Tuesday 13 October 2015

Rahul Chauhan to भारत भाग्य विधाता
4 hrs
मोपलिस्तान (लघु पाकिस्तान) का गठन एवम "आरएसएस" की कार्यवाही :==
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सन 1967 में केरल में कम्युनिस्ट और मुस्लिम लीग गठबंधन की सरकार बनी |
उसके बाद दोनो पार्टीयो ने अपनी मानसिकता के अनुरूप मुस्लिम बहुल जिले से मोपलिस्तान की मांग को हवा दि | पाकिस्तान का भी पुरा समर्थन प्राप्त रहा |इसलिये इसे समझने के लिये थोड़ा उपर चलना होगा |
पाक ने एक विशेष तटवर्ती नौसेना "एकक " का गठन किया था जिसमें केरल के 10000 मुसलमानो को भर्ती किया था | पाकिस्तान शब्द के जनक चौधरी रहमत अली ने संकल्पना में "मोपलिस्तान" को उन स्वाधीन राज्यो में शामिल किया था ,जिन्हे अन्य राज्यो के साथ मिलकर"पाकेशिया राष्ट्रमंडल " में शामिल करना था |
बाद में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मोहम्मद इस्माइल ने 28 जून 1947 को लीग संसद सदस्य "CT सीथी साहब" को पत्र लिखकर कहा था-
"अलग मोपलिस्तान बनाने के आंदोलन के बारे में मैने कायदे आजम से बात की है | उनकी सलाह है कि हम इस मांग को भावी हिंदूस्तान की संविधान सभामें रखना है |जो भी हो संविधान सभा से बाहर भी एक आंदोलन होनाचाहिए | उचीत समय आने पर हम उसे पाकिस्तान से जोड़ देंगे " |
तो जब कम्युनिस्ट नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकार ने लीग के दवाब में आकर मालाप्पुरम के मुस्लिम बहुल जिले को बनाना स्वीकार कर लिया |तब संघ इसके विरोध में खड़ा हो गया | स्वयंसेवको के जत्थे "2 जून 1969" से कालिकट जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना देने लगे | पर 6 जून को एक नये जिले की घोषणा कर दी गई तो फिर इस लड़ाई में जनसंघ भी कुद पड़ा | इधर केरल प्रांत के पुराने स्वतंत्रता सेनानी ने भी इस राष्ट्रद्रोह कृत्य के विरोध में खड़े आ गये |
तब संघ के स्वयंसेवको और जनसंघ के नेताओ ने उनको (स्वतंत्रता सेनानियों को) इस अभियान का नेतृत्व स्वीकार करने को कहा तो वे सहर्ष स्वीकार कर लिये | "कोलप्पन" के नेतृत्व में संघ और जनसंघ के नेताओ ने सत्याग्रह किया | उसके बाद काले झंडे वाले प्रदर्शनकारीयो ने एक भारी जुलुस निकाला | जनसंघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष श्री बच्छराज व्यास और अनेक संघ नेताओ को 15 दिनो के लिये गिरफ्तार कर लिया गया |
तब संघ और जनसंघ दोनो ने ही अपने स्वयंसेवको को केरल पहुँचने को कहा | उप्र से पण्डित मुरलीधर पाण्डेय , बिहार से श्री अशोक सिंह सहित देश भरसे हजारो स्वयंसेवक केरल पहुँचने लगे |
मोपलिस्तान के विरोध में स्वयंसेवको का सत्याग्रह को देखकर समुचे राष्ट्रीय प्रेस ने "मोपलिस्तान" को लेकर निंदा की |
HindustanTimes ने लिखा "यह चाल संदिग्ध और अनर्थकारी है |"
Times Of India ने लिखा"मल्लापुरम का गठन करके केरल के क्षेत्र में लीग जैसी चिरकालीन विघटनकारी शक्ति को प्रसन्न करने से न केवल राज्य के भीतर ,ब्लकि उससे बाहर भी ऐसी मांगो की बाढ़ आ सकती है|"
कलकत्ता के Hindustan Standard ने कहा-' मोपलिस्तान का गठनसुरक्षा के लिये जोखिम है,जो पाकिस्तानी प्रचार का पक्का अड्डा बन सकता है|'
मुंबई के Free Press जर्नल ने कहा-" केरलाज मिनी पाक प्लान स्पेल्स डेंजर |
"आगे वह लिखता है-कम्युनिस्टो और मुस्लिम अतिवादीयो ने मिलकर संवैधानिक साधनो से राष्ट्र को तोड़ने का षडयंत्र रचा है | इस तरह चारो ओर से विरोध होने परमोपलिस्तान का गठन रोक दिया गया और इस तरह स्वयंसेवको ने एक बार और देश टुटने से बचा लिया |

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