Thursday 15 October 2015

mediya

धर्मनिरपेक्ष चैनल बहस करवा रहे हैं कि मुसलमान गरबे में क्यों न जाएं? और यही चैनल 16 जून को बहस करवा रहे थे कि मुसलमान योग करने क्यों जाएं??
अरे कोई सोच/समझ है कि नहीं?
जो सूर्य को नमस्कार नहीं कर सकते उनको धर्म दुर्गा जी के सामने नाचने की अनुमति कैसे देगा...??
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१) संजीव भट्ट, काँग्रेस और NGOs मिलीभगत की नकाब नोची गई, २) कथित ताबूत घोटाले में ईमानदार जॉर्ज फर्नांडीस बेदाग़ साबित हुए... और ३) 2G घोटाले में वाजपेयी सरकार को खामख्वाह फाँसने की कोशिश हुई थी... यानी एक सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट ने तीन-तीन जूते लगाए...

बीच-बीच में मोदी से नाराज होने वाले मित्रों को समझ में आ गया होगा, कि मोदी कितनी मुश्किल लड़ाई लड़ रहे हैं दिल्ली में...पिछले साठ साल में "काँग्रेस-वामपंथ के पाले-पोसे स्लीपर सेल्स" हर कदम पर मुश्किल खड़ी कर रहे हैं, और करते रहेंगे... इसीलिए यदि देश को "कोढ़-मुक्त" करना है तो नरेंद्र मोदी कम से कम दस वर्ष चाहिए...


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सुप्रीम कोर्ट कोई भगवान् या खुदा नहीं है ..इसके कई जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके है ...यहाँ तक की वर्तमान मुख्य जज पर भी घोटाले के सबूत सार्वजानिक हो चुके है ....सुप्रीमकोर्ट को खुद आत्ममंथन करना चाहिए ...की क्या सही है और क्या गलत ......शीशे के घरो में रहने बाले दुसरो के घरो में पत्थर नहीं फेका करते....जिनको अपनी औकात पर जादा घमंड हो बो वी रामास्वामी केस की तहकीकात कर सकते है और याद रहे बो केस अंतिम नहीं था.....एक बड़के जज साहेब तो लपक के दो दो मैडम को झुक के सलामी दिया करते थे..
आपको तब शर्म नहीं आई जब एक बदजात महिला एक कांग्रेसी नेता से सेक्स कराते हुए जज बनने की गुहार कर रही थी...तब आपने उस घटना की ब्लू फिल्म को आम जनता के लिए प्रतिवंधित कर दिया था ...थू हैआपके नापाक मुहं पर 
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खुल्ले पैसे थे उसके पास...
वो अंबानी का बाप नहीं था...
देर रात आया था वो...
छिपकली के अण्डे समान...
उसका जीवन कोरा कागज़...
बिना टोनर-इंक समान...
हाँ बाबू, ये फोटोकॉपी है...
कुछ खोजने आया था...
गूगल ने उल्लू बना दिया...
चला जा रहा सिर झुकाए...

इस कविता में पूँजीवाद को गाली है... गरीब की व्यथा है... पशु-पक्षी प्रेम की मिसाल है... दार्शनिकता का बहाव है... यानी वो सब कुछ है, जिससे साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल सकता हो... अगर आपको कविता समझ नहीं आई, ये आपकी समस्या है... मुझे साहित्य अकादमी पुरस्कार चाहिए मतलब चाहिए.


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आजकल हिन्दू धर्म को गली देना सेक्युलर लोगो का लेटेस्ट फैशन बन गया है.
सरकार से मेरा निवेदन है कि आप इन दलालो पर कार्यवाही करे ताकि देश सुरक्षित रहे...
सरकार को ये काम जितनी जल्दी होसके कर देना चाहिए।


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2. जिसे भारत माँ के दूध से भरे आँचल से ज्यादा सुकून पाकिस्तान की खून से सनी लुँगी मे मिलता हो,
उसे "सेक्युलर" कहते हैं...!!!
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3. जिस की निगाह मे आतंकवादी एक हाड़ माँस और दर्द सहने वाले मासूम और सेना का जवान तनख़्वाह पर मरने वाला रोबोट है,...उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!
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4. जिस की निगाह मे 5 बार की नमाज़ तानसेन का मधुर संगीत और वन्दे मातरम दंगे का आह्वान हो,..
उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!
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5. जिन की निगाह मे स्कूल मे श्रीमदभगवत गीता पढ़ाना सांप्रदायिक, पर हर स्कूल मे अपना नाम भी ठीक से ना बता पाने वाले मासूम को भी सेक्स शिक्षा देना राष्ट्रभक्ति हो,..उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!
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6. जिन की निगाह मे दिल्ली मे 5 दुर्दांत आतंकियों को मार गिराने वाला वीर मोहनचंद्र शर्मा देशद्रोही और देवी रूप एक हिंदू साध्वी प्रज्ञा को चमड़े के बूट से मारने वाला एक सच्चा राष्ट्रभक्त हो,..उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!
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7. जिस की निगाह मे कुण्डा , उप्र मे मरने वाले जियाउल हक की बीबी के आँसू मोती से भी अनमोल थे।जो गौमांस रखने वाले अखलाख की मौत पर छाती पिटता हो ..और सीने पर गोली खाए बिहार रेजिमेंट के जवानो के परिवार का अनशन एक ड्रामा हो,..उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!
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8. जिस के हिसाब से दर्द सिर्फ़ गुजरात के मुसलमान को होता है। कश्मीर, केरल, हैदराबाद और आसाम के हिंदुओ को नही,..उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!
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9. जिन की निगाह मे जिहाद पढ़ा रहे हज़ारों मदरसे खुलना देश का विकास और मातृभूमि की वंदना करती आरएसएस की एक भी शाखा खुलना देश का विनाश हो,..उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!
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आप खुद फ़ैसला करो की फाँसी पर आतंकवादियों से पहले किस को लटकना चाहिए...??



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इस कविता के लेखक उदय प्रकाश को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है .. जिन्होंने उसे अभी लौटाया है ..

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