यहां के लोगों के पास मौजूद जानकारियों से काफी प्रभावित थे। उनके एक करीबी कॉट्टेके के मुताबिक जॉब्स किसी भी तरह से भारत जाने को बेताब थे। जॉब्स को उस समय इस बात का दुख था कि वह अपने मां बाप की एक गोद ली हुई संतान हैं। www.meradeshdoooba.com
भारत में हुए कुछ अच्छे और कुछ बुरे अनुभवों को लेकर जॉब्स अमेरिका वापस लौट गए। इसके बाद उन्होंने अपने दोस्त स्टीव वोजनियाकी के साथ मिलकर स्टार्टअप कंपनी एप्पल की शुरुआत की थी।
पीएम मोदी के साथ एक खास मुलाकात में कुक ने बताया कि एप्पल और भारत के बीच एक खास रिश्ता है जिसका जिक्र अक्सर जॉब्स करते थे।
जॉब्स जिस समय वीडियो गेम बनाने वाली कंपनी के मामूली से इंप्लॉई थे, उस समय वह भारत आए थे। बताया जाता है कि जॉब्स ने वर्ष 1974 से वर्ष 1976 का समय भारत में बिताया था। इस दौरान उन्होंने उत्तर भारत का सबसे ज्यादा भ्रमण किया।
जॉब्स भारत के दर्शन और यहां के लोगों के पास मौजूद जानकारियों से काफी प्रभावित थे। उनके एक करीबी कॉट्टेके के मुताबिक जॉब्स किसी भी तरह से भारत जाने को बेताब थे। जॉब्स को उस समय इस बात का दुख था कि वह अपने मां बाप की एक गोद ली हुई संतान हैं। www.meradeshdoooba.com
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